J&K में सबकुछ ठीक नहीं, ‘सरकार निर्मित आपदा’ से कारोबार खत्म हुआ: गुलाम नबी आजाद

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[email protected] । Sep 30 2019 8:33PM

आजाद ने यह कहा कि मुख्य रूप से कश्मीर की अर्थव्यवस्था पर्यटन, हैंडीक्राफ्ट और फल के कारोबार पर निर्भर है। ‘सरकार निर्मित आपदा’ से लोगों का पूरा कारोबार खत्म हो गया है।

नयी दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में ‘कोई प्रतिबंध नहीं होने’ से जुड़े गृहमंत्री अमित शाह के बयान के एक दिन बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने सोमवार को दावा किया कि राज्य में सबकुछ ठीक नहीं है और इस ‘सरकार निर्मित आपदा’ (गर्वन्मेंट मेड डिजास्टर) ने कारोबार खत्म कर दिया है और लाखों लोग भूखमरी के कगार पर हैं। जम्मू और कश्मीर के छह दिनों का दौरा करने के बाद वापस दिल्ली लौटे आजाद ने यह भी कहा कि लाखों मजदूरों को तत्काल राशन पहुंचाया जाए, गिरफ्तार नेताओं को रिहा किया जाए तथा नए सिरे से परिसीमन के बाद ही वहां ब्लॉक स्तरीय चुनाव कराए जाएं। उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीर के लोग गांधीवादी रास्ते पर चलकर सविनय अवज्ञा के रास्ते पर चल रहे हैं, लेकिन उनकी यह मुहिम सरकार नहीं बल्कि अपने खिलाफ है। उच्चतम न्यायालय से अनुमति मिलने के बाद जम्मू-कश्मीर का दौरा करने वाले आजाद ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘कश्मीर के लोग सविनय अवज्ञा के रास्ते पर चल रहे हैं। उनकी यह मुहिम अपने खिलाफ है। उनका कहना है कि कोई कारोबारी गतिविधि में भाग नहीं लेंगे और भूखे रहेंगे।’’ 

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आजाद ने यह कहा कि मुख्य रूप से कश्मीर की अर्थव्यवस्था पर्यटन, हैंडीक्राफ्ट और फल के कारोबार पर निर्भर है। ‘सरकार निर्मित आपदा’ से लोगों का पूरा कारोबार खत्म हो गया है। उन्होंने घाटी और जम्मू के अपने दौरे का विवरण पेश करते हुए कहा, ‘‘सिर्फ कश्मीर नहीं, जम्मू में सब कुछ बिल्कुल ठीक नहीं है। सत्तारूढ़ पार्टी के लोग अपने नेताओं के डर से नहीं बोल रहे। जम्मू में कारोबार बैठ गया है। पाकिस्तान से लगी सीमा पर गोलीबारी बढ़ गई है।’’ आजाद ने यह दावा भी किया कि लोग सेना और सीआरपीएफ के खिलाफ कोई शिकायत नहीं कर रहे हैं, बल्कि स्थानीय प्रशासन के खिलाफ शिकायत कर रहे हैं क्योंकि केंद्र सरकार स्थानीय प्रशासन के जरिए लोगों को परेशान कर रही है। उन्होंने कहा कि भूखमरी का सामना कर रहे लाखों मजदूरों को छह महीने तक राशन मुफ्त दिया जाना चाहिए, इंटरनेट टेलीफोन सेवा बहाल हों, नेताओं को रिहा किया जाए, बैंक कर्ज की क़िस्त की अदायगी का समय एक-डेढ़ साल आगे बढ़ाया जाए, ब्याज दर कम की जाए। 

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अमित शाह के बयान के बारे में पूछे जाने पर आजाद ने सवाल किया, ‘‘अगर कोई पाबंदी नहीं है तो 10-15 हजार लोग, मुख्य दलों के नेता जेल में क्यों हैं, मोबाइल और फोन नेटवर्क क्यों नहीं हैं? कॉलेज और यूनिवर्सिटी क्यों बंद हैं? गौरतलब है कि शाह ने रविवार को राष्ट्रीय सुरक्षा पर एक संगोष्ठी में कहा था, ‘‘प्रतिबंध कहा हैं? यह सिर्फ आपके दिमाग में हैं। कोई प्रतिबंध नहीं हैं। सिर्फ दुष्प्रचार किया जा रहा हैं।’’ उन्होंने कहा कि कश्मीर में 196 थाना-क्षेत्रों में से हर जगह से कर्फ्यू हटा लिया गया है और सिर्फ आठ थाना-क्षेत्रों में सीआरपीसी की धारा 144 के तहत पाबंदियां लगाई गई हैं। इस धारा के तहत पांच या इससे ज्यादा लोग एक साथ इकट्ठा नहीं हो सकते हैं। शाह ने कहा, ‘‘ लोग कश्मीर में कहीं भी आने के लिए स्वतंत्र हैं। शेष भारत के कई पत्रकार नियमित तौर पर कश्मीर की यात्रा कर रहे हैं।’’

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