कांग्रेस में सब ठीक नहीं, दिग्विजय सिंह ने खड़े किए सवाल
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अपने वजूद को बनाए रखने के लिए पार्टी को नुकसान पहुँचाने से भी गुरेज नहीं कर रहे। जिसका ताजा उदाहरण मध्य प्रदेश की राजनीति का है जहाँ पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया में चले राजनीतिक शीत युद्ध के बाद पार्टी को 15 साल बाद मिली सत्ता से हाथ धोना पड़ा।
भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा है कि वैचारिक स्पष्टता का अभाव पार्टी को नुकसान पहुंचा रहा है। सिंह ने ट्वीट कर कहा, कांग्रेस के कनिष्ठ या वरिष्ठ नेताओं के बीच वैचारिक स्पष्टता अधिक महत्वपूर्ण है। यह वैचारिक स्पष्टता की ही कमी है जो अस्पष्ट रुख की ओर ले जाती है। उन्होंने कहा, कुछ लोग आरएसएस से लड़ने में क्यों शर्माते हैं? गरीब विरोधी, किसान विरोधी, श्रमिक विरोधी नीतियां भारत की एकता और अखंडता को नष्ट कर रही हैं, इसके सामाजिक आर्थिक ताने-बाने को नष्ट कर रही हैं। दिग्विजय सिंह का यह बयान कांग्रेस वर्किंग कमेटी में उठे विवाद के बाद सामने आया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि कांग्रेस में राहुल जी या प्रियंका जी का विरोधी कौन है? किसी भी वरिष्ठ नेता का नाम बताइए? पूरी कांग्रेस एकजुट रूप से नेहरू गांधी परिवार के साथ खड़ी है। उन्हीं के चलते कांग्रेस एकजुट है। दिग्विजय सिंह ने कहा कांग्रेस के छोटे या वरिष्ठ नेताओं के बीच वैचारिक स्पष्टता अधिक महत्वपूर्ण है, ये मतभेद पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
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पिछले सप्ताह ही दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने गए है। लेकिन वहीं मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी के 23 सदस्यों की लिस्ट जारी की थी। इसी के साथ ही 18 स्थायी आमंत्रित सदस्य और 10 विशेष आमंत्रित सदस्य भी शामिल किए गए। इसमें दिग्विजय सिंह का नाम शामिल नहीं था। पहले ही राहुल के पसंदीदा नेताओं की फेहरिस्त से बाहर चल रहे दिग्विजय सिंह का CWC से आउट होना उनके राजनीतिक कद को बड़ा झटका देने वाला कदम माना जा रहा है।
जहाँ एक ओर कांग्रेस पार्टी ने अपने राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय झा को पार्टी विरोधी लेख लिखने पर पद से हटा दिया वही दिग्विजय सिंह का वर्किंग कमेटी की जारी लिस्ट में नाम न होना कांग्रेस नीतियों में बदलाव की तरफ इशारा कर रहा है। हाल ही में हुई कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में राहुल गांधी और आरपीएन सिंह के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमले को लेकर रणनीति में मतभेद सामने आए थे। जिसके बाद से इस पूरे मामले ने तूल पकड़ लिया। वही वर्किंग कमेटी से आउट होने के बाद दिग्विजय सिंह ने ट्वीट के जरिए अपनी बात कहते हुए लिखा है कि कुछ लोग आरएसएस से लड़ने से क्यों कतराते हैं? यह ध्रुवीकरण की विरोधी विचारधारा और गरीब विरोधी, किसान विरोधी, मजदूर विरोधी नीतियां भारत की एकता और अखंडता को नष्ट कर रही हैं, इसके सामाजिक आर्थिक ताने-बाने को नष्ट कर रही हैं।
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मध्य प्रदेश कांग्रेस संगठन में भी दिग्विजय समर्थक प्रदेश गोविंद गोयल को पार्टी ने कोषाध्यक्ष पद से मुक्त कर दिया है। गोविंद गोयल ने सोशल मीडिया पर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा के साथ अपने घर पर भोजन करते हुए एक तस्वीर डाली थी। जिसके बाद उनको कोषाध्यक्ष पद से हटा दिया गया। जबकि सूत्र बताते है कि इस बारे में दिग्विजय सिंह से कोई सलाह भी नहीं ली गई। वही राष्ट्रीय प्रवक्ता रहे संजय झा के बाद दिग्विजय सिंह का पार्टी में वैचारिक स्पष्टता का अभाव होने वाले बयान से यह तो साफ है कि कांग्रेस में जैसा दिख रहा है वैसा चल नहीं रहा। जहाँ राहुल गांधी और प्रियंका बाड्रा गांधी पार्टी में युवा नेतृत्व चाहते हुए उनके अनुसार पार्टी चलाना चाहते है, तो वही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अपने वजूद को बनाए रखने के लिए पार्टी को नुकसान पहुँचाने से भी गुरेज नहीं कर रहे। जिसका ताजा उदाहरण मध्य प्रदेश की राजनीति का है जहाँ पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया में चले राजनीतिक शीत युद्ध के बाद पार्टी को 15 साल बाद मिली सत्ता से हाथ धोना पड़ा।
Who in Congress is opposed to Rahul ji or Priyanka ji? Name one senior leader? Whole Congress unitedly stands with Nehru Gandhi Family. They are the binding force. What is more important is the Ideological clarity among Congress leaders junior or senior which is harming the Party
— digvijaya singh (@digvijaya_28) June 25, 2020
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