Mulayam Singh Yadav ने Gyanvapi परिसर में जिस जगह पूजा बंद करवाई थी, वहां आरती होते देख कर भड़क गये अखिलेश यादव
जहां तक वाराणसी की जिला अदालत की ओर से ज्ञानवापी परिसर में स्थित व्यास जी के तहखाने में हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने की बात है तो आपको बता दें कि यह अधिकार मिलते ही पूजा-पाठ शुरू हो चुका है।
वाराणसी जिला अदालत द्वारा हिंदुओं को ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यास जी के तहख़ाने में पूजा का अधिकार दिये जाने के चंद घंटे बाद बुधवार देर रात तहखाने को खोलकर उसकी साफ सफाई की गई और फिर वहां पूजा की गई। पूजा पाठ और आरती से जहां विश्व के कोने-कोने में मौजूद हिंदू खुश नजर आ रहे हैं और हर हर महादेव के जयकारे लगा रहे हैं वहीं समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को मिर्ची लग गयी है। उन्हें यह बात पच नहीं रही है कि जिस जगह पूजा-पाठ पर उनके पिता ने रोक लगवाई थी आज वहां पूजा की अनुमति मिल चुकी है और श्रद्धालु पूजा पाठ कर रहे हैं, भगवान को भोग लगा रहे हैं और आरती गा रहे हैं। हम आपको यह भी बता दें कि वाराणसी की जिला अदालत के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती भी दी गयी है लेकिन देश की शीर्ष अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद समिति को इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रुख करने का निर्देश दिया है। समिति ने लगे हाथ उच्च न्यायालय में याचिका दायर भी कर दी है।
पूजा-पाठ शुरू
जहां तक वाराणसी की जिला अदालत की ओर से ज्ञानवापी परिसर में स्थित व्यास जी के तहखाने में हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने की बात है तो आपको बता दें कि यह अधिकार मिलते ही पूजा-पाठ शुरू हो चुका है। पूजा कार्यक्रम में शामिल हुए व्यास परिवार के सदस्य जितेंद्र नाथ व्यास ने बताया कि अयोध्या स्थित नवनिर्मित मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त निकालने वाले गणेश्वर द्रविड़ की अगुआई में बुधवार देर रात काशी विश्वनाथ मंदिर के पुजारी ने व्यास जी के तहखाने में पूजा कराई। इस दौरान जिलाधिकारी एस राजलिंगम, मण्डलायुक्त कौशल राज शर्मा और पुलिस आयुक्त अशोक मुथा जैन तथा मंदिर के कई ट्रस्टी मौजूद थे। जितेंद्र नाथ व्यास ने बताया कि काशी विश्वनाथ ट्रस्ट के कर्मचारियों ने सबसे पहले तहखाने के अंदर सफाई और शुद्धिकरण किया और फिर आचार्य गणेश्वर द्रविड़ ने कलश स्थापित किया। उन्होंने बताया कि इसके बाद मंत्रोच्चार कर गौरी— गणेश की आरती की गयी और सभी देवताओं का स्मरण कर पूजन किया गया, उन्हें नैवैद्य, फल अर्पित किए गए और भोग लगा कर आरती उतारी गई। उन्होंने बताया कि पूजा—पाठ कार्यक्रम लगभग 40 मिनट चला। वहीं काशी विश्वनाथ ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रोफेसर नागेंद्र पांडेय ने बताया कि 31 साल बाद व्यास जी का तहखाना पूजा-पाठ के लिये, रात करीब साढ़े 10 बजे खोला गया और उसकी साफ-सफाई करायी गयी। इस सवाल पर कि क्या तहखाने में पूजा शुरू हो गई है, उन्होंने कहा, ‘‘हां।’’ प्रोफेसर नागेंद्र पांडेय ने कहा, ‘‘जैसा कि अदालत का आदेश था, उसका पालन करना भी जरूरी था तो जिला प्रशासन ने मुस्तैदी के साथ सारी व्यवस्था कर दी है। मुझे लगता है कि जो भी कमी रह गई है उसे धीरे-धीरे दूर कर लिया जाएगा।’’
जिला प्रशासन के सूत्रों के मुताबिक, व्यास जी के तहखाने में जिला अदालत से पूजा-पाठ की अनुमति मिलने के बाद बुधवार की देर रात मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा, जिलाधिकारी एस. राजलिंगम और पुलिस आयुक्त मुथा अशोक जैन ज्ञानवापी परिसर पहुंचे। जिलाधिकारी एस. राजलिंगम ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘मैंने अदालत के आदेश का अनुपालन किया है।’’ उनसे पूछा गया था कि आज तहखाने के अंदर क्या हुआ। कुछ स्थानीय लोगों का दावा है कि साफ-सफाई के बाद तहखाने में लक्ष्मी-गणेश की आरती की गयी।
हिन्दू पक्ष के एक वादी सोहनलाल आर्य ने बताया कि आज तड़के करीब चार बजे वह ज्ञानवापी-श्रंगार गौरी मामले की एक वादी लक्ष्मी देवी के साथ तहखाने में दर्शन-पूजन करने पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि अब तहखाने के अवरोधक हटा कर वहां लोहे का गेट लगा दिया गया है। सोहन लाल आर्य ने कहा कि पुलिसकर्मियों ने उन्हें बताया कि रात में पूजा हो चुकी है इसलिए वह लोग अब सुबह आएं। सोहन लाल आर्य ने बताया कि आज वह काशी-विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के सदस्यों के साथ बैठक कर व्यास जी के तहखाने में नियमित पूजा पाठ की रूप रेखा तैयार करेंगे। हम आपको बता दें कि यह तहखाना ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर स्थित है।
अखिलेश यादव का बयान
दूसरी ओर, समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तहखाने में पूजा-पाठ पर तंज करते हुए इसे नियत प्रक्रिया से परे गतिविधि करार दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर कहा, ‘‘किसी भी अदालती आदेश का पालन करते समय उचित प्रक्रिया को बनाए रखना होगा। वाराणसी की अदालत ने इसके लिए सात दिन की अवधि तय की थी। अब हम जो देख रहे हैं वह नियत प्रक्रिया से परे जाने और किसी भी कानूनी सहारे को रोकने का एक ठोस प्रयास है।’’ हम आपको बता दें कि इस तहखाने में वर्ष 1993 तक पूजा-अर्चना होती थी मगर उसी साल तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार ने इसे बंद करा दिया था।
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