फिर गर्माया कृषि कानून मुद्दा, राहुल बोले- केंद्रीय मंत्री ने किया मोदी जी की माफी का अपमान, अगर फिर बढ़े कदम तो होगा सत्याग्रह
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि देश के कृषि मंत्री ने मोदी जी की माफ़ी का अपमान किया है- ये बेहद निंदनीय है। अगर फिर से कृषि विरोधी कदम आगे बढ़ाए तो फिर से अन्नदाता सत्याग्रह होगा- पहले भी अहंकार को हराया था, फिर हराएंगे!
नयी दिल्ली। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले निरस्त किए गए विवादास्पद कृषि कानूनों का मुद्दा एक बार फिर से गरमाता हुआ दिखाई दे रहा है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि कानूनों के विषय पर एक बयान दिया था। जिस पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि अगर फिर से कृषि विरोधी कदम आगे बढ़ाए तो फिर से अन्नदाता सत्याग्रह होगा। राहुल गांधी ने एक ट्वीट में लिखा कि देश के कृषि मंत्री ने मोदी जी की माफ़ी का अपमान किया है- ये बेहद निंदनीय है। अगर फिर से कृषि विरोधी कदम आगे बढ़ाए तो फिर से अन्नदाता सत्याग्रह होगा- पहले भी अहंकार को हराया था, फिर हराएंगे!
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देश के कृषि मंत्री ने मोदी जी की माफ़ी का अपमान किया है- ये बेहद निंदनीय है।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 25, 2021
अगर फिर से कृषि विरोधी कदम आगे बढ़ाए तो फिर से अन्नदाता सत्याग्रह होगा-
पहले भी अहंकार को हराया था, फिर हरायेंगे!#FarmersProtest
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कृषि मंत्री ने दिए यह संकेत
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को नागपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विवादास्पद कृषि कानूनों को आजादी के बाद लाया गया एक बड़ा सुधार करार दिया था। इस दौरान उन्होंने इसे फिर से लाने के संकेत भी दिए। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में निजी निवेश का आज भी अभाव है। हम कृषि सुधार कानून लेकर आए थे... कुछ लोगों को यह रास नहीं आया... लेकिन वह 70 वर्षों की आजादी के बाद एक बड़ा सुधार था, जो नरेंद्र मोदी की सरकार के नेतृत्व में आगे बढ़ रहा था। उन्होंने कहा कि लेकिन सरकार निराश नहीं है। हम एक कदम पीछे हटे हैं, आगे फिर बढ़ेंगे। क्योंकि हिंदुस्तान का किसान हिंदुस्तान की रीढ़ की हड्डी है।
गौरतलब है कि केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ 40 से अधिक किसान संगठनों ने एक साल तक राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन किया है। जिसको देखते हुए केंद्र सरकार ने अपना रुख बदला और शीतकालीन सत्र की शुरुआत के साथ ही विवादास्पद तीनों कानूनों को वापस ले लिया। सालभर चले आंदोलन में 700 से अधिक किसानों ने अपनी जान भी गंवा दी। हालांकि सभी किसान अपने घरों की तरफ वापस लौट चुके हैं।अन्य न्यूज़