NDA में फिर से वापसी के बाद नीतीश के लिए असली परीक्षा है लोकसभा चुनाव, दूसरे चरण के मतदान पर सबकी नजर
जदयू के एक बड़े नेता ने कहा कि इन सीटों पर महंगाई, बेरोजगारी और विकास जैसे मुद्दों पर एनडीए और महागठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला है। हमें उम्मीद है कि हम ये सभी सीटें जीतेंगे। पूर्णिया, किशनगंज और भागलपुर लोकसभा सीटें उन पांच सीटों में प्रमुख हैं, जिन पर दोनों गठबंधनों ने जोरदार प्रचार किया है और नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने बड़े पैमाने पर सार्वजनिक सभाओं में भाग लिया है।
शुक्रवार को दूसरे चरण के मतदान में राज्य की सीमांचल स्थित पांच प्रमुख सीटों पर एनडीए के घटक दल सत्तारूढ़ जदयू और बिहार में महागठबंधन के प्रमुख विपक्षी दल राजद की प्रतिष्ठा दांव पर है। पांच सीटों - पूर्णिया, किशनगंज, भागलपुर, बांका और कटिहार - के लिए 86 उम्मीदवार मैदान में हैं। सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ जेडीयू ने राजद और कांग्रेस के खिलाफ एनडीए समर्थित उम्मीदवार उतारे हैं। इन पांटों सीटों पर जदयू के ही उम्मीदवार हैं। नीतीश के फिर से एनडीए में जाने के बाद एक बार फिर से यह चुनाव लिटमस टेस्ट है।
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जदयू के एक बड़े नेता ने कहा कि इन सीटों पर महंगाई, बेरोजगारी और विकास जैसे मुद्दों पर एनडीए और महागठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला है। हमें उम्मीद है कि हम ये सभी सीटें जीतेंगे। पूर्णिया, किशनगंज और भागलपुर लोकसभा सीटें उन पांच सीटों में प्रमुख हैं, जिन पर दोनों गठबंधनों ने जोरदार प्रचार किया है और नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने बड़े पैमाने पर सार्वजनिक सभाओं में भाग लिया है। कांग्रेस ने तीन सीटों पर जबकि सहयोगी राजद ने दो सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। जद (यू) ने सभी पांच सीटों पर प्रचार किया है। पूर्णिया और किशनगंज में, एनडीए उम्मीदवार त्रिकोणीय मुकाबले में हैं, जबकि भागलपुर, कटिहार और बांका में, जेडीयू उम्मीदवारों को कांग्रेस और राजद उम्मीदवारों के साथ सीधी टक्कर का सामना करना पड़ रहा है।
पूर्णिया में सहित सभी पांच उम्मीदवारों का चयन सीएम नीतीश कुमार ने किया है, जो 2019 की तुलना में अधिक कठिन मुकाबले से अवगत हैं। तेजस्वी यादव ने पूर्णिया में अपनी पार्टी के उम्मीदवार के लिए मैराथन प्रचार किया है और तीन दिनों तक वहां कैंप किया है। तेजस्वी के नेतृत्व की असली परीक्षा पूर्णिया में होगी जहां से लालू प्रसाद ने बीमा भारती को मैदान में उतारा है। राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव भी निर्दलीय मैदान में कूद गये हैं, जिससे मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। पूर्णियाकी जीत का मतलब तेजस्वी के नेतृत्व पर भरोसा होगा, जो राजनीतिक चर्चा है।
किशनगंज में कांग्रेस उम्मीदवार मोहम्मद जावेद का मुकाबला जदयू के मुजाहिद आलम और एआईएमआईएम अख्तरुल इमाम से त्रिकोणीय मुकाबले में है। 2019 में कांग्रेस उम्मीदवार जावेद ने इमाम को हराकर यह सीट जीती थी। जदयू और राजद के लिए दूसरी प्रतिष्ठित सीट भागलपुर लोकसभा सीट है जहां जदयू सांसद अजय मंडल का मुकाबला कांग्रेस के अजीत शर्मा से है। बांका में जदयू के गिरधारी यादव का सीधा मुकाबला राजद के जय प्रकाश यादव से है।
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यादव ने 2014 में भाजपा की पुतुल कुमारी को 10,000 वोटों से हराकर सीट जीती थी। गिरधारी यादव ने 2019 में जय प्रकाश यादव को हराया था और वह जेडीयू के मौजूदा सांसद हैं। बिहार के महत्वपूर्ण सीमांचल लोकसभा सीटों में से एक, कटिहार में जदयू की दुलार चंदा गोस्वामी का सीधा मुकाबला कांग्रेस के तारिक अनवर से है। गोस्वामी इस सीट से सांसद हैं और तारिक अनवर ने पांच बार इसका प्रतिनिधित्व किया है।
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