Prajatantra: राहुल के बाद प्रियंका भी करेंगी दक्षिण का रुख, अमेठी-रायबरेली को लेकर आस्वस्त नहीं!
बड़ा सवाल यही है कि अगर प्रियंका गांधी लोकसभा चुनाव लड़ती हैं तो सीट कौन सा रहेगा? कांग्रेस नेता फिलहाल अलग-अलग सीटों को लेकर विचार कर रहे हैं। वहीं कई राज्य कांग्रेस के नेताओं की ओर से भी उन्हें अपने राज्य में आकर चुनाव लड़ने के बात कहीं जा रही है।
कांग्रेस प्रियंका गांधी को पार्टी के लिए ट्रंप कार्ड मानती है। पार्टी नेताओं को यह भी लगता है कि प्रियंका गांधी की लोकप्रियता देश में खूब बढ़ रही है। हाल में देखा जाए तो कांग्रेस ने संगठन के भीतर मामूली फेरबदल किया है। प्रियंका गांधी जो कि उत्तर प्रदेश के महासचिव थीं, उनकी जगह अविनाश पांडे को जिम्मेदारी दे दी गई हैं। इसका मतलब साफ है कि आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ने कहीं ना कहीं प्रियंका गांधी को राष्ट्रीय स्तर पर जिम्मेदारी देने की तैयारी कर ली है। तेलंगना, कर्नाटक और हिमाचल में कांग्रेस पार्टी को मिली जीत में प्रियंका गांधी का भी का बड़ा रोल रहा है। प्रियंका गांधी महासचिव के रूप में तो बरकरार हैं लेकिन उन्हें किसी राज्य का प्रभार नहीं दिया गया है। ऐसे में उनके लोकसभा चुनाव लड़ने की भी हटकले तेज हो गई हैं।
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दक्षिण का करेंगी रुख
बड़ा सवाल यही है कि अगर प्रियंका गांधी लोकसभा चुनाव लड़ती हैं तो सीट कौन सा रहेगा? कांग्रेस नेता फिलहाल अलग-अलग सीटों को लेकर विचार कर रहे हैं। वहीं कई राज्य कांग्रेस के नेताओं की ओर से भी उन्हें अपने राज्य में आकर चुनाव लड़ने के बात कहीं जा रही है। कांग्रेस प्रियंका गांधी को तुरुप के पत्ते की तरह इस्तेमाल करना चाहती है ताकि आम चुनाव में पार्टी नरेंद्र मोदी को एक बड़ी चुनौती दे सके। कर्नाटक और तेलंगाना में पार्टी की सफलता को देखते हुए कांग्रेस कहीं ना कहीं प्रियंका गांधी को लेकर दक्षिण के बारे में ज्यादा विस्तार से सोच रही है।
दक्षिण ही क्यों?
अगर प्रियंका गांधी दक्षिण भारत का रुख करती हैं तो कहीं ना कहीं उनकी जीत की गारंटी बनी रहेगी। ऐसा कांग्रेस नेताओं को लगता है। तेलंगाना और कर्नाटक में पार्टी की स्थिति मजबूत है। वहीं केरल में भी कांग्रेस अच्छी स्थिति में है। वास्तव में, दक्षिण भारत इंदिरा गांधी (अविभाजित आंध्र प्रदेश में मेडक और कर्नाटक में चिक्कमगलुरु) और सोनिया गांधी (कर्नाटक में बेल्लारी) के राजनीतिक पुनरुद्धार का गवाह रहा है। पार्टी की तेलंगाना इकाई का मानना है कि प्रियंका को राज्य से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहिए क्योंकि इससे पार्टी को आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी मदद मिलेगी।
उत्तर प्रदेश से दूरी
हालांकि, प्रियंका गांधी को लेकर यह भी दावा किया जाता रहा है कि वह उत्तर प्रदेश की किसी सीट से चुनाव लड़ सकती हैं। सूत्र तो यह भी दावा करते रहे हैं कि अगला लोकसभा चुनाव सोनिया गांधी नहीं लड़ेंगी और उनकी जगह रायबरेली से प्रियंका गांधी उम्मीदवार हो सकती हैं। हालांकि, इसमें कोई दो राय नहीं है कि गांधी परिवार अपने पूर्व गढ़ अमेठी के साथ-साथ रायबरेली में भी जीत को लेकर पूरी तरीके से आस्वस्त नजर नहीं आ रही है। इसका बड़ा कारण यह भी है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पूरी तरीके से कमजोर हो चुकी है। महासचिव रहने के दौरान भी प्रियंका गांधी पार्टी के लिए कुछ खास नहीं कर सकीं। ऐसे में प्रियंका गांधी के लिए दक्षिण भारत ही सुरक्षित रह सकता है। कांग्रेस ममता बनर्जी के सलाह को भी बहुत गंभीरता से नहीं ले रही है। ममता ने कहा था कि प्रियंका गांधी को वाराणसी से विपक्ष के साझा उम्मीदवार के तौर पर नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव में उतरा जाए।
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मुश्किल क्या है
इसमें कोई भी संदेह नहीं है कि गांधी परिवार का व्यक्ति जहां से भी चाहे चुनाव लड़ सकता है। लेकिन अगर प्रियंका गांधी दक्षिण भारत जाती हैं तो पार्टी के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती यही रहेगी कि उसके लिए उत्तर भारत दूर हो सकता है। दिल्ली की सत्ता में पहुंचने के लिए उत्तर भारत में मजबूत चुनावी जीत बेहद जरूरी होती है। गांधी परिवार की राजनीति भी उत्तर भारत में ही खूब रही है। साथ हा साथ राहुल गांधी भी फिलहाल दक्षिण भारत के केरल के वायनाड से सांसद हैं। उत्तर भारत में वोटरों को अपनी ओर खींचने के लिए भाजपा को बड़ा मुद्दा भी मिल सकता है।
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