Alpha Wolf Attack: लूना के ट्रैप होने के बाद हो गया और ज्यादा आक्रमक, क्या है अल्फा के इंतकाम की इनसाइड स्टोरी
बताया जा रहा है कि दो दिन पहले लूना अल्फा के झुंड से अलग हो गई थी। इसके बाद वन विभाग की टीम ने इसे कुछ ही घंटे में पकड़ लिया। लेकिन अब झुंड से बिछड़ने के बाद अल्फा और ज्यादा आक्रमक हो गया है। यानी खतरा और बढ़ गया है।
उत्तर प्रदेश के बहराइच में अब एक ही दुश्मन बचा है, लेकिन दुश्मन की चुनौतियां दोगुनी हो गई है। लूना और चार भेड़ियों के पकड़े जाने के बाद अल्फा यानी भेड़ियों का सरदार और घातक हो चुका है। अब उसने हमले का पैटर्न भी चेंज करके दिखाया है। लंगड़ा भेड़िया सीधे सिर पर वार कर रहा है। मानो लूना के ट्रैप होने के बाद अल्फा का एक ही मकसद इंतकाम है। लूना और अपने साथियों से बिछड़ने के बाद अल्फा अब ऐसे मूड में है कि 24 घंटे में ही अल्फा ने चार लोगों पर हमला किया है। उसका जीता जागता सबूत बहराइच की महकपूरवा में 11 साल की बच्ची पर हुआ हमला। बताया जा रहा है कि दो दिन पहले लूना अल्फा के झुंड से अलग हो गई थी। इसके बाद वन विभाग की टीम ने इसे कुछ ही घंटे में पकड़ लिया। लेकिन अब झुंड से बिछड़ने के बाद अल्फा और ज्यादा आक्रमक हो गया है। यानी खतरा और बढ़ गया है।
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सोती हुई महिला पर भेड़िए का खौफनाक हमला
बहराइच जिले की महसी तहसील के दो गांवों में भेड़िये के संदिग्ध हमलों में दो और लड़कियां घायल हो गईं। घटना मैकूपूरवा गांव में 11 साल की लड़की के साथ हुई जबकि दूसरा हमला भवानीपुर गांव में हुआ, जिसमें 10 साल की लड़की घायल हो गई। हालांकि ग्रामीणों का दावा है कि हमले भेड़ियों ने किए, लेकिन सरकारी चिकित्सकों को संदेह है वे किसी अन्य जानवर के काटने से घायल हुई हैं। वन विभाग ने कहा कि यह अभी तक पुष्टि नहीं हुई है कि क्षेत्र में ये नए हमले कि जानवर ने किए हैं। बहराइच में हाल में आदमखोर भेड़ियों के हमले के कई मामले सामने आए हैं। भेड़ियों के हमले में जुलाई के मध्य से आठ लोगों की मौत हुई है और 30 से अधिक को घायल हुए हैं।
यूपी का 'ऑपरेशन भेड़िया'
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाले उत्तर प्रदेश ने बहराइच जिले की महसी तहसील के 50 गांवों को आतंकित करने वाले छह भेड़ियों के झुंड को पकड़ने के लिए 'ऑपरेशन भेड़िया' नाम से एक अभियान शुरू किया है। अब तक पांच भेड़ियों को पकड़ा जा चुका है और बाकी बचे आदमखोर भेड़ियों को पकड़ने की कोशिशें तेज कर दी गई हैं। झुंड का आखिरी भेड़िया अल्फा वुल्फ (झुंड का नेता) हो सकता है। जब तक यह पकड़ा नहीं जाता, समस्या बनी रह सकती है। उम्मीद है कि इसे भी जल्द ही पकड़ लिया जाएगा। हत्यारे भेड़िये की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए 165 वन कर्मियों और 18 निशानेबाजों को तैनात किया गया है। खोज में सहायता के लिए थर्मल कैमरा से लैस ड्रोन और स्नैप कैमरों का उपयोग किया जा रहा है। जिला प्रशासन और वन विभाग ने खुले घरों और गांवों में सोलर और हाईमास्ट लाइटें लगायी हैं।
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भेड़िये के हमले के पीछे रेबीज, डिस्टेंपर वायरस?
इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस के प्रमुख एसपी यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के लगभग 50 गांवों में भेड़ियों के हमलों की बढ़ती घटनाओं की वजह रेबीज’ या कैनाइन डिस्टेंपर वायरस जैसी कोई बीमारी हो सकती है। यादव ने कहा कि पकड़े गए जानवरों के संबंध में पर्याप्त विश्लेषण के बाद ही सटीक कारण का पता लगाया जा सकता है। यादव ने कहा कि ये कोई नियमित घटनाएं नहीं हैं। जानवर का पागल हो जाना या ऐसी ही कोई चीज होगी जिसकी वजह से यह समस्या हुई। आम तौर पर ऐसा नहीं होता। मेरा मानना है कि पिछले 10 साल में यह पहली ऐसी घटना है। वन विभाग समस्या पैदा करने जानवरों की पहचान के लिए सर्वेक्षण कर रहा है। उन्होंने कहा कि रेबीज’ और कैनाइन डिस्टेंपर वायरस जानवरों के व्यवहार को कभी-कभी बदल देते हैं, जिससे उनमें मनुष्यों के प्रति भय खत्म हो जाता है। यह कारण हो सकता है।
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