कोरोना के बाद बदला जा सकता है भारत के ‘ब्रेन ड्रेन’ को ‘ब्रेन रेन’ में- प्रो. राज नेहरू
प्रो. नेहरू ने कहा कि भारत शताब्दियों तक आत्मनिर्भर रहा है। हमारी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संरचना ऐसी थी, जिसके कारण हम हर क्षेत्र में दक्ष और उन्नत थे। जीने की कला ऐसी थी जिसमें सभी विधाओं का समावेश था। यह बात विदेशियों ने भी स्वीकार की है।
भोपाल। कोरोना महामारी के चलते भारत में कई अवसर पैदा हुए हैं। इस देश को फिर से सोने की चिड़िया बनाया जा सकता है। इसे हम सिलिकॉन वैली बना सकते हैं। भारत की जो प्रतिभाएं बाहर चली गयीं, उन्हें हम वापस यहां अवसर प्रदान कर ‘ब्रेन ड्रेन’ को ‘ब्रेन रेन’ के रूप में बदल सकते हैं। यह बात विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय, पलवल के कुलपति प्रो. राज नेहरू ने ‘सूचना प्रौद्योगिकी और आत्मनिर्भर भारत’ विषय पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित ‘कुलपति संवाद’ व्याख्यानमाला में कही।
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प्रो. नेहरू ने कहा कि भारत में तकनीक और कौशल उपलब्ध है। हमारे यहां के युवाओं ने सिलिकॉन वैली में योगदान दिया और आईटी सेक्टर को खड़ा किया। भारतीय युवाओं का उदाहरण देते कहा उन्होंने कहा कि सिलिकॉन वैली के विकास में भारत का बड़ा योगदान है। वहां अधिकांश कंपनियों में भारतीय कार्यरत हैं लेकिन अब स्थितियां बदल रही हैं। वहां काम करने वाले युवा अपने देश में काम करना चाहते हैं। इसके साथ ही बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने अपने शोध और विकास से संबंधित संस्थान भारत में खोलना शुरू किये हैं। अभी तक 880 संस्थान खोले जा चुके हैं जिनका पेटेंट गुणवत्तापूर्ण आया है।
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आत्मनिर्भर ही था भारत :
प्रो. नेहरू ने कहा कि भारत शताब्दियों तक आत्मनिर्भर रहा है। हमारी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संरचना ऐसी थी, जिसके कारण हम हर क्षेत्र में दक्ष और उन्नत थे। जीने की कला ऐसी थी जिसमें सभी विधाओं का समावेश था। यह बात विदेशियों ने भी स्वीकार की है। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री एंगस मेडिसन ने अपने किताब में उल्लेख किया है कि भारत पहली से लेकर 17वीं शताब्दी तक उन्नत अर्थव्यवस्था से परिपूर्ण था। विश्व की कुल जीडीपी में भारत का योगदान 35 से 40% तक था। भारत के शैक्षणिक संस्थान बहुत विकसित थे। दुनिया भर के लोग भार की ओर आकर्षित होते थे। प्रो. नेहरू ने कहा कि हमने पेटेंट और कॉपीराइट नहीं कराए, जो भी विकास किया उसे समाज कल्याण के लिए समाज के साथ बांटा लेकिन पिछले 200-300 वर्षों में औपनिवेशिक राज्यों ने इसका दोहन किया। हमारे यहां के संसाधनों को लेकर गए और उन्हें फिर बनाकर महंगे दामों पर यहीं बेचा।
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सॉफ्टवेयर उद्योग में करना होगा काम :
उन्होंने कहा कि भारत की कुल जीडीपी में आईटी सेक्टर का योगदान अब बढ़कर 8% हो गया है। हमें सॉफ्टवेयर उद्योग में लगातार काम करना होगा। मांग और आपूर्ति के बीच के अंतर को कम करना होगा। साथ ही मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को नई तकनीक से लैस करना होगा और अंतरराष्ट्रीय स्तर के उत्पाद बनाने के लिए तकनीक का इस्तेमाल करना होगा। भारत डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के माध्यम से ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल कर कई बड़े क्रांतिकारी बदलाव कर सकता है। ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग कर भ्रष्टाचार मुक्त भारत बना सकते हैं। सरकारी व्यवस्था से बिचौलियों को समाप्त कर सकते हैं। मतदान प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ा सकते हैं। स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक सुदृढ़ और उन्नत किया जा सकता है। प्रो. नेहरू ने कहा कि मीडिया सेक्टर में भी कई बड़े बदलाव आ सकते हैं। दर्शकों की रुचि को जानने में मदद मिल सकती है। न्यूज़ रूम का व्यावसायिक तरीके से उपयोग किया जा सकता है। भारत में इंटरनेट के उपयोगकर्ता लगातार बढ़ रहे हैं।
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