बिहार दौरे पर नीतीश और तेजस्वी से मिले आदित्य ठाकरे; प्रवासी विरोधी आरोपों को खारिज किया
पटना में उन्होंने दावा किया कि हिंदी भाषी उत्तर भारतीयों के प्रति शत्रुता रखने वाले अब ‘‘भाजपा के साथ’’ हैं और जोर देकर कहा कि जब हम महाराष्ट्र में सत्ता में थे, सभी समुदायों के बीच ‘शांतिपूर्वक सह-अस्तित्व’ था।
महाराष्ट्र में विपक्ष के नेता आदित्य ठाकरे ने प्रवासियों के खिलाफ शिवसेना के उग्र विरोधी रूख से स्वयं को बुधवार को दूर करने का प्रयास किया। गौरतलब है कि आदित्य के दादा दिवंगत बाल ठाकरे द्वारा स्थापित शिवसेना पर अकसर मुंबई (महाराष्ट्र) में प्रवासियों, विशेष रूप से बिहारियों और पूर्वांचलियों के खिलाफ उग्र विरोध रूख रखने के आरोप लगते रहे हैं। शिवसेना के उद्धव ठाकरे नीत गुट के युवा नेता के पहले बिहार दौरे ने ‘‘विपक्षी एकता’’ की चर्चा को हवा दे दी है।
पटना में उन्होंने दावा किया कि हिंदी भाषी उत्तर भारतीयों के प्रति शत्रुता रखने वाले अब ‘‘भाजपा के साथ’’ हैं और जोर देकर कहा कि जब हम महाराष्ट्र में सत्ता में थे, सभी समुदायों के बीच ‘शांतिपूर्वक सह-अस्तित्व’ था। उल्लेखनीय है कि आदित्य के पिता उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महाराष्ट्र में ‘‘महा विकास आघाड़ी’ गठबंधन की सरकार थी, जिसमें शरद पवार नीत राकांपा और कांग्रेस भी शामिल थीं।
लेकिन शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे के विद्रोह और उनके साथ विधायकों के पार्टी छोड़ने के कारण सरकार 29 जून को गिर गई और ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके अगले ही दिन, 30 जून को एकनाथ शिंदे ने भाजपा के साथ मिलकर राज्य में सरकार बना ली और मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। आदित्य ठाकरे ने अपनी पार्टी के राज्यसभा सदस्य अनिल देसाई और प्रियंका चतुर्वेदी के साथ पटना में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से शिष्टाचार भेंट की।
यहां मीडिया से संक्षिप्त बातचीत में आदित्य ने तेजस्वी के ‘‘अच्छे काम’’ की सराहना की और खुलासा किया कि वह काफी समय से राजद नेता के साथ फोन पर संपर्क में थे, हालांकि दोनों की आमने-सामने की यह पहली मुलाकात है। आदित्य ने जोर देकर कहा कि उनके बिहार दौरे के बारे में ‘‘कुछ भी राजनीतिक नहीं’’ था। पत्रकारों के यह पूछने पर कि क्या उन्हें उम्मीद है कि तेजस्वी मुंबई नगरपालिका चुनाव में उनकी पार्टी के लिए प्रचार करेंगे, उन्होंने जवाब दिया कि ‘‘चुनाव बहुत दूर है।’’
हालांकि, उन्होंने कहा, ‘‘मैंने तेजस्वी यादव को महाराष्ट्र के निजी दौरे पर आने का न्योता दिया है। उन्होंने मुझे बिहार के पर्यटन स्थलों का दौरा करने के लिए आमंत्रित किया है। हम दोनों एक-दूसरे की यात्राओं को लेकर उत्सुक हैं।’’ जब कुछ पत्रकारों ने यह पूछा कि क्या ‘‘बिहारी अब निश्चिंत हो सकते हैं कि आपके राज्य में उन्हें नहीं पीटा जाएगा’’ आदित्य ने कहा, ‘‘जो लोग इस तरह के कृत्यों में शामिल थे वे अब भाजपा के साथ हैं। यह जवाब उन्हें देना चाहिए।’’
उद्घव ठाकरे नीत एमवीए सरकार में मंत्री रहे युवा नेता आदित्य ने कहा, ‘‘जब हमने महाराष्ट्र पर शासन किया तो सभी एक साथ और शांति से रहते थे।’’ आदित्य ने तेजस्वी की मौजूदगी में दोनों ने उस सवाल को टाल दिया जिसमें पूछा गया था कि क्या शिवसेना का हिंदुत्व राजद की धर्मनिरपेक्षता के साथ शांति स्थापित कर पाएगा? वहीं तेजस्वी ने कहा कि केन्द्र की भाजपा नीत सरकार के हमले से संविधान को बचाना ‘‘समय की मांग है।’’
राजद के राजनीतिक उत्तराधिकारी माने जाने वाले तेजस्वी ने कहा कि हम सभी महाराष्ट्र में सरकार को गिराने के लिए धन बल के ‘‘इस्तेमाल’’ के बारे में जानते हैं। भाजपा वहां अपनी सफलता से उत्साहित हो गई थी और बिहार में भी ऐसा करने की कोशिश की जहां उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। तेजस्वी का संकेत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू की ओर था जिसके पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह द्वारा कथित रूप से पार्टी को विभाजित करने का प्रयास किया गया था।
चर्चा है कि उन्हें भाजपा का समर्थन प्राप्त था। नीतीश कुमार अगस्त में भाजपा से नाता तोड़कर राजद, कांग्रेस और वाम दलों के महागठबंधन के साथ हो लिए और बिहार में अपनी सत्ता बरकरार रखी। बिहार के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे नीतीश तब से 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए उसके विरोध में विपक्षी दलों के बीच एकता का आह्वान कर रहे हैं।
इस बीच, नीतीश और उद्धव ठाकरे पर ‘‘विश्वासघात’’ करने का आरोप लगाने वाले भाजपा ने क्षेत्रीय ताकतों के एक नए समूह की संभावनाओं पर नाराजगी जताई है। तेजस्वी और आदित्य के मुलाकात से पहले आज दिन में भाजपा के प्रवक्ताओं द्वारा कई बयान जारी किए गए जिसमें शिवसेना के युवा नेता पर ‘‘भ्रष्ट’’ राजद से हाथ मिलाने और तेजस्वी को ‘‘बिहारी विरोधी’’ शिवसेना के साथ तालमेल बिठाने के लिए लताड़ लगाई गई।
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