अपने ही सियासी मैदान में ममता के ‘पठान’ से पराजित हुए Adhir

Adhir
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ममता बनर्जी के खिलाफ अपनी सियासी अदावत के लिए मशहूर अधीर रंजन चौधरी के लिए शायद यही बात उनकी सियासत पर भारी पड़ी। ममता ने उनके खिलाफ गुजरात से ताल्लुक रखने वाले युसूफ पठान को उतारकर उन्हें बड़ी सियासी मात दी। चौधरी को उनके मजबूत गढ़ माने जाने वाले बहरमपुर में युसूफ पठान के हाथों हार का सामना करना पड़ा।

नयी दिल्ली । तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी के खिलाफ अपनी सियासी अदावत के लिए मशहूर अधीर रंजन चौधरी के लिए शायद यही बात उनकी सियासत पर भारी पड़ी। ममता ने उनके खिलाफ गुजरात से ताल्लुक रखने वाले युसूफ पठान को उतारकर उन्हें बड़ी सियासी मात दी। चौधरी को उनके मजबूत गढ़ माने जाने वाले बहरमपुर में पूर्व क्रिकेटर युसूफ पठान के हाथों हार का सामना करना पड़ा। कभी पश्चिम बंगाल के मुस्लिम बाहुल जिले में ‘रॉबिन हुड’ की पहचान रखने वाले चौधरी ने वाम शासन के दौरान कड़े संघर्ष के बीच अपनी सियासी पारी को आगे बढ़ाया। 

राजीव गांधी के समय उन्होंने वामपंथी राजनीति के खिलाफ मोर्चा खोला और कांग्रेस के साथ जुड़े। राजीव गांधी के कहने पर 1991 के बंगाल विधानसभा चुनाव में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सिद्धार्थ शंकर रे ने अधीर को मुर्शिदाबाद के नबाग्राम से टिकट दिया। लेकिन वह हार गए। 1991 के विधानसभा चुनाव के बाद अधीर पर मुसीबत आ गई जब चुनाव हारने के बाद अधीर पर माकपा कार्यकर्ताओं की हत्या का आरोप लगा। पुलिस ने मामला दर्ज कर अधीर को जेल भेज दिया। 1996 के चुनाव तक अधीर जेल में ही थे। बाद में वह इसी सीट से विधायक बने। 

1999 के चुनाव में कांग्रेस ने अधीर चौधरी को लोकसभा का टिकट दिया और वह जीत गए। कहा जाता है कि प्रणब मुखर्जी को 2004 में अधीर ने मुर्शिदाबाद की जंगीपुर से चुनाव लड़ने के लिए कहा और आखिरकार मुखर्जी लोकसभा पहुंचे। वह संप्रग सरकार के दौरान रेल राज्य मंत्री रहे और 2019 में पार्टी ने उन्हें लोकसभा में अपना नेता बनाया।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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