मुंबई की एक विशेष अदालत ने एल्गार परिषद मामले में राव, सेन की अस्थायी जमानत याचिका की खारिज
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के विशेष सरकारी वकील प्रकाश शेट्टी ने याचिका पर आपत्ति जताई और अदालत से कहा कि जीवन को खतरा होने वाले किसी भी बीमारी से दोनों पीड़ित नहीं है और इनकी चिकित्सकीय रिपोर्ट में कहीं भी गंभीर बीमारी का जिक्र नहीं है, जिसमें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत हो।
मुंबई। मुंबई की एक विशेष अदालत ने शुक्रवार को एल्गार परिषद मामले में नागरिक अधिकार कार्यकर्ता वरवर राव और शोमा सेन की अस्थायी जमानत याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। कोरोना वायरस महामारी का हवाला देकर राव और सेन ने यह दावा करते हुए अस्थायी जमानत का अनुरोध किया था कि वे कई बीमारियों से ग्रसित हैं और अधिक उम्र होने की वजह से उनके संक्रमित होने का खतरा ज्यादा है। राव की उम्र 80 साल है, वहीं सेन 60 वर्ष की हैं।
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राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के विशेष सरकारी वकील प्रकाश शेट्टी ने याचिका पर आपत्ति जताई और अदालत से कहा कि जीवन को खतरा होने वाले किसी भी बीमारी से दोनों पीड़ित नहीं है और इनकी चिकित्सकीय रिपोर्ट में कहीं भी गंभीर बीमारी का जिक्र नहीं है, जिसमें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत हो। एनआईए के जवाब को स्वीकार करते हुए अदालत ने दोनों की याचिका खारिज कर दी। वहीं, इस मामले में गिरफ्तार दो अन्य लोगों, अरूण फरेरा और रोना विल्सन ने भी कोरोना वायरस महामारी का हवाला देते हुए जमानत मांगी है। उनकी याचिका पर तीन जुलाई को सुनवाई होगी। एल्गार परिषद मामले में कुल 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इन पर पुणे में 31 दिसंबर, 2017 को माओवादी समर्थित कार्यक्रम के दौरान भड़काउ भाषण देने का आरोप है। पुलिस का दावाहै कि इस कार्यक्रम के चलते ही अगले दिन हिंसा हुई।
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