संसदीय समिति की सभी बैठकों से नदारद रहे 95 सांसद, बीजेपी से ज्यादा कांग्रेस की रही उपस्थिति
बजट सत्र पर चर्चा का दौर चल रहा है और राज्यसभा में सभापति एम. वेंकैया नायडू ने संसद की स्थायी समितियों की बैठकों से सदस्यों की अनुपस्थिति पर चिंता जताई है। नायडू ने बताया कि 18 मंत्रालयों के आवंटन की समीक्षा करने वाली आठ विभाग संबंधित स्थायी समितियों की किसी भी बैठक में 95 सांसदों ने भाग नहीं लिया।
संसद जहां से इस देश को बहुत कुछ हासिल होता है और इसी संसद से जुड़ी संसदीय स्थायी समिति सबसे पहले तो आपको दो लाइनों में बता देते हैं कि संसदीय समिति है क्या?
- संसदीय समितियाँ वे मंच हैं जहाँ किसी प्रस्तावित कानून के ऊपर विस्तृत विचार-विमर्श होता है।
- ऐसी समितियों में विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों की संख्या के अनुपात में सांसद लिए जाते हैं।
बजट सत्र पर चर्चा का दौर चल रहा है और राज्यसभा में सभापति एम. वेंकैया नायडू ने संसद की स्थायी समितियों की बैठकों से सदस्यों की अनुपस्थिति पर चिंता जताई है। नायडू ने बताया कि 18 मंत्रालयों के आवंटन की समीक्षा करने वाली आठ विभाग संबंधित संसदीय स्थायी समितियों (डीआरएससी) की किसी भी बैठक में 95 सांसदों ने भाग नहीं लिया। नायडू ने पूरे ब्यौरे का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने तीन सप्ताह के संसदीय अवकाश के दौरान 20 बैठकें कीं। इस समिति में 244 सदस्य (लोकसभा से 166 और राज्यसभा से 78) हैं। नायडू ने बताया कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण (65.5%) समिति की बैठकों में सबसे अधिक उपस्थिति दर्ज की गई, जबकि सबसे कम उपस्थिति वाणिज्य डीआरएससी (32.3%) में थी।
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राज्यसभा में बीजेपी 244 में से 110 सांसदों की संख्याबल में हैं जिनमें से 58 प्रतिशत उपस्थित हुए और कांग्रेस के 32 सांसद (62 प्रतिशत) उपस्थित हुए। वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए गठित अनुदान मांगों की समितियों में से राज्यसभा की आठ समितियों ने 20 बैठकें कीं। 63 घंटे तक चली इन बैठकों में 18 मंत्रालयों की मांगों पर विचार किया गया। यह सदन की 10 बैठकों के बराबर थी।
संसद की स्थाई समितियों के प्रकार
अधिकांश संसदीय समितियाँ स्थायी होती हैं क्योंकि ये अनवरत् अस्तित्व में रहती हैं और सामान्यतः प्रत्येक वर्ष पुनर्गठित होती हैं।
कुछ समितियाँ किसी विशेष विधेयक पर विचार करने के लिए गठित होती हैं। अतः इन्हें “सिलेक्ट समितियाँ” कहा जाता है।
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