कोरोना का कहर: सूरत में 24 घंटे हो रहा अंतिम संस्कार, पिघल रहीं शवदाह गृह की भट्ठियां
उन्होंने कहा कि रख-रखाव से जुड़े कार्य में लगातार दिक्कतें होने के कारण दो जगह और लकड़ियों की चिता की व्यवस्था करने का फैसला किया गया है।
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सेलर ने कहा कि शवदाह गृह में छह गैस भट्ठी 24 घंटे जल रही हैं और तापमान 600 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। उन्होंने कहा कि इस कारण से लोहे की भट्ठी और चिमनी पिघलने लगी हैं और गर्मी के कारण इसमें दरार आ रही है। मशीन के इन हिस्सों को बदलना पड़ेगा। सूरत में सबसे पुराने अश्विनी कुमार शवदाह गृह में भी इसी तरह की समस्याएं सामने आ रही हैं और इसके प्रबंधन ने गैस भट्ठियों के रख-रखाव संबंधी मुद्दों के कारण शवों को जलाने के लिए लकड़ी की चिताओं की संख्या बढ़ाने का फैसला किया है। शवदाह गृह के प्रबंधक प्रशांत कबरावाला ने कहा, ‘‘हम 10 गैस भट्ठियों का संचालन करते हैं। इसके अलावा तीन स्थानों पर लकड़ियों से शवों का अंतिम संस्कार होता है। इससे पहले हर दिन 30 शवों का दाह-संस्कार होता था। अब 90-95 शवों का दाह संस्कार हो रहा है। ’’
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उन्होंने कहा कि भट्ठियों के लगातार जलते रहने से उनमें कुछ की संरचना पिघल गयी। अत्यधिक तापमान के कारण कुछ पाइप और चिमनी भी टूट गयीं। कबरावाला ने कहा, ‘‘हाल में चार में से दो भट्ठियों में ताप रोधी ईंट लगायी गयी थी जो कि कुछ समय से बंद हैं। रख-रखाव का काम करने वाले हमारे इंजीनियर हर दिन शवदाह गृह आकर दिक्कतें दूर करते हैं।’’ उन्होंने कहा कि रख-रखाव से जुड़े कार्य में लगातार दिक्कतें होने के कारण दो जगह और लकड़ियों की चिता की व्यवस्था करने का फैसला किया गया है।
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