Matrubhoomi: 60 दिनों तक चला युद्ध, दागे गए 2.50 लाख गोले, बम और रॉकेट, हिन्दुस्तान के शूरवीरों की 'विजय गाथा'
हिन्द के शूरवीरों ने घुसपैठिए बनकर आए पाकिस्तानी फौजियों के छक्के छुड़ा दिए। साठ दिन से ज्यादा चले युद्ध में पाकिस्तान को आखिरकार घुटने टेकने पड़े। कारगिल में हिंद के शूरवीरों के प्रचंड पराक्रम को प्रणाम करने के लिए हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है।
3 मई 1999 की वो तारीख जब कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर पाकिस्तान के सैनिकों ने कब्जा कर लिया था। जिसके बाद 18 हजार फीट की ऊंचाई पर तिरंगा लहराने के लिए भारतीय सेना के शूरवीरों ने ऑपरेशन विजय का इतिहास रचा। इस साल कारगिल विजय की 23वीं वर्षगांठ है। जब दो दशक पहले हिमाचल की चोटियों पर पाकिस्तान के द्वारा रची गई साजिश के खिलाफ हिन्दुस्तान की जीत पूरी हुई। हिन्द के शूरवीरों ने घुसपैठिए बनकर आए पाकिस्तानी फौजियों के छक्के छुड़ा दिए। साठ दिन से ज्यादा चले युद्ध में पाकिस्तान को आखिरकार घुटने टेकने पड़े। कारगिल में हिंद के शूरवीरों के प्रचंड पराक्रम को प्रणाम करने के लिए हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है।
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पाकिस्तान में कारगिल में घुसपैठ कर जम्मू कश्मीर को देश से अलग करने की बड़ी साजिश रची थी। अक्टूबर 1998 में मुशर्ऱफ ने कारगिल प्लान को मंजूरी दी थी। पाकिस्तान को लगा होगा कि ऊंची चोटी पर कब्जे के बाद ये इलाका हमेशा के लिए उनका हो जाएगा। लेकिन उन्हें भारतीय सेना के अद्मय साहस का अंदाजा नहीं था। भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के खिलाफ तब मिग 27 और मिग 29 लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया था। लेकिन बोफोर्स तोप के गोलों ने पाकिस्तान को हराने में बहुत अहम भूमिका निभाई थी। 13 जून को भारतीय सेना ने द्रास सेक्टर में तोलोलिंग पोस्ट पर तिंरगा लहराया था।
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कारगिल युद्ध और भारतीय सेना के साहस से जुड़ी 11 बातें
- ताशी नामग्याल कारगिल के बाल्टिक सेक्टर में अपने नए याक की तलाश कर रहे थे। इसी दौरान कोशिश करते-करते उन्हें अपना याक नज़र आ गया। लेकिन इस याक के साथ-साथ उन्हें जो नज़र आया उसे कारगिल युद्ध की पहली घटना माना जाता है। उन्होंने कुछ संदिग्ध लोगों को देखा और भारतीय सेना को तत्काल इस बारे में जानकारी दी।
- भारतीय सेना दोबारा अपनी पोस्टों पर गई तो पता चला कि पाकिस्तान सेना की तीन इंफेंट्री ब्रिगेड कारगिल की करीब 400 चोटियों पर कब्जा जमाए बैठी है। पाकिस्तान ने डुमरी से लेकर साउथ ग्लेशियर तक करीब 150 किलोमीटर तक कब्जा कर रखा था।
- 25 मई को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एक पत्रकार वार्ता के दौरान देश को कारगिल में हुई घुसपैठ की जानकारी दी। वहीं 26 मई को तत्कालीन वायुसेना प्रमुख एवाई टिपनिस ने एयर स्ट्राइक के आदेश जारी कर दिए। भारतीय वायुसेना के जवानों की ऑपरेशन सफेद सागर शुरू किया। इस बमबारी ने पूरे कारगिल को थर्रा दिया।
- कारगिल 1971 में एक के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच पहला युद्ध था जिसके कारण बांग्लादेश एक अलग देश के रूप में बना था।
- 27 मई को ही, भारतीय वायु सेना ने टाइगर हिल और प्वाइंट 4590 पर जबरदस्त हमला किया। इसी बीच, नीचे से भारतीय फौज की तोपों ने भी पहाड़ियों पर गोले बरसाना शुरू कर दिए। तोप से निकल रहे गोलों की आड़ में अब भारतीय फौज के जवानों ने पहाडि़यां चढ़ना शुरू कर दिया।
- भारतीय सेना ने 9 जून को बटालिक सेक्टर की दो अग्रिम चौकियों पर कब्जा कर भारतीय तिरंगा फहरा दिया। 13 जून को भारतीय सेना ने द्रास सेक्टर के तोलोलिंग चोटी पर भी कब्जा कर लिया। 2 जुलाई को भारतीय सेना ने कारगिल पर तीन तरफ से हमला बोला और 4 जुलाई को टायगर हिल पर भारतीय सेना की जांबाजी के प्रतीक के तौर पर तिरंगा फहराने लगा।
- 5 जुलाई को भारतीय सेना ने द्रास पर भी अपना कब्जा जमा लिया। वहीं 7 जुलाई को भारतीय सेना ने बटालिक की जुबर हिल पर भारतीय तिरंगा फहरा दिया। 11 जुलाई को भारतीय सेना के खौफ से पाकिस्तानी रेंजर्स को भागते हुए देखा गया। 14 जुलाई को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ऑपरेशन विजय की जीत की घोषणा कर दी।
- 26 जुलाई को तत्कालीन प्रधानमंत्री ने इस दिन को विजय दिवस के रूप में मनाए जाने का एलान किया।
- इस युद्ध में बड़ी संख्या में रॉकेट और बम का इस्तेमाल किया गया। इस दौरान करीब दो लाख पचास हजार गोले दागे गए। वहीं 5,000 बम फायर करने के लिए 300 से ज्यादा मोर्टार, तोपों और रॉकेट लांचर का इस्तेमाल किया गया।
- लड़ाई के 17 दिनों में हर रोज प्रति मिनट में एक राउंड फायर किया गया बताया जाता है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यही एक ऐसा युद्ध था जिसमें दुश्मन देश की सेना पर इतनी बड़ी संख्या में बमबारी की गई थी।
- इस लड़ाई में भारत के 527 वीर शहीद हुए और एक हजार से भी ज्यादा घायल हुए। भारत आज भी कारगिल में शहीद हुए अपने जवानों को श्रद्धाजंलि देता है।
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