कोरोना वायरस: मध्य प्रदेश में हो सकती है वेंटिलेटर एवं आईसीयू बिस्तरों की भारी कमी
मध्य प्रदेश में अब तक कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों की संख्या 440 पर पहुंच गयी है, जिनमें से 33 लोगों की मौत हो चुकी है। इस महामारी ने प्रदेश के जबलपुर में 20 मार्च को दस्तक दी थी और मात्र 21 दिन में इस बीमारी ने प्रदेश के 20 जिलों को अपनी चपेट में ले लिया है।
मध्य प्रदेश में अब तक कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों की संख्या 440 पर पहुंच गयी है, जिनमें से 33 लोगों की मौत हो चुकी है। इस महामारी ने प्रदेश के जबलपुर में 20 मार्च को दस्तक दी थी और मात्र 21 दिन में इस बीमारी ने प्रदेश के 20 जिलों को अपनी चपेट में ले लिया है। प्रदेश में इन्दौर में सर्वाधिक 235 कोरोना संक्रमित मरीज मिले हैं, जबकि भोपाल में 112 मरीज संक्रमित पाये गये हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार साढ़े सात करोड़ से अधिक आबादी वाले मध्य प्रदेश में सरकारी एवं निजी अस्पतालों को मिलाकर मार्च 2020 तक कुल 993 वेंटिलेटर और गहन चिकित्सा विभाग (आईसीयू) के 1,598 आईसीयू बेड उपलब्ध हैं। प्रदेश की साढ़े सात करोड़ से अधिक आबादी के साथ इन वेंटिलेटरों और आईसीयू बेडों की तुलना करने पर पता चलता है कि करीब प्रति 75,000 लोगों के लिए एक वेंटिलेटर है और प्रति 47,000 लोगों के लिए एक आईसीयू बेड है। लेकिन, इन वेंटिलेटरों एवं आईसीयू बेडों में से अधिकांश पर पहले से ही अन्य बीमारियों से जूझ रहे अति गंभीर मरीज हैं, जिससे मुसीबत और बढ़ सकती है। आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के अस्पतालों में कुल 29,914 बेड हैं, जिनमें से 9,492 आइसोलेशन (पृथक) वार्ड हैं।हम लोगों को जनप्रतिनिधियों, समाजसेवी - स्वयं सेवी संगठनों को, प्रशासन के साथ जोड़कर, #coronavirusinindia के ख़िलाफ़ युद्ध लड़ेंगे। ये हम सब की सहभागिता से ही होगा।
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) April 10, 2020
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आबादी के अनुसार वेंटिलेटर और आईसीयू बेड का अनुपात बहुत ही कम होने पर पूछे गये सवाल पर मेडिकल शिक्षा के प्रमुख सचिव संजय शुक्ला ने बताया कि अस्पतालों सहित चिकित्सा से जुड़े हर चीज को सुधारने के साथ-साथ आवश्यक हेल्थकेयर उपकरणों को खरीदने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने 200 वेंटिलेटर खरीदने के लिए आर्डर दे दिया है, लेकिन हमें इनके प्राप्त होने में कुछ समय लग सकता है, क्योंकि विश्वभर में चल रही कोरोना वायरस की महामारी के चलते इस जीवन रक्षक उपकरण की पूरी दुनिया में ही भारी मांग है। शुक्ला ने कहा कि राज्य सरकार के पास पैसे की कोई कमी नहीं है। लेकिन स्वास्थ्य सुविधाओं के ढांचे को विकसित करने पर वक्त लगता है। इसके अलावा, इन वेंटिलेटरों का संचालन करने के लिए हमें विशेषज्ञों की जरूरत भी होगी। फंड तो उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए हमारे पास 29,380 पीपीई किट्स हैं। एन-95 मास्क की संख्या 1.5 लाख तथा थ्री लेयर मास्क की संख्या 7.5 लाख है। वहीं, प्रदेश सरकार के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में वर्तमान में करीब 24.25 लाख हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की गोलियां उपलब्ध हैं। इस दवाई को मलेरिया सहित अन्य रोगों में उपयोग किया जाता है। इसे इस महामारी से लड़ने के लिए कारगर माना जा रहा है।
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