US में गांधी की मूर्ति तोड़ने वाले पीटर फ्रेडरिक का टूलकिट कनेक्शन, 2006 से क्यों तलाश रही पुलिस
दिल्ली पुलिस के मुताबिक पीटर फ्रेडरिक पर उनसकी नजरें 2006 से ही हैं। जब उसे खालिस्तानी आतंकवादी भजन सिंह भिंडर के साथ देखा गया था। दिल्ली पुलिस की डीसीपी (साइबर सेल) मनीषी चंद्रा के मुताबिक पीटर फ्रेडरिक 2006 के अंत से भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर है। पीटर ने भिंडर के साथ मिलकर दो किताबें भी लिखी हैं।
किसान आंदोलन के नाम पर देश को बदनाम करने वाली टूल किट की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है। नए-नए किरदार अब सामने आ रहे हैं। कर्नाटक से कनाडा तक साजिश के तार जुड़ रहे हैं। तफ्तीश में रोज नए नाम सामने आ रहे हैं। टूल किट गैंग में अब तक सात नामों का खुलासा हो चुका है। टूलकिट की तफ्तीश में ऐसा ही एक नाम सामने आया है। पीटर फ्रेडरिक का। दिल्ली पुलिस ने प्रेस काॅन्फ्रेंस में बकायदा न सिर्फ पीटर के नाम का खुलासा किया बल्कि उसे खालिस्तानी समर्थक भजन सिंह भिंडर का करीबी भी बताया। इसके अलावा मो धालीवाल का नाम भी सामने आया है जो पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन का को फाउंडर है। साथ ही साजिश की स्क्रिप्ट तैयार करने में पुनित,स निकिता जैकब, शांतनु मुलुक और दिशा रवि के सीधे तौर पर शामिल होने के सबूत भी मिल रहे हैं। इन सब के अलावा खालिस्तान आतंकी भजन सिंह भिंडर से भी साजिश के तार जुड़ते नजर आ रहे हैं। इसके साथ ही कनाडा की वैकूवर में रहने वाली अनीता लाल का नाम भी सामने आया है।
एफआईआर में साजिश का पूरा ब्लूप्रिंट है
एफआईआर नं- 8954001210049 ये टूलकिट की साजिश के गुनाहों की कुंडली है। ये दिल्ली हिंसा फैलाने वाले चेहरों के पापों का वो फंदा है, जिसके शिकंजे में सारे साजिशकर्ता का फंसना तय है। ये एफआईआर दिल्ली पुलिस ने टूलकिट मामले में दर्ज की है। एफआईआर में प्रतिबंधित सिख फाॅर जस्टिस का जिक्र है। गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में हुई हिंसा के तार इसी प्रतिबंधत संगठन से जुडे है। एफआईआर में लिखा है-
"सिख फाॅर जस्टिस की तरफ से गणतंत्र दिवस समारोह में बाधा डालने के लिए मुहिम छेड़ी गई थी। ये मुहिम संगठन ने अपनी कई वेबसाईटों और सोशल मीडिया प्लेटफार्म के जरिये चलाई। भारत विरोधी पोस्टों को साझा कर इससे हिंसा का माहौल बनाने की कोशिश की गई। साजिशकर्ता ने भारत की सांस्कृतिक आर्थिक और सामाजिक सामाजिक सोच को बदलने की साजिश रची। साथ ही विदेशों में भारत विरोध, यूनाइटेड नेशंस जैसी संस्थाओं में भारत के खिलाफ माहौल बनाने की साजिश हुई। दिल्ली पुलिस की एफआईआर में खालिस्तानी समर्थक पोएटिक जस्टिस संस्था का भी नाम है।" मो धालीवाल की इस संस्था ने एसएफजे के साथ मिलकर कैसे साजिश रची इसका खुलासा हो रहा है।
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भारत के खिलाफ रची गई साजिश की कहानी
एसएफजे और पोएटिक जस्टिस ने फेक न्यूज वीडियो को सोशल मीडिया पर अपलोड किया। ताकि भारत में धर्मों के बीच नफरत फैले। हिंसा के बाद दोनों संगठनों ने ये फेक न्यूज फैलाई की दिल्ली पुलिस के 200 जवानों ने इस्तीफा दे दिया है। ताकि लोगों में भ्रम फैले और हिंसा बढ़े। सिख फाॅर जस्टिस और पोएटिक जस्टिस संस्था दोनों ने आतंट के टूलकिट में लिखे एक-एक प्लान को अंजाम देने की पूरी कोशिश की।
टूलकिट मामले में एक नाम जो सामने आया है बताया जाता है कि दिल्ली पुलिस उसे 2006 से तलाश रही है। अब ऐसे में सवाल ये है कि आखिर कौन है पीटर फ्रेडरिक? टूलकिट से क्या है पीटर का कनेक्शन? और किसा मामले में दिल्ली पुलिस उसे 2006 से तलाश रही है।
बता दें 4 फरवरी को ग्रेटा थनबर्ग ने जो टूलकिट ट्वीट किया था उसमें पीटर फ्रेडरिक का नाम था। दिल्ली पुलिस के अनुसार फ्रेडरिक खालिस्तान समर्थक है और 2006 से सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर है। अब पीटर फ्रेडरिक के बारे में आपको थोड़ा और विस्तार से बताते हैं।
दक्षिण एशिया में भारत और पाकिस्तान को मिलाकर आठ देश हैं। कहा जाता है कि पीटप फ्रडरिक न्यूज चैनल्स के डिबेट्स में भारत के खिलाफ पाकिस्तान का अक्सर पक्ष रखता है और उसके एजेंडे को मजबूत करता है। पीटर फ्रेडरिक का ट्वीटर एकाउंट केंद्र सरकार, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भारत विरोधी विचारों से भरा पड़ा है। उसके द्वारा अंग्रेजी में किए गए इन ट्वीट्स का मजमून आपको हिंदी में बताते हैं।
फ्रेडरिका ने लिखा- य़दि आप भारत में ट्विटर पर हैं और आप आरएसएस, भाजपा या मोदी के खिलाफ पोस्ट करते हैं तो आपको निशाना बनाया जा सकता है। यह एक वास्तविकता है, आप इसके साथ क्या करेंगे? अपना खाता निजी बनाएं? इसे मिटाओ? आगे बढ़ते रहेंगे?
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एक अन्य ट्वीट में पीटर फ्रेडरिक ने दिशा रवि की रिहाई की मांग की है। उन्होंने लिखा कि एक सूचनात्मक "टूलकिट" को साझा करने को लेकर उन पर "भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश" के आरोप लगाए गए हैं।
पीटर फ्रेडरिक साउथ एशियन अफेयर्स एनलिस्ट होने का दावा करता है। फ्रेडरिक की अपने नाम से एक वेबसाइट है। ट्वीटर पर 14 हजार से ज्यादा फाॅलोअर्स हैं। इसके साथ ही पीटर ने कोलंबिया विश्वविद्यालय, स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय, यूसी बर्कले, यूसी लाॅस एंजिल्स, कार्लटन विश्वविद्यालय और सेंट स्टीफेंस काॅलेज में व्याख्यान दिया है।
एक इंटरव्यू में पीटर ने ये भी माना था कि जून 2020 में जब अमेरिका में महात्मा गांधी की मूर्ति पर हमला हुआ था तब वो इस हमले में शामिल था।
2006 से सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर
दिल्ली पुलिस के मुताबिक पीटर फ्रेडरिक पर उनसकी नजरें 2006 से ही हैं। जब उसे खालिस्तानी आतंकवादी भजन सिंह भिंडर के साथ देखा गया था। दिल्ली पुलिस की डीसीपी (साइबर सेल) मनीषी चंद्रा के मुताबिक पीटर फ्रेडरिक 2006 के अंत से भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर है। पीटर ने भिंडर के साथ मिलकर दो किताबें भी लिखी हैं। जिसें वो सारी बाते कहीं गई हैं जिसका जिक्र अक्सर भारत के खिलाफ पाकिस्तान करता है। भिंडर पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी आईएसआई के कश्मीर खालिस्तान डेस्क से जुड़ा है। दिल्ली पुलिस की मानें तो पीटर फ्रेडरिक अभी भारत के खिलाफ प्रोपेगैंडा वार चला रहा है। इसके अलावा पीटर का नाम एक और संगठन सिख इनफाॅर्मेशन सेंटर से भी जुड़ा हुआ है। ये संगठन खालिस्तानी एजेंडा के लिए काम कर रहा है।
लोकसभा चुनाव 2019 के परिणामों के बाद पीटर फ्रेडरिक ने कहा था कि मेरा मानना है कि ये लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ी घटना है। हमें ये याद रखना होगा कि लोकतंत्र 5 साल में सिर्फ 2 सेकेंड लगाकर बटन दबाना नहीं है और क्सी को सिर्फ नेतृत्व करने के लिए चुनना ही नहीं है। लोकतंत्र असल में समाज के लिए है। ये एक्टिव वोटिंग से ज्यादा है। लोकतांत्रिक अधिकार सीमित हैं। हम में देख सकते हैं कि भारत जल्द ही असंगठित सेंट्रलाइज्ड और तानाशाही लोकतंत्र होता जा रहा है।
बहरहाल पीटर फ्रेडरिक कहां है इसके बारे में जांच एजेंसियों के पास कोई सुराग नहीं है, लेकिन इतना जरूर साफ हो चुका है कि टूलकिट के इस कांड में अभी कई और चेहरों से नकाब उतरना बाकी है।- अभिनय आकाश
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