नेहरू ने किया था खत्म, वाजपेयी ने देखा था सपना, जानें 20 साल बाद क्‍यों पड़ी CDS की जरूरत

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अभिनय आकाश । Dec 30 2019 2:54PM

सीडीएस फोर स्टार जनरल होंगे जिनकी सैलरी सर्विस चीफ (आर्मी चीफ, नेवी चीफ, एयरफोर्स चीफ) के बराबर होगी। पहले इसे पांच स्टार देने पर विचार हो रहा था। लेकिन फील्ड मार्शल को ही पांच स्टार मिलता है। ऐसा होने से ये प्रिंसिपल सेक्रेटरी से भी ऊपर हो जाता।

भारी जनादेश के बाद दोबारा सत्‍ता के शिखर पर काबिज होने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्‍तान के बालाकोट एयर स्‍ट्राइक, जम्‍मू-कश्‍मीर से आर्टिकल 370 के खात्‍मे के बाद स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले के प्राचीर से एक ऐलान किया था। सुरक्षा के मोर्चे पर नई चुनौतियों से निपटने के लिए देश की तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बेहद जरूरी है और इसी को देखते हुए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) का नया पद सृजित किया जाएगा।  24 दिसंबर 2019 को सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने उसके पूरे होने की घोषणा कर दी। केंद्रीय कैबिनेट ने तीनों सेनाओं के लिए एक सीडीएस का पद बनाने की सहमति दे दी है। सीडीएस को आजाद भारत में सबसे महत्वपूर्ण सैन्य सुधार बताया जा रहा है। ऐसा क्यों है साथ ही क्या होंगे इसके कार्य और अधिकार और ये किसे रिपोर्ट करेगा। आखिर क्यों इसकी जरूरत आ पड़ी। जैसे कई सवाल हैं जो इस बेहद ही अहम पद से जुड़े हैं। और वैसे भी ये देश से जुड़ी बात है तो हम तो ऐसे लोग हैं कि देश की बात आने पर दिवाली की झालरें भी सोच समझकर खरीदते हैं। तो इसलिए हमने कुछ डिफेंस एक्सपर्ट्स से बात करके और पूर्व सैन्य अधिकारियों से इस मामले की बारिकियों को समझ कर आपको आसान भाषा में देश के सुपरचीफ यानी चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ से जुड़े सारे सवालों का एमआरआई स्कैन करेंगे। 

अंग्रेजों के जमाने में सेना के लिए कमांडर इन चीफ इंडिया का पद होता था। जिसकी ताकत वायसराय से नीचे थी। लेकिन आजादी के बाद इतने ताकतवर पद की जरूरत नहीं होने की वजह से 1955 में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सैन्य बल का विकेन्द्रीकरण करके चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद को समाप्त कर दिया था। 

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क्यों हुई सीडीएस की सिफारिश

कारगिल युद्ध के दौरान वायुसेना और भारतीय सेना के बीच तालमेल का अभाव साफ दिखाई दिया था। वायुसेना के इस्तेमाल पर तत्कालीन वायुसेनाध्यक्ष और सेनाध्यक्ष जनरल वीपी मलिक की राय अलग-अलग थी। करगिल में आर्मी ने इसे आपरेशन विजय कहा और एयरफोर्स ने आपरेशन सफेद सागर कहा। जिसके बाद इस पर विचार करने के लिए के सुब्रह्मण्यम की अध्यक्षता में कारगिल रिव्यू कमेटी बनी। संसद में पेश हुई कमेटी की रिपोर्ट में साफ लिखा था कि देश में सेनाओं के तालमेल के लिए तीनों सेना प्रमुखों से ऊपर भी कोई होना चाहिए। समिति के चेयरमैन के. सुब्रमण्यम विदेशमंत्री एस. जयशंकर के पिता थे। कारगिल रिव्यू कमेटी की रिपोर्ट के बाद दो और कमेटी बनीं। 2012 में नरेश चंद्र कमेटी। जिसे इस रिपोर्ट पर हुए अमल पर टिप्पणी करनी थी। जिसने सलाह दी कि चीफ ऑफ, CDS जैसा पद न भी बनाया जाए तो चीफ आफ स्टाफ कमेटी को एक स्थायी अध्यक्ष दे दिया जाए। नरेश चंद्र समिति की COSC की सिफारिश वर्तमान में भी काम कर रही है।

2016 में डीवी सेतकर की कमेटी बनी। इसके 99 सुझावों में एक ये भी था कि भारत सरकार और सेनाओं के तालमेल के लिए सिंगल प्वाइंट एडवाइजर हो- चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ। 


क्या रहेगा रोल

सीडीएस फोर स्टार जनरल होंगे जिनकी सैलरी सर्विस चीफ (आर्मी चीफ, नेवी चीफ, एयरफोर्स चीफ) के बराबर होगी। पहले इसे पांच स्टार देने पर विचार हो रहा था। लेकिन फील्ड मार्शल को ही पांच स्टार मिलता है। ऐसा होने से ये प्रिंसिपल सेक्रेटरी से भी ऊपर हो जाता। बाद में चार स्टार जनरल की रैकिंग देने पर सहमति बनी। सीडीएस के पास सेक्रेटरी लेवल की पावर होगी। उनके पास फाइनेंशियल पावर होगी और वह फाइल सीधे रक्षा मंत्री को भेज सकते हैं उन्हें डिफेंस सेक्रेटरी के जरिए जाने की जरूरत नहीं होगी। सीडीएस के पद से मुक्त होने के बाद वह कोई सरकारी पद नहीं ले सकेंगे। साथ ही पदमुक्त होने के बाद पांच साल तक बिना इजाजत के कोई प्राइवेट जॉब जॉइन नहीं कर सकते। सीडीएस के पास सेनाओं में किसी कमांड का नियंत्रण नहीं होगा। वो सेनाओं के बीच कमांड एंड कंट्रोल के ढांचे में सबसे ऊपर होंगे। उनकी पहुंच सीधे रक्षा मंत्री तक होगी। जरूरत पड़ने पर रक्षा मंत्री से जमीनी टुकड़ियों तक कम समय में इनपुट पहुंचाना और वहां से कम से कम समय में मंत्रालय तक इनपुट पहुंचे सीडीएस उसे सुनश्चित करेंगे।

खरीद में भी अहम भूमिका

सीडीएस डिफेंस एक्युजिशन काउंसिल (डीएसी) के भी मेंबर होंगे साथ ही डिफेंस प्लानिंग कमिटी के भी। न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी के मिलिट्री अडवाइजर के तौर पर भी सीडीएस काम करेंगे। तीनों सेनाओं के लिए खरीदारी के जो प्रस्ताव आएंगे उनमें जरूरतों के हिसाब से प्राथमिकता तय करेंगे।

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क्या होंगी चुनौतियां

सबसे पहले तो अपना महकमा स्थापित करना चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की सबसे बड़ी चुनौती होगी। कौन सा अफसर किसके पास जाएगा और अपने महकमे को सरकार के अन्य अंगों के साथ काम करने और साथ लेकर चलने की चुनौती होगी। सिस्टम के पूर्ण रूप से संचालन प्रक्रिया में दो से तीन साल का समय लग सकता है।

किन-किन देशों में है सीडीएस का पद

नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन से जुड़े ज्यादातर देशों में सेनाओं के सर्वोच्च पद पर चीफ ऑफ डिफेंस नियुक्त करने की व्यवस्था है। वर्तमान में ब्रिटेन, इटली, कनाडा, फ्रांस, गांबिया, घाना, नाइजीरिया, स्पेन, श्रीलंका और सियरा लियोन समेत 70 देशों में यह व्यवस्था है। 

इटली का चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, इटैलियन ऑर्म्ड फोर्सेज के सर्वोच्च पद को बताता है।

चीफ ऑफ़ स्टाफ ऑफ़ अर्मीज फ्रांस की सेनाओं के कर्मचारी मुख्यालय का प्रमुख होता है। यह पद 28 अप्रैल 1948 को बनाया गया था।

चीफ ऑफ़ दा जनरल स्टाफ ताइवान में रिपब्लिक ऑफ चाइना सशस्त्र बलों का प्रमुख है। यह पद 23 मई 1946 को बनाया गया था।

चीफ ऑफ़ डिफेन्स स्टाफ, स्पेनिश सशस्त्र बलों में सर्वोच्च रैंकिंग वाला सैन्य अधिकारी है। यह; रक्षा मंत्री, प्रधानमंत्री, राष्ट्रीय रक्षा परिषद और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रमुख सैन्य सलाहकार के तौर पर काम करता है।

चीफ ऑफ़ डिफेन्स स्टाफ कनाडाई सशस्त्र बलों का दूसरा सबसे वरिष्ठ सदस्य है। 

चीफ ऑफ स्टाफ, ज्वाइंट स्टाफ; जापान में सर्वोच्च श्रेणी का सैन्य अधिकारी और जापान सेल्फ डिफेंस फोर्सेज (JSDF) के ऑपरेशनल अथॉरिटी (कमांड) का प्रमुख होता है। 

ब्रिटेन में सीडीएस सभी सशस्त्र बलों का प्रोफेशनल हेड होता है और वहां के रक्षा मंत्रालय और प्रधानमंत्री का सबसे वरिष्ठ सैन्य सलाहकार होता है।

केंद्र सरकार ने तीनों सेनाओं के नेतृत्व के लिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) की मंजूरी दे दी है। सीडीएस मिलिट्री मामलों में सरकार को सलाह देने वाला मुख्य सलाहकार होगा। रक्षा मंत्रालय के तहत एक नया विभाग बनाया जाएगा जिसका नाम होगा डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स (डीएमए) और सीडीएस इस विभाग के प्रमुख होंगे। यह आजादी के बाद भारत में डिफेंस में सबसे बड़ा रिफॉर्म है। यह सुझाव 20 साल पहले आया था, चीन और पाकिस्‍तान के दोतरफा खतरे से निपटने के लिए सीडीएस बनाने का प्रस्‍ताव अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री रहने के दौरान से लंबित था, लेकिन राजनीतिक सहमति नहीं होने की वजह से पूरा नहीं हो पाया था। 1999 की करगिल लड़ाई के प्रमुख सबकों में से यह एक था और यह अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार का अधूरा एजेंडा भी था। करगिल युद्ध के बाद से ही इसकी जरूरत महसूस की जा रही थी। जिसे 20 साल बाद पीएम मोदी ने पूरा किया।

- अभिनय आकाश

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