हम न भूलते हैं, न माफ करते हैं... देश के दुश्मनों को ठिकाने लगाने के लिए खुफिया एजेंसियों का मिशन खल्लास
गुरपतवंत सिंह पन्नू को लेकर मीडिया रिपोर्ट के हवाले से दावा किया जाने लगा कि अमेरिका में एक सड़क दुर्घटना में पन्नू की मौत हो गई। देखते ही देखते एनएसए अजित डोभाल की तस्वीरें भी वायरल होने लगी।
क्या भारत एक खुफिया ऑपरेशन में लगा हुआ है? क्या भारत ने बदला लेने में इजरायल को भी पीछे छोड़ दिया है। ये ऐसे सवाल हैं जिस पर दुनियाभर में कई दिनों से चर्चा चल रही है। दरअसल, बीते दिन सोशल मीडिया पर अचानक ही एक खालिस्तानी आतंकी ट्रेंड करने लगा। गुरपतवंत सिंह पन्नू को लेकर मीडिया रिपोर्ट के हवाले से दावा किया जाने लगा कि अमेरिका में एक सड़क दुर्घटना में पन्नू की मौत हो गई। देखते ही देखते एनएसए अजित डोभाल की तस्वीरें भी वायरल होने लगी। इसके साथ ही लोगों की तरफ से पन्नू के भड़काऊ वीडियो शेयर करते हुए कहा जाने लगा कि देश के दुश्मनों का यही हश्र होगा। हालांकि बाद में ये साफ हो गया कि पन्नू अभी जिंदा है और सड़क दुर्घटना में मौत की बातें केवल अटकलबाजी थी। हालांकि देश के दुश्मनों को उसके अंजाम तक पहुंचाने के लिए विभिन्न देशों की सीक्रेट एजेंसियों की तरफ से इस तरह के ऑपरेशन को अंजाम दिया जाता रहा है।
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एक-एक कर हो रही मौत की क्रोनोलॉजी
भारत पर हमला करने वाले पाकिस्तानी और खालिस्तानी आतंकी चुन-चुनकर मारे जा रहे हैं। पहले तो निशाने पर पाकिस्तान के आतंकवादी ही थे। लेकिन अब तो तीन देशों में बैठे भारत के मोस्ट वांटेड खालिस्तानी आतंकवादियों को भी ठिकाने लगा दिया गया है। अब ये आपसी लड़ाई में मरे हैं या किसी सीक्रेट ऑपरेशन में ये कहा नहीं जा सकता। लेकिन ये बात बिल्कुल सच है कि दुनिया में एक बड़ा खेल चल रहा है। पिछले कुछ महीनों में भारत को तोड़ने के सपने देख रहे तीन बड़े खालिस्तानी आतंकियों को मार दिया गया है। सबसे ताजा मामले में कनाडा में कुख्यात खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर को दो अज्ञात लोगों ने गोली मार दी। हरदीप सिंह निज्जर एक खतरनाक खालिस्तानी आतंकवादी था। निज्जर की हत्या कोलंबिया के ब्रिटिश प्रांत में हुई। 2020 में भारत के गृह मंत्रालय ने निज्जर को आतंकवादी घोषित किया था। इससे एक महीने पहले 6 मई को इसी तरह, परमजीत सिंह पंजवार लाहौर की सनफ्लावर सोसाइटी में अपने घर के पास अपनी नियमित मॉर्निंग वॉक पर था। एक बाइक पर सवार दो बंदूकधारियों ने गोलियां चलाईं और खालिस्तान कमांडो फोर्स के प्रमुख खून से लथपथ होकर गिर पड़ा। इतना ही नहीं पिछले हफ्ते, खालिस्तान के एक प्रमुख प्रतिपादक और अलगाववादी अमृतपाल सिंह के हैंडलर अवतार सिंह खांडा का ब्रिटेन के एक अस्पताल में निधन हो गया। खांडा को हाल ही में टर्मिनल कैंसर का पता चला था। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि उनकी मौत का कारण जहर बताया गया। जनवरी में लाहौर के पास एक गुरुद्वारे के परिसर में हरमीत सिंह उर्फ हैप्पी पीएचडी की हत्या कर दी गई थी। हरमीत सिंह नार्को-टेरर और खालिस्तानी आतंकियों को ट्रेनिंग और ट्रेनिंग देने में शामिल था। वह 2016-2017 में पंजाब में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेताओं की हत्याओं में शामिल था। निज्जर, पंजवार, खंडा और हरमीत उन चार प्रमुख खालिस्तानी आतंकवादियों में शामिल हैं जिनकी हाल के महीनों में विदेश में रहस्यमय तरीके से मौत हो गई है। कनाडा के विश्व सिख संगठन ने मंगलवार को हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय खुफिया एजेंसियों की भूमिका का आरोप लगाया।
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एक्टिव हुए खालिस्तानी और फिर...
इन मौतों की टाइमिंग भी काफी दिलचस्प है। खालिस्तान समर्थक गतिविधि में हाल के वर्षों में वृद्धि देखी गई है। यूके, कनाडा, पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया में स्थित खालिस्तानी आतंकवादियों ने अलगाववादी आग को हवा दी है। अभी पिछले हफ्ते, कनाडा में कई जगहों पर खालिस्तान समर्थक रैली के पोस्टर देखे गए, जिसमें 1985 में एयर इंडिया बम धमाकों के कथित मास्टरमाइंड तलविंदर परमार का महिमामंडन किया गया था। पोस्टर में खालिस्तानी आतंकवादी को 'शहीद भाई तलविंदर परमार' के रूप में संदर्भित किया गया था और 25 जून (रविवार) को दोपहर 12.30 बजे (स्थानीय समयानुसार) एक कार रैली का विज्ञापन किया गया था।
भारत के वॉन्टेड आतंकियों का पाकिस्तान में हो रहा सफाया
कुछ ऐसा ही आतंक की पनाहगाह पाकिस्तान का भी हाल है। जहां इन दिनों कोहराम मचा है। पाकिस्तान वैसे तो आतंकियों का सबसे महफूज पनाहगाह है, इस बात से तो पूरी दुनिया वाकिफ है। लेकिन अब पाकिस्तानी आतंकवादी अपने घर में ही सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं। पाकिस्तान में आतंकी पर यादों को चुन चुन कर मारा जा रहा है। इसलिए पाकिस्तान का हर आतंकी इस वक्त सेफ हाउस की तलाश कर रहा है। भारत के सबसे वांछित आतंकवादियों में से एक इम्तियाज आलम उर्फ बशीर अहमद पीर, पाकिस्तान के रावलपिंडी में मौत हो जाती है। फिर 26 फरवरी को अज्ञात लोगों ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन अल बद्र के पूर्व कमांडर सैयद खालिद रजा की हत्या कर दी। फरवरी में ही पाकिस्तान में एक और कश्मीरी आतंकी की हत्या की खबर आई। इस आतंकी का नाम खालिद राजा बताया गया। खबर तो ये भी है कि इसी डर से दाउद इब्राहिम से लेकर हाफिज सईद ने खुद को अंडरग्राउंड कर लिया है। कुछ दिन पहले ही पाक के पूर्व मेजर ने दावा किया है कि भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ लाहौर में ऑपरेशन कर रही है। हालांकि इसको लेकर कोई पुष्ट जानाकारी अभी तक सामने नहीं आई है।
अपने दुश्मनों को कभी भूला नहीं करता मोसाद
1980-90 के दशक में फिलिस्तीन समर्थक चरमपंथी गुटों के पास कई बार एक साथ एक गुलदस्ता आता था। साथ में आता था एक नोट हम न भूलते हैं और न माफ करते हैं। उसके बाद उसके परिवार के किसी शख्स की हत्या हो जाती थी। ये इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद का तरीका था। कहा जाता है कि इजरायल के दुश्मन पाताल में भी छुप जाते तो मोसाद उन्हें ढूढ़ लाती। 6 सितंबर 1972 की वो तारीख जब सभी लोग अपने टेलीविजन से चिपके हुए थे। जर्मनी के म्युनिख शहर में ओलंपिक चल रहा था। लेकिन उस दिन लोग खेल नहीं देख रहे थे। बल्कि वहां जिंदगी और मौत की लड़ाई चल रही थी। फिलिस्तीन के चरमपंथी संगठन के कुछ सदस्यों ने इजरायल के खिलाड़ियों को बंधक बना लिया था। इस संगठन का नाम ब्लैक सेप्टंबर था। इन लोगों ने इजरायली दल के दो सदस्यों की हत्या कर डाली और बाकियों को छो़ड़ने की एवज में 200 फिलिस्तियों की रिहाई की मांग कर डाली। जर्मनी पशोपेश में था। चांसलर ने इजरायली पीएम को फोन मिलाया और इस घटना को लेकर जानकारी दी। उन्होंने दो टूक जवाब दिया कि इजरायल आतंकवादियों की कोई भी मांग नहीं मानता चाहे कोई भी कीमत चुकानी पड़े। फिर अचानक टीवी पर एक खबर फ्लैश हुई की बंधक खिलाड़ियों को बचा लिया गया। लेकिन अगली सुबह पता चली की ये खबर झूठी थी और चरमपंथियों ने 9 खिलाड़ियों को मार डाला। खिलाड़ियो की हत्या का आरोप दो आतंकी संगठनों पर लगा और इसे अंजाम देने वाले 11 लोगों की लिस्ट भी सामने आई, जो दूसरे देशों में छिप गए थे। इजरायल इन सभी आतंकियों को मौत देना चाहता था। इसका काम खुफिया एजेंसी मोसाद को सौंपा गया। इस मिशन को रैथ ऑफ गॉड का नाम दिया गया। मोसाद की टीम ने एक के बाद एक सभी आतंकियों के ठिकाने का पता लगा लिया और एक-एककर सभी आतंकियों को मौत के घाट उतारना शुरू कर दिया।
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पाकिस्तान में घुसे कमांडोज
21 साल पहले आतंकी संगठन अलकायदा ने अमेरिका पर खौफनाक हमला किया था। जिससे कम से कम तीन हजार लोगों की मौत हो गई। जिसे देख पूरी दुनिया हैरान रह गई। 9/11 के हमलों के बाद के दो दशकों में, वाशिंगटन ने हमलों के अपराधियों की तलाश की और उन्हें दंडित किया। हालांकि इसमें समय लगा, लेकिन अमेरिका अपने लक्ष्य पर अडिग रहा। कुछ मुख्य दोषियों को जेल भेजा जा चुका है। कोई ओसामा बिन लादेन या अयमान अल-जवाहिरी की तरह मारा गया। 2001 में जब अल कायदा ने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला किया, तो उसका शीर्ष नेता ओसामा बिन लादेन था। अल कायदा ने मूल रूप से अमेरिका के वजूद को ही झकझोड़ कर रख दिया था। 9/11 हमलों के मुख्य साजिशकर्ता बिन लादेन को 2 मई, 2011 को अमेरिकी नौसेना के जवानों ने मार गिराया था। बिन लादेन पाकिस्तान के एबटाबाद में छिपा था। लेकिन वो अमेरिकी खुफिया विभाग की नजरों से नहीं बच पाया। अमेरिकी सेना ने उस अड्डे में प्रवेश किया और अल कायदा के शीर्ष नेता को मार गिराया। यह ऑपरेशन 'नेप्च्यून स्पीयर' को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के समय में अंजाम दिया गया।
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