Maldives, नेपाल, बांग्लादेश हो या अमेरिका, मोदी के सामने किसी की भी अकड़ ज्यादा देर नहीं टिकती, अब चीन समर्थक मुइज्जू भी जबरा फैन हो गए

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अभिनय आकाश । Aug 14 2024 1:10PM

अमेरिका पर नजर डालें तो नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम के बाद मोदी संग उनके दोस्ती के चर्चे बहुत थे। लेकिन जब अमेरिकी चुनाव में जो बाइडेन की जीत हुई तो कहा जाने लगा कि अब क्या होगा। बाइडेन संग भारत के रिश्ते कैसे होंगे। कुछ दिन ऐसी खबरें चली लेकिन फिर बाइडेन की विभिन्न मंचों पर खुद ही मोदी की तरफ भागे चले आने की तस्वीरें भी दुनिया ने देखी। व्हाइट हाउस के राजकीय भोज की बात तो आपको याद ही होगी। अमेरिकी कांग्रेस में संबोधन पर कई बार स्ट्रैंडिग ऑबेशन भी मिला। यानी भारत को कोई फर्क नहीं पड़ता चाहे सत्ता में कोई हो।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले 10 सालों में अंतरराष्ट्रीय राजनीति में वह कद बनाया है जो चीन और पाकिस्तान के हुक्मरान सोच भी नहीं सकते। मोदी की गिनती आज अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जैसे नेताओं के साथ होती है। बल्कि अप्रूवल रेटिंग की मानें तो मोदी की पॉपुलैरिटी इन सब से काफी आगे है। पड़ोसी देशों को लेकर बहुत चर्चा होती है। कहा जाता है कि नरेंद्र मोदी के राज में पड़ोसी देशों से भी संबंध अच्छे नहीं हैं। लेकिन अगर पिछले 10 वर्षों का नरेंद्र मोदी का ट्रैक रिकॉर्ड देखें तो डिप्लोमेसी का ऐसा नजारा देखा जाता है जिसमें पड़ोसी देश ही नहीं दुनिया का कोई भी देश भारत के सामने ज्यादा देर तक अकड़ कर नहीं रह सकता है। फिर चाहे वो हमारे पड़ोसी देशों में नेपाल, श्रीलंका या मालदीव हो। इन सब से इतर दुनिया के सबसे ताकवर देश अमेरिका, इस्लामिक मुल्कों की तरफ नजर घुमाएं तो स्थिति कमोबेश ऐसी ही है। लेकिन एक और देश जिसे कहा जा रहा था कि वो चीन की गोद में बैठा है, भारत विरोधी एजेंडा चला रहा है, इंडिया आउट का नारा बुलंद कर रहा है। अब उसकी भी अकड़ ढीली पड़ती नजर आ रही है। हम बात मालदीव की कर रहे हैं। दरअसल, मालदीव ने 28 द्वीपों की व्यवस्था को भारत को सौंपने का फैसला किया है। इन 28 द्वीपों पर अब पानी की सप्लाई और सीवर से जुड़ी परियोजनाों पर काम करने और इसकी देखरेख की जिम्मेदारी भारत सरकार की होगी। 

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मुइज्जू ने क्यों सौंपे 28 द्वीप?

बड़ा और अहम सवाल ये है कि मुइज्जू ने 28 द्वीपों की व्यवस्था भारत को क्यों सौंप दी। आपको बता दें कि मालदीव में होटल और रिसार्ट्स के लिए कूड़ा फेंकने के सख्त नियम हैं। होटलों और रिसार्ट्स के लिए कचरे को अलग अलग करना जरूरी है। ठोस कचरे को थिलाफुशी द्वीप पर भेजा जाता है। यहां उसे गलाया जाता है। होटलों और रिसॉर्ट्स को ये सुनिश्चित करना होता है कि उनका कचरा सही तरीके से पैक और लेबल किया गया हो। जिससे वो सुरक्षित रूप से थिलाफुशी पहुंचाया जा सके। ये द्वीप माले से 7 किलोमीटर दूर है। कूड़े के निस्तारण के लिए भारत मालदीव को टेक्नोलॉजी और वित्तिय मदद देता है। 

जयशंकर-जमीर में क्या हुई  बात

मालदीव के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर की यहां की यात्रा द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। मंत्रालय ने कहा कि दोनों देशों ने अपनी मित्रता और मजबूत संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने की इच्छा व्यक्त की है।  मालदीव के विदेश मंत्रालय ने रविवार को एक बयान में कहा कि विदेश मंत्री मूसा जमीर और डॉ जयशंकर दोनों ने मालदीव और भारत के बीच मित्रता और मजबूत संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने की इच्छा व्यक्त की। जमीर ने मालदीव सरकार और उसके लोगों की सभी क्षेत्रों में भारत के साथ सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता दोहराई, जिससे द्विपक्षीय संबंधों में स्पष्ट रूप से सुधार का संकेत मिलता है।

मुइज्जू के बदले सुर

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने पड़ोसी देश भारत के साथ संबंधों को संरक्षित और मजबूत करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की और इसे द्वीपसमूह राष्ट्र के निकटतम सहयोगियों और अमूल्य भागीदारों में से एक बताया। मुइज्जू ने स्वीकार किया कि भारत ने जब भी  मालदीव को जरूरत पड़ी है सहायता प्रदान की है और पहल महत्वपूर्ण आर्थिक लाभ प्रदान करेगी, स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा देगी और साथ में देश की समृद्धि में योगदान देगी। उन्होंने  मालदीव को उदार और निरंतर सहायता के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार का आभार व्यक्त किया।

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मालदीव की विपक्षी पार्टी ने भी बदले स्डैंड को सराहा

मालदीव के मुख्य विपक्षी दल मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) ने राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू नीत सरकार द्वारा अपनी भारत नीति में अचानक किए गए बदलाव का स्वागत किया और कहा कि माले इस बात को लेकर हमेशा आश्वस्त रहा है कि देश पर जब भी संकट आएगा और वह मदद के लिए पुकारेगा, तो नई दिल्ली सबसे पहले सहायता करेगा।  

बांग्लादेश 

हमारे पड़ोसी देश बांग्लादेश में भारत समर्थक मानी जाने वाली शेख हसीना को ढाका छोड़कर भारत में शरण लेना पड़ा। कई सारे लोग इस कदम पर सवाल भी उठा रहे हैं। इसके साथ ये भी कहा जा रहा है कि अब अमेरिका का प्रभाव वहां बढ़ गया। लेकिन ये अमेरिका का प्रभाव वाया आईएसआई बांग्लादेश में आया है। शेख हसीना की चिट्ठी भी जारी हुई। फिर वापस हुई और उनके बेटे ने सफाई भी दी। सेंट मार्टिन द्वीप का विवाद भी चर्चा में है।  

नेपाल 

नेपाल के गृहमंत्री रमेश लेखक ने कहा कि नेपाली जमीन का इस्तेमाल उसके पड़ोसियों के खिलाफ किसी भी गतिविधि के लिए नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने भारत को आश्वासन दिया कि नेपाल पड़ोसी देश के खिलाफ ऐसी किसी भी गतिविधि को बर्दाश्त नहीं करेगा।  विक्रम मिस्री नेपाल में ही थे। वहां वो विदेश सचिव के बुलावे पर गए थे। वहां  स्पष्ट तौर पर कहा गया कि नेपाल की जमीन का प्रयोग किसी भी कीमत पर भारत के खिलाफ नहीं होगा। एक समय में ये भी भ्रम फैलाया जाने लगा था कि नेपाल भारत का विरोधी हो गया। 

अमेरिका 

अमेरिका पर नजर डालें तो नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम के बाद मोदी संग उनके दोस्ती के चर्चे बहुत थे। लेकिन जब अमेरिकी चुनाव में जो बाइडेन की जीत हुई तो कहा जाने लगा कि अब क्या होगा। बाइडेन संग भारत के रिश्ते कैसे होंगे। कुछ दिन ऐसी खबरें चली लेकिन फिर बाइडेन की विभिन्न मंचों पर खुद ही मोदी की तरफ भागे चले आने की तस्वीरें भी दुनिया ने देखी। व्हाइट हाउस के राजकीय भोज की बात तो आपको याद ही होगी। अमेरिकी कांग्रेस में संबोधन पर कई बार स्ट्रैंडिग ऑबेशन भी मिला। यानी भारत को कोई फर्क नहीं पड़ता चाहे सत्ता में कोई हो।  

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