उपद्रवियों की पहचान अब UP पुलिस का वसूली अभियान

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अभिनय आकाश । Dec 31 2019 4:01PM

यूपी के शहर दर शहर ऐसे पोस्टर चिपकाए जा रहे हैं। सरकार फुल एक्शन में है। पुलिस की सक्रियता सातवें आसमान पर है और दावे बड़े-बड़े हैं। अब तक 498 उपद्रवियों की पहचान की जा चुकी है और बाकियों का भी हिसाब-किताब तैयार हो रहा है।

नागरिकता संशोधन कानून की आड़ में उत्तर प्रदेश को उपद्रव की आग में झोंकने वालों और दंगा−आगजनी की साजिश को पर्दे के पीछे से अंजाम देने वाली देश विरोधी ताकतों के खिलाफ प्रदेश के कप्तान योगी आदित्यनाथ ने मोर्चा खोल दिया है। यूपी की सत्ता पर काबिज योगी सरकार ने एक तरफ जहां अमन−चैन से रहने का पाठ पढ़ा रही है वहीं शांति भंग करने वालों के खिलाफ एक्शन मोड में भी नजर आ रही है।

योगी सरकार में आम लोगों के अच्छे दिन आए हों या नहीं लेकिन यूपी के अपराधियों और उपद्रवियों के बुरे दिन जरूर शुरु हो गए हैं। कभी अस्पताल तो कभी सचिवालय, कभी नगर निगम तो कभी थाने। हर जगह योगी आदित्यनाथ सख्ती से नियमों का पालन करवाने में जुटे हैं। उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने के साथ ही योगी आदित्यानाथ ने ऐलान किया था कि अब यूपी में अपराधियों की कोई जगह नहीं होगी।

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कट्टेबाजी और बमबाजी के लिए उत्तर प्रदेश एक अरसे से बदनाम रहा है। सरकार किसी की भी रही हो, तूती बंदूकबाजों की ही बोलती थी। लेकिन वक्त बदला और बदलते वक्त में यूपी में अपराधी कन्फ्यूज हो गए कि करें तो क्या करें। यूपी ने एक दौर ऐसा भी देखा कि एनकाउंटर का खौफ उनके सिर पर गिद्ध बनकर नाचने लगा। जो जेल में थे वो जेल से बाहर आना नहीं चाहते और जो बाहर हैं वो घर से बाहर निकलना नहीं चाहते थे। जो फरार थे वो जेल जाने को बेकरार हो गए। यूपी पुलिस नहीं तो किसी तरह आसपास की पुलिस से सेटिंग कर किसी तरह जेल भिजवा देने की जुगत में लग गए नहीं तो बाहर गोली न खानी पड़ जाए। 15 हजार के एक ईनामी बदमाश ने तो हापुड़ के थाने में जाकर खुद ही सरेंडर तक कर दिया था। लेकिन दिसंबर का महीना था और तारीख थी 19 जब देश के कई राज्यों में नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के विरोध प्रदर्शन में उत्तर प्रदेश सहित कई सूबों के तमाम ज़िलों में हिंसा के दौरान देश ने बड़ा नुकसान उठाया। 19 दिसंबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के लिए पहले ही आह्वान किया जा चुका था। इससे पूर्व दिल्ली के जामिया मीलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल और असम में इन मुद्दों को लेकर हिंसा की घटनाएं घट चुकी थीं। इसलिए इस देशव्यापी प्रदर्शन से निपटने के लिए जिस प्रदेश ने अच्छे इंतेज़ाम कर लिए वहां हिंसा नहीं हुई और शांतिपूर्वक प्रोटेस्ट निपट गया। यूपी बेहतर व्यवस्था में चूक गया इसलिए यहां की कानून व्यवस्था भंग हो गई। जिसके बाद लगातार उत्तर प्रदेश के पुलिस प्रशासन और योगी के शासन पर सवाल उठ रहे थे। अयोध्या के राम मंदिर जैसे बहुप्रतीक्षित, एतिहासिक और संवेदनशील मामले के फैसले पर बेहतरीन क़ानून व्यवस्था क़ायम रखने में तारीफे बटोरने वाली उत्तर प्रदेश की पुलिस पर सवाल उठने लगे। लोग कहने लगे कि यदि पुलिस पहले से मुस्तैद रहती तो CAA-NRC को लेकर हिंसक विरोध की घटनाएं नहीं होतीं।

अब बारी थी योगी की पुलिस की। जिन्होंने उत्तर प्रदेश में हिंसा फैलाई, आग लगाई, सरकारी संपत्ति को बर्बाद किया।,उन पर यूपी पुलिस सख्त हो गई है लगातार उपद्रवियों की तस्वीरें जारी की जा रही हैं। उन्हें नोटिस भेजा जा रहा है। गिरफ्तारियां हो रही है। 

- मऊ में 110 उपद्रवियों की तस्वीर जारी की गई है और 90 लोगों के खिलाफ नामजद मामला दर्ज किया गया। 

- मेरठ में भी हिंसा फैलाने वालों पर पुलिस सख्त है। मेरठ में पुलिस ने नुकसान की भरपाई के लिए 148 लोगों को नोटिस भेजा है। मेरठ में करीब 40 लाख के नुकसान का आकलन है। 417 लोगों के सशस्त्र लाइसेंस पर जांच बिठाई गई। 

- रामपुर में भी उपद्रवियों ने कहर बरपाया था। रामपुर पुलिस ने 28 लोगों को नुकसान की भरपाई के लिए नोटिस भेजा था। रामपुर में करीब 20-25 लाख के नुकसान का आंकलन है।

हिंसा के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों की संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई शुरू हो चुकी है। अलग अलग जिलों में 372 लोगों को नोटिस दिये गये हैं। 327 एफआईआर दर्ज की गई हैं जबकि 5558 लोगों को एहतियातन हिरासत में लिया गया है। 

योगी आदित्यनाथ की सरकार ने हिंसा के अगले दिन ही यह साफ कर दिया था कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। साथ ही 21 दिसंबर को ही 4 सदस्य कमेटी बना दी गई थी जो पूरे उत्तर प्रदेश में तबाही और नुकसान का जायजा लेगी और फिर हर्जाने के तौर पर हर दोषी से पैसे वसूलेगी।

यूपी के शहर दर शहर ऐसे पोस्टर चिपकाए जा रहे हैं। सरकार फुल एक्शन में है। पुलिस की सक्रियता सातवें आसमान पर है और दावे बड़े-बड़े हैं। अब तक 498 उपद्रवियों की पहचान की जा चुकी है और बाकियों का भी हिसाब-किताब तैयार हो रहा है। हिंसक प्रदर्शनकारियों की तस्वीरें ताबड़तोड़ जारी हो रही हैं। वसूली का फरमान थमाया जा रहा है। यूपी पुलिस के तेवर बता रहे हैं कि उपद्रवियों से किसी किस्म की रियायत नहीं होगी। हिंसाग्रस्त हर जिले की पुलिस ने ट्विटर से लेकर चौक चौराहों तक उपद्रवियों और प्रदर्शनकारियों की तस्वीरें टांग दी हैं। पहचान बताने वालों को इनाम का ऐलान तक कर दिया गया है। साथ ही जिन की पहचान हो चुकी है उनके घरों पर नोटिस भेजे जाने लगे हैं।

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योगी के इस आदेश का खौफ इतना दिखा कि बुलंदशहर जिला प्रशासन द्वारा हिंसा में 6 लाख 27 हजार रुपये की सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान के आंकलन के बाद सदर ब्लॉक प्रमुख हाजी यूनुस समेत कई नेताओं ने चंदा एकत्र कर भरपाई कर दी। स्थानीय नेताओं ने डीएम को चेक सौंपते हुए भूलवश हुई घटना पर दुःख भी जाहिर किया।

हर्जाने और कुर्की का खौफ इतना है कि अब अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में बड़े इमाम और मौलवी भी सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि वह अपना यह आदेश वापस लें। मुजफ्फरनगर में तो एक बड़े मौलाना बकायदा डीएम और एसपी के सामने यह कहते दिखाई दिए कि वह निर्दोष लोगों को बख्श दें, आगे से हिंसा में युवाओं को शामिल ना होने की गारंटी वो लेंगे। 


कैसे होगी जर्माना और कुर्की की कार्रवाई?

लखनऊ के एसएसपी ने कहा है कि सिर्फ वीडियो में या तस्वीरों में दिखाई देने भर से किसी के खिलाफ नोटिस, जुर्माने या कुर्की की कार्रवाई नहीं होगी। जुर्माना उन्हीं से वसूला जाएगा जो शर्तिया तौर पर हिंसा में लिप्त पाए जाएंगे। साथ ही यह भी कहा कि कुर्की उनकी की जाएगी जो हर्जाना देने में असमर्थ होंगे।

मेरठ एसपी सिटी के विवादित बयान वाला वीडियो वायरल

मेरठ के एसपी सिटी का हिंसा वाले दिन 20 दिसंबर को कुछ लोगों को धमकाते हुए कथित रूप से एक विवादित बयान वाला वीडियो वायरल हुआ हैं। जिसमें वे एक बस्ती में घूमकर पब्लिक को चेता रहे हैं। 

दरअसल, मेरठ की एक बस्ती में काली पट्टी बांधकर सीएए का विरोध करने की जानकारी पर एसपी सिटी अखिलेश नारायण सिंह वहां पहुंचे थे। उनके साथ एडीएम सिटी भी वीडियो में दिख रहे हैं। बेहद खफा दिख रहे एसपी सिटी मौजूद चंद लोगों को चेतावनी दे रहे हैं, अगर इस लेन में कुछ भी होता है, तो हर कोई इसके लिए भुगतेगा। पाकिस्तान चले जाने का वीडियो वायरल होने के बाद इस पर चौतरफा प्रतिक्रियाएं आने लगीं। वीडियो पर बढ़ते विवाद को देखते हुए मेरठ के एडीजी ने सफाई दी है। 

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एसपी सिटी अखिलेश नारायण सिंह ने भी अपने बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जो कुछ भी वीडियो में सुना गया है वह प्रदर्शनकारियों के उस ग्रुप को जवाब था, जब वे सभी पाकिस्तान के समर्थन में ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगे रहे थे। उन्होंने कहा- “प्रतिक्रियास्वरूप, मैंने यह सलाह दी कि यह बेहतर होगा कि पाकिस्तान चले जाएं जहां के समर्थन में वे नारे लगा रहे थे।” उन्होंने सवाल किया कि क्यों वे लोग पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगा रहे थे?

बीजेपी सांसद का दावा, मदरसे के बच्चे कैसे पकड़े गए?

सीएए को लेकर मुजफ्फरनगर में बीते दिनों हुई हिंसा पर केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने एक बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि मदरसों की जांच के साथ-साथ जमीयत उलेमा ए हिंद के राष्ट्रीय महासचिव महमूद मदनी की भी जांच होनी चाहिए। मंत्री ने  कहा कि 12 से 15 साल तक के नाबालिग बच्चों के साथ-साथ कुछ मदरसों के बच्चे भी गिरफ्तार किए गए हैं। आखिर मदरसों के बच्चे किसने और क्यों बाहर निकाले। इसकी जांच होनी चाहिए। करगिल के सांसद का मेरे पास फोन आया था। उन्होंने बताया था कि करगिल का एक बच्चा भी मुजफ्फरनगर उपद्रव में शामिल था। आखिर वो कैसे यहां आया और किसने उसे भेजा। इसकी भी जांच हो। किसके कहने पर मदरसों से बच्चे यहां आए, ये जांच का विषय है।

एक तरफ योगी सरकार की सख्ती से प्रदेश में अमन−चैन कायम हो रहा है तो दूसरी तरफ वह नेता भी सक्रिय हो गए हैं जिन्हें लगता है कि अगर उन्होंने दंगाइयों को बचाने की कोशिश नहीं की तो उनका मुस्लिम वोट बैंक कमजोर पड़ सकता है। लेकिन इन सब से बेपरवाह योगी अपने सख्त स्टैंड पर कायम हैं। योगी आदित्यनाथ के कार्यालय से ट्वीट किया गया है कि सार्वजनिक सम्पत्ति को क्षति पहुंचाने वाले उपद्रवियों से ही क्षतिपूर्ति के सिंहनाद में उपद्रवियों ने अपना संभावित अंजाम देख लिया। यूपी अब पूर्णतः शांत है। दंगाइयों के खिलाफ सरकार के रौद्र रूप को देख हर उन्मादी यही सोच रहा है कि उन्होंने प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सत्ता को चुनौती देकर बहुत बड़ी गलती कर दी है। दंगाइयों के खिलाफ सरकार जिस तरह की कार्रवाई कर रही है वो पूरे देश में एक मिसाल बन चुकी है। इसके बाद तो एक रीट्वीट की बाढ़ आ गई और कहा जाने लगा, 'हर दंगाई हतप्रभ है। हर उपद्रवी हैरान है। योगी आदित्यनाथ सरकार की सख्त मंसूबे से सभी शांत हैं। कुछ भी कर लो अब, क्षतिपूर्ति तो क्षति करने वाले से ही होगी, ये योगी जी का ऐलान है।'

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बहरहाल अराजकता का सबसे घिनौना रूप हम नागरिकता संशोधन एक्ट के नाम पर हम सड़कों पर देख चुके हैं। साथ ही हमने ये भी देखा है कि कैसे हालात लगातार बेकाबू हुए। जैसे हालत और जैसा तांडव नागरिकता संशोधन एक्ट के नाम पर एक वर्ग विशेष द्वारा मचाया गया। जिसके बाद अब प्रशासन की तरफ से सख्ती दिखाई जा रही है। उन सब के बीच सवाल है कि विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा पर क्या हमेशा ऐसी सख्ती होती है? अगर नहीं तो इस बार योगी सरकार सिर्फ इसलिए सख्ती कर रही है क्योंकि निशाने पर एक धर्म विशेष हैं? लेकिन हिंदू, मुसलमान से हटकर अगर हम सोचें तो क्या विरोध के नाम पर हम हिंसा को जस्टिफाई कर सकते हैं? अगर नहीं तो फिर बिना सख्ती के ये रुकेगा कैसे? 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब बोलते हैं तो पूरा देश सुनता है। पीएम मोदी बोले, अटल बिहारी वाजपेयी की 25 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा का अनावरण का अवसर था। जगह थी भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री की कर्मभूमि लखनऊ। पीएम मोदी ने कहा कि अटल सिद्धि की धरती से यूपी के युवा साथी, यहां के हर नागरिक को एक आग्रह करने आया हूं। आजादी के बाद से हमने सबसे ज्यादा जोर अधिकारों पर दिया है। लेकिन अब वक्त की मांग है कि कर्तव्यों पर बल दिया जाए। यूपी में जिस तरह कुछ लोगों ने CAA के विरोध के नाम पर हिंसा की, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। वो एक बार खुद से पूछें कि क्या उनका रास्ता सही था, जो जलाया गया वो उनके बच्चों को काम आने वाला नहीं था। हिंसा में जिन लोगों की मौत हुई, जो जख्मी हुआ, उनके परिवार के बारे में आपको सोचना चाहिए. मैं आग्रह करूंगा कि सड़क-ट्रांसपोर्ट सिस्टम नागरिकों का हक है, इसे सुरक्षित रखना भी आपका दायित्व है। हक और दायित्व को साथ रखना जरूरी है। अधिकार और दायित्व की बातें हम अक्सर करते आए हैं लेकिन हर अधिकार अपने साथ जिम्मेदारी के साथ ही दायित्व भी लेकर आती है। जिसको निभाना हर नागरिक का कर्तव्य है।

- अभिनय आकाश

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