देश के प्रथम नागरिक को कैसे चुना जाता है, उम्मीदवारी से लेकर वोटों की गिनती तक हर सवाल का जवाब यहां है
राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सरगर्मी अभी से तेज हो गई है और सियासी गलियारों में कई नामों की चर्चा भी होने लगी है। वैसे तो लोकतंत्र में चुनाव का अधिकार तो आम जनता के पास भी है। ऐसे में हमारे वोट दिए बिना देश का राष्ट्रपति कैसे चुन लिया जाता है।
पांच राज्यों के नतीजों के आने के साथ ही देश के राजनीतिक परिदृश्य में भी काफी बदलाव देखने को मिला है। इस साल के मध्य में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं। विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत ने पार्टी को होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए एक मजबूत स्थिति में ला दिया है। 25 जुलाई, 2022 को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद अपना कार्यकाल पूरा करेंगे। उनका कार्यकाल समाप्त होने से पहले राष्ट्रपति का चुनाव संपन्न हो जाना है। राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सरगर्मी अभी से तेज हो गई है और सियासी गलियारों में कई नामों की चर्चा भी होने लगी है। वैसे तो लोकतंत्र में चुनाव का अधिकार तो आम जनता के पास भी है। ऐसे में हमारे वोट दिए बिना देश का राष्ट्रपति कैसे चुन लिया जाता है। ऐसे में आपको बताते हैं कि आखिर भारत में राष्ट्रपति चुनाव कैसे होते हैं, किसे वोट देने का अधिकार है, वोटों की गिनती कैसे होती है और वोटो के मूल्य का पूरा गणित बताते हैं।
राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया क्या होती है?
राष्ट्रपति का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा नहीं किया जाता है। बल्कि उनके चुने गए सांसद और विधायक अपने मतों से राष्ट्रपति को चुनते हैं। संविधान की धारा 54 के अनुसार राष्ट्रपति चुनाव में जनता अप्रत्यक्ष रूप से शामिल होती है। इसे अप्रत्यक्ष निर्वाचन भी कहा जाता है। लोकसभा और राज्यसभा के नामांकित सदस्य व विधान परिषद के सदस्य इसमें शामिल नहीं होते हैं। राष्ट्रपति चुनाव में दल-बदल कानून लागू नहीं होता। इस वजह से क्रॉस वोटिंग की संभावना भी बनी होती है, जो अमूमन नहीं होती है। फिर भी सांसद और विधायक राष्ट्रपति के उम्मीदवार के प्रस्तावक या समर्थक हो सकते हैं। सांसदों और विधायकों के समर्थन से कई लोग राष्ट्रपति चुनाव लड़ चुके हैं। भले ही उनकी जमानत जब्त हो गई हो। राष्ट्रपति चुनाव में ईवीएम का इस्तेमाल नहीं होता है।
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भारत में कौन लड़ सकता है राष्ट्रपति का चुनाव
राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए उसे भारत का नागरिक होना जरूरी है। उसकी आयु कम से कम 35 साल की होनी चाहिए। इसके अलावा राष्ट्रपति उम्मीदवार को 50 प्रस्तावक और 50 समर्थक की जरूरत होती है, राष्ट्रपति का मूल कर्तव्य संघ की कार्यकारी शक्तियों का निर्वहन करना है। फौज के प्रमुखों की नियुक्ति भी वो करते हैं।
सिंगल ट्रांसफरेबल वोटिंग क्या होती है?
भारत में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में एकल हस्तांतरणीय मत यानी सिंगल ट्रांसफरेबल वोट प्रणाली के जरिए मतदान किया जाता है। इसका मतलब यह हुआ कि राज्यसभा, लोकसभा और विधानसभा का एक सदस्य एक ही वोट कर सकता है। सांसद और विधायक अपनी पहली, दूसरी और तीसरी पसंद के अपने उम्मीदवार की जानकारी देते हैं। अगर पहली पंसद के जरिए विजेता का फैसला नहीं हो पाता है, तो उम्मीदवार के खाते में दूसरी पसंद के वोट को नए एकल मत की तरह ट्रांसफर यानी हस्तांतरित कर दिया जाता है। इसीलिए इसे एकल हस्तांतरणीय या सिंगल ट्रांसफरेबल वोट कहा जाता है।
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1992 के चुनाव से सबक लेते हुए किया गया ये बदलाव
मशहूर वकील रामजेठ मलानी भी राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ चुके हैं। 1992 के राष्ट्रपति चुनाव में रामजेठ मलानी ने डॉ. शंकर दयाल शर्मा के खिलाफ चुनाव लड़ा। उस वक्त चुनाव के लिए दस प्रस्तावक और दस समर्थक सांसद और विधायकों की जरूरत होती थी। इसी तरह धरतीपकड़ भी 1992 के चुनाव में 20 प्रस्तावक और समर्थक के साथ मैदान में आ गए। जेठमलानी और धरतीपकड़ की जमानत जब्त हो गई। विपक्ष के उम्मीदवार जीसी सवैल को हराकर शंकर दयाल शर्मा राष्ट्रपति बने। राष्ट्रपति चुनावों में नॉन सीरियस उम्मीदवारों को देखते हुए और 1992 के चुनावों से सबक लेते हुए चुनाव आयोग ने प्रस्तावक और समर्थक की संख्या 1997 में बदल दी। 1997 के राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रपति उम्मीदवार को 50 प्रस्तावक और 50 समर्थक की जरूरत होती है, जो आज तक लागू है। यही वजह है कि 1997 के बाद से राष्ट्रपति चुनाव के मैदान में दो के अलावा तीसरा उम्मीदवार मैदान में नहीं रहा।
सीक्रेट बैलेट से वोटिंग
राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान सीक्रेट बैलेट से होता है। यानी गुप्त मतदान होता है। राष्ट्रपति चुनाव में भी उम्मीद की जाती है कि सांसद और विधायक पार्टी व्हिप का पालन करते हुए अपने उम्मीदवार को वोट दें। लेकिन राष्ट्रपति चुनाव में सांसद और विधायक व्हिप के खिलाफ भी वोट दे सकते हैं। क्योंकि इसमें दल बदल विरोधी कानून लागू नहीं होता है। इसलिए किसी उम्मीदवार को पार्टा का समर्थन पक्का नहीं होता है। इसी वजह से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार अपनी उम्मीदवारी घोषित होने के बाद अलग-अलग राज्यों का दौरा भी करते हैं।
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कैसे की जाती है वोटों की गिनती
वोटिंग के दौरान सभी सांसद और विधायक बैलेट पेपर में राष्ट्रपति के तौर पर अपनी पहली, दूसरी और तीसरी पसंद के अपने उम्मीदवार की जानकारी देते हैं। बैलेट पेपर की गिनती के दौरान सबसे पहले पहली पसंद वाले बैलेट बॉक्स को खोला जाता है। गिनती की जाती है। अगर कुल वोटों का मूल्य 5 लाख 49 हजार 442 तक पहुंच जाता है तो उस उम्मीदवार की जीत घोषित की जाती है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो दूसरे बैलेट बॉक्स की गिनती की जाती है।
क्या राष्ट्रपति को पद से हटाया जा सकता है
राष्ट्रपति को उसके पद से महाभियोग के ज़रिये हटाया जा सकता है। इसके लिए लोकसभा और राज्यसभा में सदस्य को चौदह दिन का नोटिस देना होता है। इस पर कम से कम एक चौथाई सदस्यों के दस्तखत चाहिए होते हैं। फिर सदन की तरफ से उस पर विचार किया जाता है। अगर दो तिहाई सदस्य उसे मान लें तो फिर वो दूसरे सदन में जाएगा। दूसरा सदन उसकी जांच करेगा और उसके बाद दो तिहाई समर्थन से वो भी पास कर देता है तो फिर राष्ट्रपति को पद से हटाया जा सकता है।
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राष्ट्रपति के लिए जरूरी मतों की संख्या
भारत में राष्ट्रपति के चुनाव में संसद के दोनों सदन यानी लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों के अलावा विधानसभा के सदस्य भी भाग लेते हैं। राष्ट्रपति चुनाव एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से आनुपातिक प्रतिनिधित्व की व्यवस्था का अनुसरण करते हैं। प्रत्येक वोट का मूल्य 1971 की जनगणना के आधार पर संबंधित राज्य की जनसंख्या के अनुपात में पूर्व निर्धारित होता है। इसके तहत 4,896 निर्वाचकों वाले निर्वाचक मंडल का कुल मूल्य 10,98,903 है और जीतने वाले उम्मीदवार को निर्वाचित घोषित होने के लिए कम से कम 50 प्रतिशत के साथ एक अतिरिक्त वोट प्राप्त करना होता है। किसी भी राष्ट्रपति के उमीदवार को चुनाव जीतने के लिए 5.49 लाख वोट प्राप्त करना जरूरी होता है। राष्ट्रपति चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल में लोकसभा, राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य और राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य और एनसीटी दिल्ली और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी शामिल हैं। विधान परिषदों के सदस्य और मनोनीत सदस्य निर्वाचक मंडल का हिस्सा नहीं होते हैं। संख्या के संदर्भ में, निर्वाचक मंडल राज्यसभा के 233 सदस्यों, लोकसभा के 543 सदस्यों और विधानसभाओं के 4,120 सदस्यों - कुल 4,896 निर्वाचकों से बना है। प्रत्येक सांसद के वोट का मूल्य 708 निर्धारित किया गया है, जबकि राज्यों में एक विधायक के वोट का मूल्य सबसे अधिक 208 है। उत्तर प्रदेश विधानसभा के वोटों का कुल मूल्य 83,824, पंजाब (13,572), उत्तराखंड (4480), गोवा (800) और मणिपुर (1080) है। एक राजनीतिक पर्यवेक्षक ने कहा कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में जीत के प्रदर्शन ने राष्ट्रपति चुनाव को भाजपा के लिए आसान बना दिया है।
वर्तमान में बीजेपी की स्थिति
अभी बीजेपी की देश के 17 राज्यों में सरकारें हैं। जम्मू कश्मीर विधानसभा का वोट मूल्य 6264 है जो फिलहाल निलंबित है। इसे घटाने के बाद बहुमत का जादुई आंकड़ा 546320 पर सिमटकर रह गया। सत्तारूढ़ बीजेपी के पास अभी 4 लाख 65 हजार 797 वोट हैं जबकि उसके सहयोगी दल के पास 71 हजार 329 वोट हैं। दोनों को मिला दिया जाए तो एनडीए के पास 5 लाख 37 हजार 126 वोट होते हैं, जो बहुमत से 9 हजार 194 वोट कम हैं।
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कौन से नाम चर्चा में हैं
इस पद के लिए मीडिया में कई नाम को लेकर चर्चा चल रही है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर आरिफ मोहम्मद खान, आनंदीबेन पटेल के नामों की भी चर्चा हुई। हालांकि नीतीश ने इन अटकलों को खारिज कर दिया। लेकिन उप-राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू को रेस में सबसे आगे माना जा रहा है। इसके अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के भी राष्ट्रपति बनाए जाने की चर्चा खूब है। लेकिन अब देखना है कि क्या बीजेपी नेतृत्व मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को दूसरे कार्यकाल की पेशकश करती है, वेंकैया नायडू को नए राष्ट्रपति के रूप में चुनती है या फिर मीडिया में तैरते नामों से इतर हर बार कि तरह इस बार भी कोई सरप्राइज पैकेज के रूप में नया नाम सामने रखते हैं।
राष्ट्रपति चुनाव से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी
भारतीय लोकतंत्र में मजदूर, किसान और गरीब घर का बेटा भी देश की सबसे ताकतवर कुर्सी तक पहुंच सकता है और पहुंच भी चुका है। देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद महामहिम की कुर्सी पर दो बार बैठने वाले एकलौते राष्ट्रपति थे। वो 1952 और 1957 के चुनाव में राष्ट्रपति चुने गए। 1957 का चुनाव इसलिए भी खास है क्योंकि राष्ट्रपति पद के लिए राजेंद्र प्रसाद को 99 फीसदी वोट मिले थे जो आज तक का रिकॉर्ड है। सर्वपल्ली राधाकृष्णन को 98 फीसदी, केआर नारायणन को 95 फीसदी और डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को 90 फीसदी वोट मिले। इसी तरह वीवी गिरि पहले राष्ट्रपति थे जो पहले कार्यकारी फिर निर्वाचित राष्ट्रपति चुने गए। इसी तरह जाकिर हुसैन और फकुरुद्दीन अली अहमद ऐसे दो राष्ट्रपति थे जिनका निधन बतौर राष्ट्रपति पद पर रहते हुए हुआ था। देश में अब तक दलित समुदाय से आने वाले केआर नारायम और रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति पद पर पहुंचे। इसी तरह देश की एक मात्र महिला राष्ट्रपति बनने का सौभाग्य प्रतिभा पाटिल को मिला। नीलम संजीव रेड्डी पहले राष्ट्रपति थे जो पहले किसी प्रदेश के मुख्यमंत्री (आंध्र प्रदेश) थे। इसके अलावा वो लोकसभा के अध्यक्ष भी रह चुके थे। उसके बाद ज्ञानी जैल सिंह दूसरे राष्ट्रपति थे जो 1972 से 1977 तक पंजाब के मुख्यमंत्री भी रहे थे। देश में ऐसे छह राष्ट्रपति हुए जो उपराष्ट्रपति की कुर्सी से राष्ट्रपति के पद पर पहुंचे थे। इसमें सबसे पहले सर्वेपल्ली राधा कृष्णन का नाम आता है जो राजेंद्र प्रसाद के बाद राष्ट्रपति बने थे। उनके बाद जाकिर हुसैन, वीवी गिरी, आर वेंकट रमन, शंकर दयाल शर्मा, केआर नारायणन उप राष्ट्रपति से राष्ट्रपति बने। 2002 के बाद ये सिलसिला खत्म हो गया।
-अभिनय आकाश
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