हेट स्पीच का नाइक कैसे बना फीफा वर्ल्ड कप में नायक, क्या है मिशन दावाह, जानें विवादित इस्लामिक धर्मगुरु की कहानी, जो भारत समेत 5 देशों में बैन

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Prabhasakshi
अभिनय आकाश । Nov 22 2022 5:27PM

अंतरराष्ट्रीय विषय के जानकारों का मानवा है कि कतर फीफा विश्व कप का इस्तेमाल गैर मुस्लिम के धर्म परिवर्तन के लिए चलाए जा रहे मिशन दावाह के लिए कर रहा है। दावाह या दावह; यह एक अरबी शब्द है। मूल या स्थूल रूप से इसका अर्थ "आमंत्रण" है।

जिसकी जुबान से हर वक्त जहर भरे लफ्ज निकलते हैं। जो मजहबी तकरीरों और कट्टरपंथी हेट स्पीच को लेकर पूरी दुनिया में कुख्यात है। जिहाद के नाम पर धार्मिक उन्माद फैलाने के आरोपी जिहादी मौलाना का नया ठिकाना इन दिनों कतर बना हुआ है। जी हां, वहीं कतर जहां फीफा वर्ल्ड कप हो रहा है। वैसे तो खेल एक ऐसा शब्द है जिसके साथ लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं, जज्बात जुड़े हुए हैं। लेकिन इसी खेल में कट्टरपंथी जुड़ जाए तो सोचिए तस्वीर कैसी होगी? आइए इसका जवाब भी जान लेते हैं। आपने जाकिर नाइक का नाम सुना होगा। पुलिस की क्राइम फाइल की किताब में बोल्ड और कैपिटल लेटर में मोस्ट वांटेड लिखा हुआ है, भगोड़ा लिखा हुआ है। लेकिन हैरीन की बात ये है कि हेट स्पीच के नाइक को फाफी वर्ल्ड कप में नायक बना दिया गया है। जिसके शब्दकोष में जहरीली तकरीकों का संकलन है, उस जाकिर नाइक से फुटबॉल वर्ल्ड कप में खुलेआम तकरीरें कराई जा रही हैं। ऐसे में सोचिए एक खेल में कट्टरपंथी और जहरीले विचारों वाले शख्स को बुलाने का क्या मकसद है? 

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मुस्लिम मुल्क कतर की कट्टरपंथी किक

जिसके धार्मिक प्रवचन पर दुनिया के कई मुल्कों में प्रतिबंध लग चुका है, उसे फुटबॉल खिलाड़ियों को धार्मिक ज्ञान देने की जिम्मेदारी दी गई है। आपको  ये जानकार हैरानी होगी कि जिस जाकिर नाइक को फीफा वर्ल्ड कप की मेजबानी करने वाले कतर ने सम्मान से मदहबी तकरीर देने के लिए बुलाया है वो भारत का भगोड़ा है। जिस समय कई मुस्लिम देश भारत से नजदीकी बढ़ा रहे हैं। उसी समय कतर ने ऐसा कदम उठाया है। वैसे आपको याद दिला दें कि कतर ने नुपुर शर्मा मामले में भी भारत के खिलाफ काफी जहर उगला था। कतर ने भारतीय राजदूत तक को तलब कर लिया था। जो कतर पैगंबर मोहम्मद पर की गई टिप्पणी से नाराज हो गया था। वही कतर अब एक ऐसे शख्स को उपदेशक बनाकर बुला रहा है जो दूसरे धर्मों का अपमान करने के लिए कुख्यात है। 

कौन है जाकिर नाइक 

वर्ष 1965 में मुंबई के मुस्लिम बहुल इलाके डोंगरी में पैदा होने वाले नाइक के घर में कई लोग पेशे से डाक्‍टर हैं। कभी हकलाकर बात करने वाला जाकिर नाइक मेडिकल की पढ़ाई करने के बाद धर्मगुरु बनने का सोचा। जाकिर ने वर्ष 1991 में अपनी डाक्‍टरी पेशा छोड़कर इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की थी। बताया जाता है कि दक्षिण अफ्रीकी उपदेशक अहमद दीदत के भाषण से जाकिर इतना प्रभावित हुआ कि उसने डॉक्टरी छोड़ धर्म प्रचारक बनने का सफर शुरू कर दिया। जाकिर ने पिता अब्दुल करीम नाइक की मदद से मुंबई के डोंगरी में इस्लामिक स्कूल की शुरुआत की। अब्दुल करीम की महाराष्ट्र के दिग्गज नेता शरद पवार और पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत अब्दुल रहमान अंतुले से जान पहचान रही है। जाकिर के फाउंडेशन और स्कूल भारत सरकार ने सील कर द‍िया है। उनके टीवी चैनल पीस टीवी के दुनिया भर में दो करोड़ फालोअर्स हैं। जाकिर अपना संदेश अपने पीस टीवी चैनल के जरिए देते हैं। इस चैनल के जरिए वह भड़काऊ भाषण देते हैं। यह टीवी चैनल बांग्‍लादेश और भारत में प्रतिबंधित है।

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विवादित बयानों के जरिए नफरत का जहर

खुद को फेमस करने और पॉपुलैरिटी पाने के लिए जाकिर ने पीस टीवी नाम से एक इस्लामिक चैनल की शुरुआत की। दुनिया के कई देशों में इसका प्रसारण भी हुआ। पिछले 2दशकों में 30 से ज्यादा देशों में भाषण देकर उसने अपनी प्रसिद्धि में इजाफा कियाष जिसके बाद उसे इस्लामिक देशों से फंडिंग मिलने लगी। जाकिर ने सऊदी अरब, इंडोनेशिया समेत मुस्लिम देशों के ऐसे भारतीयों का डेटाबेस बनाने की बात कही ताकि जब वो वो इस्लामी देशों की यात्रा करें तो उन्हें अरेस्ट किया जा सके। मलेशिया में उसने बयान दिया था कि दुनिया के सभी मुस्लिम देश पैगंबर मोहम्मद की आलोचना करने वाले भारत के गैर मुस्लिमों को उनके देश में आने पर जेल में पहुंचा दें।


कश्मीर से लेकर गुजरात तक तार 

गृह मंत्रालय के सरकारी नोटिफिकेशन में कहा गया था कि जाकिर के उपदेश आपत्तिजनक हैं क्योंकि वह कुख्यात आतंकियों की बड़ाई करता है। यही नहीं उसके संगठन पर जबरन धर्मांतरण करवाने, आत्मघाती हमलों को जायज ठहराने, हिंदू देवी-देवताओं और अन्य धर्मों के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी करने का भी आरोप है। जाकिर के संगठन की अवैध गतिविधियां गुजरात, कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा तक में देखी गई थीं।

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मुखौटा कंपनियां खोलने का आरोप 

सरकारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, जाकिर अक्सर पैसा उगाहने खाड़ी देशों में जाया करता था और वहां पर उसने कई ट्रस्ट, एनजीओ, मुखौटा कंपनियां भी बना ली थीं। इन सभी का मकसद मुस्लिम युवाओं को कट्टर बनाना है।

क्या प्रत्यर्पण की कोशिश हुई 

भारत में जाकिर के खिलाफ बेशक रेड कॉर्नर नोटिस जारी हो, मगर मलयेशिया की राजधानी कुआलालंपुर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर वह जाकिर शान से रह रहा है। वह वहां के सरकारी दफ्तरों और कानूनी आवासीय भवनों वाले वीआईपी इलाके में रहता है। भारत ने जाकिर के प्रत्यर्पण की कोशिश की मगर मलयेशिया सरकार का कहना था कि इसके लिए जो सबूत दिए गए, वे कमजोर हैं। भारत ने देश में चल रहे केस के आधार पर जाकिर को प्रत्यर्पित करने को कहा था।

क्या है मिशन दावाह 

अंतरराष्ट्रीय विषय के जानकारों का मानवा है कि कतर फीफा विश्व कप का इस्तेमाल गैर मुस्लिम के धर्म परिवर्तन के लिए चलाए जा रहे मिशन दावाह के लिए कर रहा है। दावाह या दावह; यह एक अरबी शब्द है। मूल या स्थूल रूप से इसका अर्थ "आमंत्रण" है। इस्लाम के संदर्भ में, दावाह का अर्थ इस्लाम में आमंत्रण है। जाकिर नाइक भी मिशन दावाह को पूरी दुनिया में पूरे जोर-शोर से उठा रहा है। अमेरिका के वॉशिंगटन स्थित प्रतिष्ठित संस्था मिडिल ईस्ट मीडिया रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार कतर ने दावाह से जुड़े इस्लामिक धार्मिक लेक्चर के लिए जाकिर नाइक को आमंत्रित किया है। मिशन दावाह फीफा वर्ल्ड कप के दौरान कतर का एक अघोषित लक्ष्य है। दरअसल, फुटबॉल देखने के लिए लाखों की तादाद में फैन्स दोहा पहुंच रहे हैं और कतर इसका इस्तेमाल धर्म परिवर्तन कराने के मौके के रूप में देख रहा है। कतर ने ही खालिद शेख मोहम्मद को शरण दी थी जिसने अमेरिका पर 9/11 आतंकी हमले की साजिश रची थी। गैर मुस्लिमों को मुसल्मि में कंनवर्ट करने में बड़ी भूमिका निभाने के लिए कतर में जाकिर नाइक का नाम पिछले कई सालों से जाना जाता है। इससे पहले साल 2019 में भी कतर के शासक शेख तमीम बिन हमद अल थानी ने दोहा में निजी रूप से जहरीले जाकिर नाइक का स्‍वागत किया था। -अभिनय आकाश

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