गोडसे की वो इच्छा जिसकी चाह में 71 साल बाद भी अस्थियां रखी हैं सुरक्षित
नाथूराम गोडसे को लेकर देश में अलग-अलग विचार धाराएं हैं। लेकिन बहुत कम लोग ही जानते हैं कि भरी सभा में महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे का बचपन लड़कियों की तरह बीता था।
महात्मा गांधी जिनमें पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को मार्टिन लूथर किंग का अक्स दिखता है। महात्मा गांधी जिनके बुनियादी सिद्धांतों से आरएसएस के विरोध के बावजूद हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गांधी के बताए रास्ते पर चल रहे हैं। दुनिया भर में गांधी के सिद्धांतो का डंका बज रहा है। वसुधेव कुटुंब कम सनातनी वाली संस्कृति के देश में सबको सम्मति का संदेश देने वाले बापू। अहिंसा और सत्याग्रह से देश को आजादी दिलाने वाले महात्मा गांधी। एक हत्यारे की तीन गोलियों ने 71 साल पहले ही महात्मा गांधी के तन को छलनी कर दिया था। लेकिन बापू के विचारों को मारने की ताकत उन गोलियों में नहीं थी। गांधी का नाम इस देश से अलग करने की ताप किसी भी हत्यारे में नहीं थी। लेकिन 21 वीं सदी में महात्मा गांधी के हत्यारे की स्तुति के प्रयास हो रहे हैं।
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नाथूराम गोडसे को लेकर देश में अलग-अलग विचार धाराएं हैं। लेकिन बहुत कम लोग ही जानते हैं कि भरी सभा में महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे का बचपन लड़कियों की तरह बीता था। जी हां, आपको यकीन नहीं होगा, लेकिन ये सच है। नाथूराम गोडसे का असली नाम नथूराम है। उनका परिवार भी उन्हें इसी नाम से बुलाता था। अंग्रेजी में लिखी गई उनके नाम की स्पेलिंग के कारण काफी समय बाद उनका नाम नथूराम से नाथूराम हो गया। इसके पीछे एक लंबी कहानी है। दरअसल नाथूराम के घर में उनसे पहले जितने लड़के पैदा हुए, सभी की अकाल मौत हो जाती थी। इसे देखते हुए जब नथू पैदा हुए तो परिवार ने उन्हें लड़कियों की तरह पाला। उन्हें बकायदा नथ तक पहनाई गई थी। इसी नथ के कारण उनका नाम नथूराम पड़ गया था, जो आगे चलकर अंग्रेजी की स्पेलिंग के कारण नाथूराम हो गया था।
महात्मा गांधी की हत्या में नाथूराम गोडसे अकेले नहीं थे। दिल्ली के लाल किले में चले मुकदमे में न्यायाधीश आत्मचरण की अदालत ने नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को फांसी की सज़ा सुनाई थी। बाक़ी पाँच लोगों विष्णु करकरे, मदनलाल पाहवा, शंकर किस्तैया, गोपाल गोडसे और दत्तारिह परचुरे को उम्रकैद की सज़ा मिली थी। बाद में हाईकोर्ट ने किस्तैया और परचुरे को हत्या के आरोप से बरी कर दिया था।
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नाथूराम गोडसे जिसने महात्मा की हत्या की वो खुद एक हिंदुत्ववादी संगठन से जुड़ा था। यही वजह है कि समय-समय पर कई हिंदुत्ववादी संगठन सोशल मीडिया पर नाथूराम की देशभरक्ति का ढिढ़ोरा पीटने की कवायदें हुई। फेसबुक पर नाथूराम को देशभक्त बातए जाने वाले पेज चलाए जा रहे हैं।एक नहीं दर्जनों। इससे पहले शिवसेना ने भी नाथूराम गोडसे को देशभर्त बताने की कोशिश की थी। 28 दिसंबर 2010 को शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में लिखा गया था कि देश के विभाजन और हजारों हिंदुओं की हत्या से गोडसे का खून उबल रहा था। गोडसे इटली से नहीं आया था। बल्कि वो भारत में पैदा हुआ राष्ट्रभक्त था। कितना अजीब है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महात्मा गांधी के बताए रास्ते पर चल रहे हैं। गांधी के स्वच्छता के संदेश को मिशन के तौर पर देशभर में अपनाने की बातें कर रहे हैं। लेकिन कुछ सिरफिरे गांधी के हत्यारे को देशभक्ति का सर्टिफिकेट बांट रहे हैं।
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