मालगुडी डेज जैसी कालजयी रचनाएँ लिखीं आरके नारायण ने
नारायण की रचनाओं में सर्वाधिक लोकप्रिय मालगुडी की पृष्ठभूमि से जुड़ी रचनाएं हैं। मालगुडी ब्रिटिश शासनकाल का एक काल्पनिक नगर है। इसमें स्वामी उसके दोस्त सहित तमाम चरित्र हैं।
आधुनिक भारतीय अंग्रेजी लेखकों में आरके नारायण सर्वाधिक लोकप्रिय रचनाकारों में से एक हैं जिन्होंने 'मालगुडी डेज' जैसी रचनाओं के जरिए भारतीय चरित्रों और परिस्थितियों को बेहद सरस एवं रोचक शैली में पेश करने में महारथ हासिल की। नारायण की रचनाओं में सर्वाधिक लोकप्रिय मालगुडी की पृष्ठभूमि से जुड़ी रचनाएं हैं। मालगुडी ब्रिटिश शासनकाल का एक काल्पनिक नगर है। इसमें स्वामी उसके दोस्त सहित तमाम चरित्र हैं। इसके सारे पात्र खांटी भारतीय चरित्र हैं और सबकी अपनी विशिष्टताएं हैं। इसे नारायण की किस्सागोई शैली का कमाल कहा जा सकता है कि स्वामी या मालगुडी से जुड़े पात्रों को पढ़ते हुए पाठकों के समक्ष एकदम नवीन संसार खुल जाता है और पात्र में पाठक को अपने जीवन के कुछ अंश नजर आते हैं।
वरिष्ठ लेखक एवं स्वामी एंड फ्रेंड्स का हिन्दी में अनुवाद कर चुके डॉ. मस्तराम कपूर के अनुसार मालगुडी की पृष्ठभूमि में लिखी गई रचनाओं में नारायण ने दरअसल अपने बचपन को फिर से जीने का प्रयास किया है। जीवन की वास्तविकताओं को उन्होंने इनके माध्यम से इतने सशक्त रूप से पेश किया है कि वे कालजयी रचनाएं हो गई हैं।
नारायण की रचनाओं की एक अन्य विशेषता का जिक्र करते हुए कपूर ने कहा कि वे मुल्कराज आनंद की तरह उन कुछ चुनिंदा भारतीय अंग्रेजी लेखकों में शामिल हैं जिन्होंने अपनी रचनाएं विशुद्ध भारतीय पृष्ठभूमि में लिखीं और भारतीय पाठकों को ध्यान में रखकर लिखीं। यह बात दीगर है कि उनकी रचनाएं बाद में विदेश में काफी लोकप्रिय हुईं। उन्होंने कहा कि नारायण उन भारतीय अंग्रेजी लेखकों की तरह नहीं थे जो विदेशी पाठकों को ध्यान में रखकर अपनी रचनाएं लिखते थे। नारायण का वास्तविक नाम रासिपुरम कृष्णास्वामी अय्यर नारायणस्वामी था। उनका जन्म मद्रास में हुआ।
दिलचस्प है कि अंग्रेजी का इतना बड़ा रचनाकार स्नातक परीक्षा में अंग्रेजी में फेल हो गया था हालांकि बाद में उन्होंने इस परीक्षा को उत्तीर्ण कर लिया। कालेज के जमाने से ही नारायण में लेखन की कोपलें फूटने लगी थीं। उनका पहला उपन्यास स्वामी एंड फ्रेंड्स 1935 में आया। पहले ही उपन्यास से नारायण ने पाठकों और समीक्षकों को मालगुडी के जादू से इस तरह बांध लिया कि वह आज तक समाप्त नहीं हुआ है। अंतरराष्ट्रीय फलक पर नारायण का नाम उस समय विख्यात हुआ जब इंग्लैंड के ग्राहम ग्रीन ने उनकी रचनाओं की सराहना की। हास्य पर आधारित उनका उपन्यास फाइनेंशियल एक्सपर्ट (1935) पहली बार अमेरिका में प्रकाशित हुआ।
नारायण की कई कृतियों पर फिल्म एवं टीवी धारावाहिक बन चुके हैं। इनमें सर्वप्रमुख गाइड है। देवानंद ने गाइड उपन्यास पर हिन्दी और अंग्रेजी में अलग−अलग फिल्में बनाईं। गाइड फिल्म जहां देश में बेहद लोकप्रिय हुई वहीं इसके अंग्रेजी संस्करण को विदेश में काफी सराहा गया। यह बात दीगर है कि नारायण अपनी कृति के पटकथा संस्करण से संतुष्ट नहीं थे। नारायण की कृति मि. संपत लाल पर तमिल में फिल्म बन चुकी है। इसी प्रकार फाइनेंशियल एक्सपर्ट पर कन्नड में फिल्म बनी थी। प्रसिद्ध फिल्मकार शंकर नाग ने उनकी कहानियों पर आधारित टीवी धारावाहिक मालगुडी डेज का निर्माण किया था। यह धारावाहिक बेहद लोकप्रिय हुआ। इस धारावाहिक की एक विशेषता यह भी थी कि इसमें मालगुडी से जुड़े कई रेखाचित्रों को आरके लक्ष्मण ने बनाया था जो नारायण के छोटे भाई हैं।
नारायण की कई रचनाओं का नाम नोबेल पुरस्कार की संभावित सूची में जुड़ चुका था लेकिन उन्हें यह पुरस्कार नहीं मिला। उन्हें कई ख्याति प्राप्त अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले। भारत में गाइड फिल्म के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। साहित्य में उनके योगदान को देखते हुए सरकार ने पहले उन्हें पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किया। उन्हें राज्यसभा में भी मनोनीत किया गया था। अंग्रेजी के इस लोकप्रिय भारतीय लेखक का 13 मई 2001 को निधन हुआ।
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