ऐसी होती है ख़ास ख़बर (व्यंग्य)
अखबारों और चैनलों के खबर भेजुओं का जाल और भी ज़्यादा फैला हुआ है। यह लोग बड़ी तत्परता से ख़बरें और चित्र पाठकों को उपलब्ध करवाते हैं। पड़ोस की नाली खराब हो जाए तो भी खबर बन जाती है और नेताजी उदघाटन के वक़्त नया सूट पहन कर पधारें तो रंगीन फोटो कमाल छपती है।
घिसी पिटी बात है कि उन दिनों सोशल मीडिया तो था ही नहीं, अखबारों में अपने गांव की तो क्या कस्बे की खबर भी पढ़ने को नहीं मिलती थी। बड़े नेता व बड़े शहरों की ख़बरें पढ़ते थे। कोई बड़ा कांड हो जाता तो ही पत्रकार आते स्टोरी कवर करने के लिए। उनके साथ कैमरा लटकाए आते फोटोग्राफर। मगर पिछले कई बरसों में तो सूचनाओं, ख़बरों का अंबार लगा रहता है और अब अखबारों व समझदार चैनलों ने हर स्तर पर संवाददाता रख लिए हैं। अब तो जनता ही संवाददाता बन गई है।
अखबारों और चैनलों के खबर भेजुओं का जाल और भी ज़्यादा फैला हुआ है। यह लोग बड़ी तत्परता से ख़बरें और चित्र पाठकों को उपलब्ध करवाते हैं। पड़ोस की नाली खराब हो जाए तो भी खबर बन जाती है और नेताजी उदघाटन के वक़्त नया सूट पहन कर पधारें तो रंगीन फोटो कमाल छपती है। चुनावों की धरती पर जब भी वोटों का मौसम आता है नेता जीत जाते हैं और लोकतंत्र हार जाता है। नए नेता आते हैं तो खबरों में छाने लगते हैं। कुछ दिन पहले छपी एक ख़ास खबर को हमने थोड़ा पकाकर पेश किया है, लीजिए पढिए।
इसे भी पढ़ें: मेहंदी साजन के नाम की (व्यंग्य)
‘अट्ठारह मिनट जाम में फंसे नव निर्वाचित विधायक'। खुद को माननीय समझने वाले, एक बेहद महत्वपूर्ण बैठक में विचार व्यक्त कर अपने गृह नगर की ओर आ रहे थे। सड़क कम चौड़ी थी और उस पर लगे जाम का कारण सड़क पर हुई ट्रक व कार के बीच ज़बरदस्त टक्कर रही। उनकी नई, बड़ी और ऊंची कार निकल नहीं सकती थी। गलत नक्षत्रों में पैदा हुए आम लोग और उनके वाहन भी जाम में फंसे हुए थे। उनमें से कई लोगों ने हिम्मत कर पुलिस को फोन भी किया मगर ग्लोबल वार्मिंग के मौसम में इलाके में भी बहुत ज़्यादा गरमी होने के कारण किसी ने भी फोन नहीं उठाया।
इतनी गरमी में मुख्य शहर से कुछ किलोमीटर दूर पहुंचना बेहद मुश्किल होता है फिर लगातार विकास के कारण कितनी ही बार टूटी सड़क भी रास्ता रोकती है। ऐसे में दफ्तर में सरकारी एसी की ठंडी हवा किसे अच्छी नहीं लगती। गरमी की दोपहर में ठंडी हवा स्वादिष्ट भोजन की तरह ही होती है। मगर मौसम कोई भी हो वीआईपी तो गज़ब होते हैं। क्या हुआ जो उनकी लाल बत्ती चली गई। उनकी शानदार, जानदार, प्रभावशाली आवाज़ में नपेतुले ब्यान, उनके प्रतिभाशाली व्यक्तित्व पर सजे सजीले सुन्दर वस्त्र, उनकी और केवल उनकी खरोंच विहीन चमकती गाड़ी और उनका दमकता यशस्वी चेहरा, उनका विशिष्ट महंगा मोबाइल हमेशा दिलचस्प खबरों की रचना करते हैं।
जाम के बीच माननीय अपने समर्थकों के साथ गाड़ी से उतरे और कहा आपने हमें पहले क्यूं नहीं बताया कि जाम लगा है। इस बीच उन्होंने सीधे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को फोन लगाया। बस फिर क्या था, अभी तो वह आम जनता के बीच अपनी पार्टी की सरकार की तारीफ़ के पुलों का निर्माण कर ही रहे थे कि चुस्त पुलिस वालों की टीम ने पहुंचकर जाम छूमंतर कर दिया। पुलिस अधिकारी विधायक के सामने सलाम पेश कर रहे थे।
पसीना पसीना होते हुए लेकिन फिर भी हंसते हुए उन्होंने कहा, आप लोग कभी तो आम लोगों के फोन पर भी आ जाया करो।
- संतोष उत्सुक
अन्य न्यूज़