ऐसे हुई बिजली की बचत (बाल कहानी)
गरमा गरम स्वादिष्ट पराँठे खाकर जब वे तीनों कैरम खेलने दूसरे कमरे में जाने लगे, तो प्रतीक ने टयूब का स्विच बंद नहीं किया, शेखू ने उसे याद दिलाया, तो वह बोला छोड़ न यार मम्मी कर देगी। लेकिन आंटी तो किचन में हैं और व्यस्त हैं, शेखू बोला। अब प्रतीक ने स्विच बंद किया।
शेखू के स्कूल में छुट्टियां चल रही थीं। उसका सहपाठी प्रतीक बार बार कहता था कि वह उसके घर ज़रूर आए। प्रतीक का घर शेखू के घर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर नहर के उस पार था। वहाँ सुबह जाकर शाम को वापिस आया जा सकता था। शेखू ने अपने पापा से, अपनी छोटी बहन अन्नू के साथ अपने मित्र के घर जाने बारे पूछा तो उन्होंने कहा रविवार को जा आना। रविवार को उन्होंने अपनी अपनी साइकिलें निकाली, साफ की और प्रतीक के घर के लिए निकल पड़े। उन्होंने नाश्ता वहीं करना था। उनके मित्र ने अपनी मम्मी से आलू प्याज़ के पराँठे बनाने के लिए तैयारी रखने को कहा था। शेखू की मम्मी ने प्रतीक के लिए पिछली शाम बनाए बेसन के लड्डू दिए थे। नहर के किनारे साइकिल चलाकर शेखू और अन्नू को बहुत मज़ा आया। प्रतीक घर के बाहर ही उनका इंतज़ार कर रहा था।
आलू प्याज के गरमा गरम स्वादिष्ट पराँठे खाकर जब वे तीनों कैरम खेलने दूसरे कमरे में जाने लगे, तो प्रतीक ने टयूब का स्विच बंद नहीं किया, शेखू ने उसे याद दिलाया, तो वह बोला छोड़ न यार मम्मी कर देगी। लेकिन आंटी तो किचन में हैं और व्यस्त हैं, शेखू बोला। अब प्रतीक ने स्विच बंद किया। काफी देर कैरम खेलने के बाद वे म्यूज़िक सुनने लगे। किचन से प्रतीक की मम्मी की आवाज़ आई, खाने का समय हो गया, आओ बच्चो खाना लगा दिया है। कमरे से बाहर निकले तो इस बार फिर प्रतीक ने स्विच फिर बंद नहीं किया। शेखू हैरान, बोला तुमने फिर टयूब का स्विच आफ नहीं किया प्रतीक। वह लापरवाही से बोला, मैं तो रात को हीटर भी बंद नहीं करता। क्या तुम्हारे यहाँ बिजली मुफ्त में मिलती है, शेखू ने पूछा। तुम्हें शायद पता नहीं है कई गांवों और शहरों में लोगों को बिजली नहीं मिलती और कुछ लोग बिजली नष्ट करते हैं।
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इस बीच शिखर की मम्मी उनके पास आकर बैठ गई। प्रतीक बोला, मुझे क्या लेना किसी को मिले न मिले, मुझे तो पंखा व टयूब बंद न करने की आदत है। शेखू ने कहा गलत आदत है तुम्हारी, तुम्हें पता है बिजली बचाना ही बिजली बनाना है, हमें हर चीज़ का प्रयोग समझदारी से करना चाहिए ताकि बचत हो। प्रतीक की मम्मी ने कहा, बिलकुल ठीक, पंखे या टयूब की ज़रूरत न हो तो बंद रखें, जिस जगह बैठते हैं वहीं की लाईट जलानी चाहिए। मान लो हम रोज़ दस रुपए की बिजली बचाते हैं तो एक महीने में तीन सौ रुपए और साल में तीन हज़ार छ सौ रुपए की बचत हो सकती है। इस पैसे से हम दूसरा ज़रूरी सामान खरीद सकते हैं। अन्नू ने कहा, प्रतीक भैया हमारी बचाई बिजली दूसरों के काम आ सकती है। यदि आप हमेशा याद रखो कि स्विच आफ करना है तो आपको आदत पड़ जाएगी। अब प्रतीक के दिमाग में बात टिकने लगी थी। उसे समझ आने लगा था कि उसकी थोड़ी सी सजगता से उनकी बचत और दूसरों का फायदा हो सकता है। उसने निश्चय कर लिया कि अब वह हमेशा ध्यान रखेगा।
शाम को जब शेखू और अन्नू वापिस घर जा रहे थे तो शेखू ने कमरे से बाहर आते समय ट्यूब का स्विच बंद करने के लिए हाथ उठाया तो प्रतीक ने आगे बढ़ कर कहा, सौरी, स्विच मैं बंद करूंगा आज भी और हमेशा। उसकी मम्मी ने कहा, शाबास प्रतीक। वह बोला, शुक्रिया शेखू और अन्नू, तुम दोनों की वजह से आज मैंने बिजली की बचत करना सीख लिया।
- संतोष उत्सुक
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