ओम् यूट्यूबाय नमः (व्यंग्य)
निर्देशक ने भोले मन से कहा: “आती है साहब! लेकिन क्या करें? खाने पकाने और डैंस जैसे विषयों पर असंख्य वीडियो बन चुके हैं। इसलिए दर्शकों को आकर्षित करने के लिए नए-नए विषय के साथ आगे आना पड़ता है। विश्वास न हो तो आप खुद ही यूट्यूब देख लीजिए।
दुनिया की सबसे बड़ी सच्चाई यही है कि सच्ची दुनिया को झूठ के नजरिए से देखना पड़ता है। यहाँ सीधे काम करने पर अवहेलना और उल्टे काम करने पर आदर-सत्कार मिलता है। विश्वास न हो तो यूट्यूब के ऊटपटांग वीडियो ही देख लें। ऐसा ही एक किस्सा कुछ दिनों पहले घटी जो इस प्रकार है–
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“अच्छा सब तैयार है!” नई वेब सीरिज के निर्देशक ने कैमरा मैने और कलाकार से पूछा। दोनों ने हाँ के प्रत्युत्तर में सिर हिला दिया। निर्देशक के एक्शन कहने के साथ अभिनय शुरु हुआ। कैमरामेन का कैमरा कलाकार पर केंद्रित था और कलाकार का ध्यान संवादों पर।
कलाकार अपने अभिनय संवादों में बहते हुए कहने लगा: “नमस्कार दर्शकों आज मैं सिखाऊँगा कि हमें किसी का खून करने के लिए तैयारी कैसे करनी चाहिए? होता यूँ है कि कई लोगों के भीतर जुर्म करने का कीड़ा मचलता रहता है। लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि जुर्म कैसे करें। मन में रह-रहकर ख्याल आते रहते हैं कि जुर्म करने पर कहीं पकड़े तो नहीं जायेंगे? पकड़े जायेंगे तो पुलिस उनके साथ क्या करेगी? आदि-आदि।“
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निर्देशक ने कैमरामेन से कलाकार को क्लोजर में लेने का निर्देश दिया। कलाकार कैमरे की स्क्रीन पर ज़ूम हो उठा था। कलाकार अपनी धारा प्रवाह में संवाद कहने की जगह उसमें जीने लगा और कहाः “तो आज हम आपको चुटकियों में जुर्म चैनल के जरिए अपराध की दुनिया में न केवल प्रवेश करना सिखायेंगे बल्कि उसमें निपुण भी बनायेंगे।
तभी वहाँ एक पुलिस अधिकारी आ गया। जब उसे निर्देशक से पता चला कि वह जुर्म की दुनिया में प्रवेश करने और निपुण बनाने के लिए वेब सीरिज बना रहा है तो उसका माथा ठनका। वह निर्देशक की क्लास लगाने ही वाला था कि निर्देशक बोल पड़ा– “देखिए साहब! आजकल यूट्यूब पर गलाकाट कांपटीशन चल रहा है। हमारे चुटकियों में जुर्म चैनल के एक लाख सब्सक्राइबर्स हैं। उन्हें नए-नए विषय पर वीडियो बनाकर देने पड़ते हैं, नहीं तो हमारी कमाई गिर जाएगी।''
पुलिस अधिकारी ने फटकारते हुए कहाः “वेब सीरिज बनाने का इतना ही शौक है तो कुछ पकवान या फिर डैंस संबंधी वीडियो बनाओ। ऐसे जुर्म को बढ़ावा देने वाले वीडियो बनाते हुए तुम्हें शर्म नहीं आती?”
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निर्देशक ने भोले मन से कहा: “आती है साहब! लेकिन क्या करें? खाने पकाने और डैंस जैसे विषयों पर असंख्य वीडियो बन चुके हैं। इसलिए दर्शकों को आकर्षित करने के लिए नए-नए विषय के साथ आगे आना पड़ता है। विश्वास न हो तो आप खुद ही यूट्यूब देख लीजिए। बिना चिकित्सा सीखे लोग घर पर ही गर्भवती स्त्री का ऑपरेशन कर रहे हैं। खून करने के तरीके और उससे बचने के उपाय बताये जा रहे हैं। चूंकि हमारे सब्सक्राइबर्स अधिक हैं इसलिए वे हमें कमेंट बॉक्स में नए-नए वीडियो बनाने पर मजबूर कर रहे हैं, नहीं तो अनसब्सक्राइब करने की धमकी रहे हैं। अब करें तो क्या करें?”
यह सुनकर पुलिस अधिकारी निरुत्तर रह गया।
- डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा ‘उरतृप्त’
(हिंदी अकादमी, तेलंगाना से सम्मानित नवयुवा व्यंग्यकार)
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