पानी कैसे बचाएं चित्रकला प्रतियोगिता (व्यंग्य)
प्रतियोगिता का दिन व समय भी निश्चित हो गया। सिंचाई मंत्री मुख्यअतिथि बनने के लिए सहर्ष तैयार हो गए। मंत्रीजी के लिए सुन्दर स्मृति चिन्ह व विजेताओं के लिए पुरस्कार खरीदे गए। गर्मी में हर जगह पानी की कमी है, परेशानी न हो इसलिए बढ़िया ब्रांड के पैक्ड पानी की बोतलें भी खरीद ली गई।
अग्रिम आने की शोरदार घोषणा के बावजूद मानसून लेटकर आ रहा है। महामारी को एक बार फिर हरा कर सभी उसका नया हमला झेलने की तैयारी में जुटे हैं। इसी अवसर पर शहर की सोई हुई प्रसिद्ध संस्था नींद से जागी और गर्मी के मौसम में जल बचाने के उपायों पर, स्कूल के बच्चों के बीच चित्रकला प्रतियोगिता करवाने का सामयिक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया। महीनों बाद हुई बैठक में एक मत से फैसला किया कि ‘पानी कैसे बचाएं’ जैसे ज़रूरी विषय पर प्रतियोगिता के लिए सबसे बढ़िया परिसर वाला स्कूल चुना जाए। ज़्यादा जगह वाले संस्थान में आयोजन करने में कोई दिक्कत नहीं होती। सभी प्रतियोगी बच्चों के बैठने के लिए डेस्क, मेहमानों के लिए सोफे व आरामदायक कुर्सियां उपलब्ध होती हैं। पीने के लिए एक्वागार्ड का पानी, बिजली चली भी जाए तो इन्वर्टर होता है। आपातकाल के लिए जैनेरेटर भी उपलब्ध रहता है। गरमा गरम गुलाब जामुन, चाय और समोसे कैंटीन में आराम से मिल जाते हैं। काफी गाड़ियों के लिए खुली पार्किंग भी रहती है। स्कूल में नेताओं व अधिकारियों की पत्नियां शिक्षक हैं तभी मंत्री या वरिष्ठ सरकारी अफसर को मुख्य अतिथि के रूप में बुलाने में आसानी रहती है।
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प्रतियोगिता का दिन व समय भी निश्चित हो गया। सिंचाई मंत्री मुख्यअतिथि बनने के लिए सहर्ष तैयार हो गए। मंत्रीजी के लिए सुन्दर स्मृति चिन्ह व विजेताओं के लिए पुरस्कार खरीदे गए। गर्मी में हर जगह पानी की कमी है, परेशानी न हो इसलिए बढ़िया ब्रांड के पैक्ड पानी की बोतलें भी खरीद ली गई। अनुभवी विद्यार्थी ऐसी प्रतियोगिता में पहले भी कई बार हिस्सा ले चुके थे। उन्हें अच्छी तरह से पता था कि ‘पानी कैसे बचाएं’ विषय पर चित्र प्रतियोगिता में कौन कौन से चित्र बनाए जा सकते हैं। प्रतियोगिता का आयोजन बेहद सफल रहा। समापन भाषण में मंत्रीजी ने कहा, ‘पानी के बिना संसार की कल्पना नहीं की जा सकती। गर्मी में मौसम का पारा उठता है और जल का स्तर घटता है। आप लोगों ने पेंटिंग के माध्यम से जल को व्यर्थ न होने देने और उसकी बूंद बूंद बचाने का जो संदेश दिया है उससे मैं बहुत प्रभावित हुआ हूं और दिल से प्रशंसा करता हूं’। बाद में चाय पीने के दौरान उन्होंने स्टाफ सदस्यों को संजीदगी से बताया कि विपक्ष के असहयोग के कारण भी पानी की कमी दूर नहीं हो पाती। पानी बचाने में भी इसी वजह से परेशानी होती है।
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सबसे अच्छी बात यह रही कि मुख्य अतिथि ने स्कूल स्टाफ को निजी प्रयोग हेतु उपहारस्वरूप पैक्ड पानी की बोतलें दी जोकि शहर में लगी नई मिनरल वाटर फैक्ट्री के सौजन्य से प्राप्त हुई। यह यूनिट मंत्रीजी के ‘बेरोज़गार’ सुपुत्र ने शहर में पीने के पानी की कमी दूर करने के लिए लगाया है। प्रतियोगिता ठीक से निपटने पर आयोजक संस्था के संतुष्ट सचिव ने धन्यवाद करते हुए कहा, ‘आज हम सबने मिलकर, जल कैसे बचाएं जैसे सामयिक व महत्वपूर्ण विषय पर आयोजित चित्रकला प्रतियोगिता के माध्यम से समाज को अपना बहुमूल्य सहयोग दिया’।
आयोजन की विस्तृत रिपोर्ट, फोटो सहित अनेक अखबारों में छपी जिसमें मंत्रीजी के साथ ग्रुप फोटो भी था।
- संतोष उत्सुक
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