नेताओं से आजादी बाकी है मेरे भाई (कविता)
हिन्दी लेखक बरुण कुमार सिंह की ओर से प्रेषित कविता ''नेताओं से आजादी बाकी है मेरे भाई'' में आज के राजनीतिक माहौल पर करारा कटाक्ष किया गया है।
हिन्दी लेखक बरुण कुमार सिंह की ओर से प्रेषित कविता 'नेताओं से आजादी बाकी है मेरे भाई' में आज के राजनीतिक माहौल पर करारा कटाक्ष किया गया है।
नेताजी कह रहे हैं-
तू हिन्दू, तू मुस्लिम, तू सिख, तू ईसाई
तो बताओ, तुम कैसे हुए भाई-भाई।
भाईचारे के नाम पर
भाई-भाई को आपस में लड़वाई
अपनों को ही अपने से बैर करवाई
अमन के नाम पर विष फैलाई।
नेताओं का नहीं है
कोई धर्म ईमान मेरे भाई।
अब तो साधुबाबा ने भी
बजरंगी को दलित बतलाई।
कभी भाषा, तो कभी जाति के नाम पर
लोगों को खूब उकसाई
एक-दूसरे को आपस में भिड़वाई।
आज नेता अपने व्यंग्यबाण से
नित-नई विष फैला रहा है
नित्य-नई अड़ंगे डलवा
अपना काम निकाल रहा है
जनता को लॉलीपॉप झांसे में
नित नई भ्रम फैला रहा है
आज नेता बातें विकास की करता
और काम विनाश की कर रहा है
अपना उल्लू साध रहा है
जनता को आपस में लड़वा रहा है
भाई जवानों के बलिदानों से
सीमा और देश सुरक्षित है।
नेता नामक दीमक देश को लूट रहा है
आज नेता सुविधा के नाम पर
अपने ही देश को लूट रहा है
यह बड़ी कड़वी सच्चाई है
देश फण्ड से बड़ा पार्टी का फण्ड हो गया है
आज देश, नेताओं से आजादी की मांग रहा है भाई
नेताओं से छुटकारा पाना है तो
बिगुल बजाओ सब मिल भाई-भाई
नेताओं की वैसी-तैसी करो मेरे भाई
अंग्रेजों से हमने आजादी पाई
लेकिन नेताओं से आजादी बाकी है मेरे भाई।
-बरुण कुमार सिंह
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