मंगल बुधादित्य योग में मनेगी अनंत चौदस, ऐसे करें भगवान विष्णु की पूजा
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि आमतौर पर गणेश विसर्जन के कारण अनंत चतुर्दशी को भगवान गणेश का दिन माना जाता है, लेकिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन व्रत रखकर विष्णु जी को अनंत सूत्र बांधने से सारी बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को अनंत चौदस पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष अनंत चौदस 19 सितंबर को मनाई जाएगी और पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर-जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया किइस दिन मंगल, बुध और सूर्य एक साथ कन्या राशि में विराजमान होने के कारण मंगल बुधादित्य योग बन रहा है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इस विशेष योग में भगवान पूजा करने पर विशेष फल मिलता है। इस दिन विशेषकर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, लेकिन साथ ही भगवान गणेश का विसर्जन भी अनंत चतुर्दशी को ही किया जाता है, इसलिए अनंत चतुर्दशी का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।
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भगवान विष्णु का खास दिन है अनंत चतुर्दशी
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि आमतौर पर गणेश विसर्जन के कारण अनंत चतुर्दशी को भगवान गणेश का दिन माना जाता है, लेकिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन व्रत रखकर विष्णु जी को अनंत सूत्र बांधने से सारी बाधाओं से मुक्ति मिलती है। ये अनंतसूत्र कपड़े या रेशम का बना होता है और इसमें 14 गांठ लगी होती हैं। इसलिए अनंत चतुर्दशी को भगवान विष्णु के अनंत रूप के पूजा की जाती है।
अनंत चतुर्दशी पर पूजा का शुभ मुहूर्त
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि अनंत चतुर्दशी पर्व इस साल 19 सितंबर को मनाई जाएगी। इस दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 6.07 मिनट से शुरू होगा, जो अगले दिन 20 सितंबर को सुबह 5.30 बजे तक रहेगा। अनंत चतुर्दशी पर पूजा के लिए शुभ मुहूर्त की कुल अवधि 23 घंटे 22 मिनट तक रहेगी।
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पौराणिक महत्व
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया किअनंत चतुर्दशी पर्व मनाने की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी। ऐसी मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी के दिन ही भगवान विष्णु ने सृष्टि की शुरुआत में 14 लोकों तल, अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, पाताल, भू, भुवः, स्वः, जन, तप, सत्य, मह का निर्माण किया था।
- अनीष व्यास
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक
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