अनंत चतुर्दशी व्रत करने से पूरी होती है हर मनोकामना, जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि
अनंत चतुर्दशी के दिन विधिपूर्वक व्रत-पूजन करने से भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और दीर्घायु प्राप्त होती है। इस दिन गणेशोत्सव का भी समापन होता है और लोग घर में विराजे गणपति का धूमधाम से विसर्जन करते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी के तौर पर मनाया जाता है। इसे अनंत चौदस भी कहते हैं। यह तिथि भगवान श्री विष्णु स्वरुप को समर्पित होती है। इस दिन विधिपूर्वक व्रत-पूजन करने से भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और दीर्घायु प्राप्त होती है। इस दिन गणेशोत्सव का भी समापन होता है और लोग घर में विराजे गणपति का धूमधाम से विसर्जन करते हैं। इस बार अनंत चतुर्दशी का पर्व 19 सितंबर (रविवार) को मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अनंत चतुर्दशी व्रत को 14 वर्षों तक लगातार करने से विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।
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अनंत चतुर्दशी शुभ मुहूर्त
अनंत चतुर्दशी तिथि आरंभ - 19 सितंबर 2021 (रविवार) सुबह 6 बजकर 07 मिनट से
चतुर्थी तिथि की समाप्ति : 20 सितंबर 2021 (सोमवार) सुबह 5 बजकर 30 मिनट तक
अनंत चतुर्दशी महत्व
धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि द्वापरयुग में जब पांडव जुए में हारकर राजहीन होकर वन में भटक रहे थे तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने को कहा था। इसके बाद ही पांडवों ने कौरवों को हराकर अपना राज्य वापस प्राप्त किया था। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं।
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पूजन विधि
इस दिन स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प करें।
पूजा स्थल में भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें और उन्हें पीले फूल, मिठाई आदि अर्पित करें।
इस दिन अक्षत, दूर्वा, शुद्ध रेशम या कपास के सूत से बने और हल्दी से रंगे हुए चौदह गांठ के अनंत को सामने रखकर हवन किया जाता है।
इसके बाद अनंत देव का ध्यान करके इस अनंत सूत्र को पुरुष अपनी दाएं और स्त्री अपने बाएँ हाथ में बांधते हैं।
इस व्रत में एक समय बिना नमक का भोजन करें या निराहार व्रत कर सकते हैं।
- प्रिया मिश्रा
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