Chaitra Navratri: चैत्र नवरात्रि से हो रही हिंदू नववर्ष की शुरूआत, जानिए तिथियां, शुभ योग और मुहूर्त
इस साल मार्च के महीने में चैत्र नवरात्रि का आरंभ होने जा रहा है। इसी दिन से हिंदू नववर्ष की भी शुरूआत हो रही है। बता दें कि चैत्र नवरात्रि पर बनने वाली वार्षिक कुंडली के मुताबिक इस साल खूब वर्षा होने की संभावना है।
चैत्र नवरात्रि की शुरूआत बुधवार 22 मार्च 2023 को होने जा रही है। नवरात्रि से ही पिंगल नाम का संवत भी शुरू हो जाएगा। बता दें कि चैत्र नवरात्रि पर इस साल माता का वाहन नाव होगी। यह इस बात का संकेत है कि इस साल खूब वर्षा होगी। पूरे साल में चार बार नवरात्रि होती है। लेकिन इनमें आश्विन और चैत्र मास की नवरात्रि समाज में ज्यादा प्रचलित है। बताया जाता है कि चैत्र नवरात्रि सतयुग में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध थी। युग का आरंभ भी इसी दिन से माना जाता है। इसलिए चैत्र नवरात्रि से संवत का आरंभ होता है।
बने रहे कई योग
इस बार चैत्र नवरात्रि पूरे 9 दिनों की होगी। वहीं नवरात्रि के मौके पर तीन सर्वार्थ बार सिद्धि योग 23 मार्च, 27 मार्च और 30 मार्च को लग रहा है। जबकि 27 और 30 मार्च को अमृत सिद्धि योग लगेगा। वहीं 24 मार्च, 26 मार्च, 29 मार्च को रवि योग लगेगा। नवरात्रि के आखिरी दिन यानी की रामनवमी को गुरु पुष्य योग बनेगा। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि चैत्र नवरात्रि की प्रमुख तिथियां और किस दिन किस देवी की पूजा की जाएगी।
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चैत्र नवरात्रि 2023 की तिथियां
पहला व्रत मां शैलपुत्री की पूजा, घटस्थापना- 22 मार्च 2023
दूसरा व्रत मां ब्रह्मचारिणी की पूजा- 23 मार्च 2023
तीसरा व्रत मां चंद्रघंटा की पूजा- 24 मार्च 2023
चौथा व्रत मां कूष्मांडा की पूजा- 25 मार्च 2023
पांचवा व्रत मां स्कंदमाता की पूजा- 26 मार्च 2023
छठा व्रत मां कात्यायनी की पूजा- 27 मार्च 2023
सातवां व्रत मां कालरात्रि की पूजा- 28 मार्च 2023
आठवां व्रत मां महागौरी की पूजा की पूजा- 29 मार्च 2023
नवमी व्रत मां महागौरी की पूजा- 30 मार्च 2023
चैत्र नवरात्रि व्रत का पारण- 31 मार्च 2023
ऐसे करें पूजा
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी स्नान आदि कर पूरे विधि-विधान के साथ मां शैलपुत्री की पूजा के साथ घटस्थापना की जाती है। पहले ही दिन व्रत का संकल्प लिया जाता है। वहीं कई लोग पूरे 9 दिन व्रत रखते हैं। जो लोग 9 दिन व्रत करते हैं वह इस दिन मंदिर में कलश की स्थापना की जाती है। कलश में जल भरकर चावल पर रखा जाता है। कलश के मुख पर कलावा बांधकर आम के पत्तों पर नारियल को रख दें। इसके बाद मां शेलपुत्री की सच्चे मन से मां दुर्गा की पूजा और आरती करें।
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