इंडोनेशिया में जी20 सम्मेलन में बोले विडोडो ने किया युद्ध समाप्त करने का आह्वान
दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के नेता अगले दो दिन सम्मेलन में कोविड-19 वैश्विक महामारी और यूक्रेन पर रूस के हमले से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के तरीकों पर चर्चा करेंगे। शिखर सम्मेलन के आधिकारिक तौर पर शुरू होने से पहले इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने आयोजन स्थल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत किया।
बाली। इंडोनेशियाई राष्ट्रपति जोको विडोडो ने मंगलवार को यहां शुरू हुए वार्षिक जी20 शिखर सम्मेलन के एक सत्र में वैश्विक नेताओं से संयुक्त राष्ट्र चार्टर का पालन करने और ‘‘युद्ध’’ को समाप्त करने का आह्वान किया। उनका इशारा रूस-यूक्रेन संघर्ष की ओर था। विडोडो ने कहा कि दुनिया के लोगों के प्रति सभी नेताओं की जिम्मेदारी बनती है। जिम्मेदार होने का मतलब संयुक्त राष्ट्र चार्टर का ‘‘लगातार’’ पालन करना है। उन्होंने कहा कि जिम्मेदार होने का मतलब युद्ध समाप्त करना है। उन्होंने अंग्रेजी में रूस या यूक्रेन का नाम नहीं लिया, हालांकि उनके संबोधन का कुछ हिस्सा इंडोनेशियाई ‘बहासा’ में था। विडोडो ने कहा अगर युद्ध समाप्त नहीं हुआ तो आगे बढ़ना मुश्किल होगा।
दुनिया को एक और शीत युद्ध में नहीं फंसना चाहिए। दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के नेता अगले दो दिन (15-16 नवंबर) के दौरान सम्मेलन में कोविड-19 वैश्विक महामारी और यूक्रेन पर रूस के हमले से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के तरीकों पर चर्चा करेंगे। शिखर सम्मेलन के आधिकारिक तौर पर शुरू होने से पहले इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने आयोजन स्थल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत किया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ट्वीट किया कि एक साथ उभरें, मजबूती से उभरें। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने जी20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत किया। खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा और स्वास्थ्य सहित समसामयिक वैश्विक चुनौतियों पर आज विस्तृत विचार-विमर्श किया जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से भी संक्षिप्त बातचीत की। इंडोनेशिया जी20 समूह का वर्तमान अध्यक्ष है। भारत एक दिसंबर से औपचारिक रूप से जी20 की अध्यक्षता संभालेगा। इंडोनेशिया ने करीब एक साल पहले जी20 की अध्यक्षता संभालते हुए ‘‘एक साथ उभरें, मजबूती से उभरें’’ का नारा दिया था, जो उस समय कोविड-19 वैश्विक महामारी के प्रकोप की मार झेल रही दुनिया के लिए एकदम उपयुक्त था। हालांकि, आज यह नारा थोड़ा कम प्रासंगिक प्रतीत हो रहा है। खासकर तब, जब रूस के यूक्रेन पर हमला करने के बाद विश्व आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है और खाद्य एवं ऊर्जा स्रोतों की कमी का संकट मंडरा रहा है।
जी20 शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री मोदी बुधवार को इंडोनेशिया के राष्ट्रपति विडोडो, स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सीन लूंग के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगे। हालांकि, प्रधानमंत्री चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात करेंगे या नहीं, फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है। अगर दोनों नेताओं के बीच मुलाकात होती है तो जून 2020 में गलवान घाटी में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद यह उनकी पहली द्विपक्षीय मुलाकात होगी।
ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के साथ अलग से मुलाकात का भी कोई जिक्र नहीं किया गया है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के उनके साथ द्विपक्षीय बैठक करने की संभावना है। जी-20 में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) शामिल हैं। जी20 वैश्विक आर्थिक सहयोग का एक प्रभावशाली संगठन है। यह वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत से अधिक और विश्व की लगभग दो-तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करता है।
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