Prabhasakshi Exclusive: Maldives ने बुला तो लिया है, मगर क्या Chinese Spy Ship भारत की जासूसी कर पायेगा?

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि हमें यह भी देखना चाहिए कि सिर्फ चीनी जहाज ही वहां नहीं पहुँचा है बल्कि एक भारी भरकम चीनी प्रतिनिधिमंडल भी माले पहुँचा है। यह प्रतिनिधिमंडल उन समझौतों को आगे बढ़ाने आया है जोकि मुइज्जू की चीन यात्रा के दौरान किये गये थे।

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि मालदीव ने अब चीन के जहाज को ठहरने की अनुमति दे दी है। क्या मालदीव की ओर से भारत को उकसाया जा रहा है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि भारत को उकसाने के प्रयास कई देश करते रहते हैं लेकिन भारत संयमित तरीके से ऐसा जवाब देता है जिसका दीर्घकालिक असर होता है। उन्होंने कहा कि वैसे भी हमें यह समझना होगा कि मालदीव के वर्तमान राष्ट्रपति और उनकी पार्टी भारत विरोधी रुख अख्तियार किये हुए है जबकि वहां की अन्य प्रमुख पार्टियां और नेता भारत के साथ हैं। उन्होंने कहा कि मालदीव में जल्द ही संसदीय चुनाव होने हैं इसलिए राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू इस तरह की राजनीति कर रहे हैं।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि हमें यह भी देखना चाहिए कि सिर्फ चीनी जहाज ही वहां नहीं पहुँचा है बल्कि एक भारी भरकम चीनी प्रतिनिधिमंडल भी माले पहुँचा है। यह प्रतिनिधिमंडल उन समझौतों को आगे बढ़ाने आया है जोकि मुइज्जू की चीन यात्रा के दौरान किये गये थे। उन्होंने कहा कि जिस तरह चीन माले में तेजी दिखा रहा है उसको देखते हुए यह साफ दिख रहा है कि शी जिनपिंग की रणनीति यह है कि जब तक स्थिति अनुकूल है तब तक ज्यादा से ज्यादा पांव फैला लिये जाएं। 

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि मालदीव के दो प्रमुख विपक्षी दलों ने भारत को "सबसे पुराना सहयोगी" बताते हुए अपनी सरकार के "भारत विरोधी रुख" पर चिंता जताई है जोकि दर्शा रहा है कि वहां की जनभावना क्या है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने मालदीव के बारे में अब तक कोई भी नकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी है और वहां जारी विकास परियोजनाओं को पूरा करने और भविष्य में भी सहयोग देने की प्रतिबद्धता जताकर वहां के लोगों का दिल जीत लिया है। भारत जानता है कि मालदीव की जनता के मन में जगह बना कर वहां के कुछ राजनीतिक दलों के भारत विरोधी रुख को बदला जा सकता है इसलिए हमारा देश उस रणनीति पर काम कर रहा है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जो चीनी जहाज आया है वह 2019 से घूम घूमकर जासूसी का काम ही कर रहा है। यह पहले श्रीलंका भी गया था लेकिन भारत की ओर से आपत्ति जताये जाने के बाद श्रीलंका ने इसे भगा दिया और अब यह मालदीव पहुँचा है। हालांकि आधिकारिक तौर पर यही कहा गया है कि यह जहाज अध्ययन के दौरे पर आया है लेकिन सब जानते हैं कि चीन अध्ययन करता है या जासूसी। उन्होंने कहा कि मरीन ट्रैकर ऐप दिखाता है कि चीनी जहाज जावा और सुमात्रा के बीच सुंडा जलडमरूमध्य को पार करने के बाद अब इंडोनेशिया के तट पर रवाना हो रहा है और यह 8 फरवरी को माले में पहुंचने वाला है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि अपनी इंडिया आउट नीति को आगे बढ़ा रहे मुइज्जू की हर हरकत पर भारत की पैनी नजर बनी हुई है और हमारे देश ने पहले भी इस चीनी जहाज के जासूसी के प्रयासों को विफल किया है। उन्होंने कहा कि यह सही है कि चीन इस पूरे क्षेत्र में अपना दबदबा बढ़ाना चाहता है लेकिन हो सकता है कि मालदीव के संसदीय चुनावों में राष्ट्रपति की पार्टी को ऐसा झटका लग जाये कि वो भारत विरोधी नीतियों पर आगे ही नहीं बढ़ पायें। उन्होंने कहा कि कई बार एक्शन के बारे में बताया नहीं जाता है एक्शन कर दिया जाता है। इसलिए मालदीव में 15 मार्च को होने वाले संसदीय चुनावों का इंतजार कीजिये, निश्चित ही स्थिति में बड़ा बदलाव आयेगा।

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