अफगानिस्तान के मुद्दे पर क्या है ईरान का रुख, क्या कहते हैं डिप्लोमेट्स?
ईरान के बड़े तबके ने तालिबान के एक सैनिक ताक़त के रूप में फिर से मजबूत होने और सत्ता में उनके वापस लौटने की संभावनाओं को लेकर चिंता ज़ाहिर की है।
ईरान के बड़े तबके ने तालिबान के एक सैनिक ताक़त के रूप में फिर से मजबूत होने और सत्ता में उनके वापस लौटने की संभावनाओं को लेकर चिंता ज़ाहिर की है।हालांकि अमेरिकी विदेश नीति को दोष देने के साथ-साथ ईरानी डिप्लोमेट्स
सार्वजनिक रूप से यही कह रहे हैं कि अफ़ग़ानिस्तान में लड़ाई कम करने की ज़रूरत है और इसके लिए बातचीत की जाए।
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लेकिन ईरान के कट्टरपंथी धड़ों का एक हिस्सा और रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स से जुड़ा मीडिया एक अलग ही कहानी ही कह रहा है. ईरानी समाचार एजेंसी तसनीम ने तालिबान को आधुनिक बनाए जाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया है।
तसनीम न्यूज़ एजेंसी ने अपने प्लेटफॉर्म पर तालिबान के सीनियर नेताओं को धर्म के नाम पर सांप्रदायिकता को खारिज करने के लिए प्लेटफॉर्म मुहैया कराया है।
पाकिस्तान पर हमेशा से ही अफगानिस्तान में तालिबान का साथ देकर वहां आतंक भड़काने के आरोप लगते रहे हैं। लेकिन अब अफगानिस्तान के एन एस ए ( राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार) हम्दुल्लाह मोहिब के एक बयान पर पाकिस्तान के विदेश मंत्री साह हमूद कुरैशी भड़क गए।
एक रिपोर्ट के मुताबिक हमदुलिल्ला मोहेब ने मई महीने की शुरुआत में नंगरहार का दौरा किया था। तब उन्होंने पाकिस्तान को "चकलाघर" कह दिया था।
रिपोर्ट में बताया गया है कि मोहिब अक्सर पाकिस्तान पर अफगानिस्तान में तालिबान का समर्थन करने का आरोप लगाते रहे हैं ।वह कहते हैं कि पाकिस्तान तालिबान को मदद पहुंचा रहा है जिसके कारण वहां हिंसा भड़की हुई है।
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