Prabhasakshi Exclusive: Space में तेजी से अपनी शक्ति बढ़ा रहा China भविष्य में India के लिए क्या खतरा पैदा करेगा?
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि भारत की ओर से जी-20 बैठकों का आयोजन अरुणाचल प्रदेश और कश्मीर में किये जाने पर चीन और पाकिस्तान की ओर से जतायी गयी आपत्तियों को जिस तरह भारत ने खारिज करते हुए कड़ी प्रतिक्रिया जताई थी उससे भी संबंधों में तनाव बढ़ा है।
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से हमने जानना चाहा कि माना जा रहा था कि एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए चीन और रूस के राष्ट्रपति तथा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री भारत आयेंगे लेकिन संभवतः रिश्तों में तनाव के कारण यह बैठक अब ऑनलाइन होगी। इस बीच सीडीएस ने कहा है कि उत्तरी सीमा पर पीएलए की लगातार तैनाती एक चुनौती बनी हुई है। इसे कैसे देखते हैं आप? चीन से जुड़ा एक और सवाल यह है कि चीन ने नए मानवयुक्त अंतरिक्ष यान का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण कर पहली बार आम नागरिक को वहां भेजा है साथ ही चीन ने कहा है कि वह 2030 तक अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजेगा। अंतरिक्ष में चीन की बढ़ती ताकत हमारे लिये कितना बड़ा खतरा है?
इसके जवाब में उन्होंने कहा कि चीन और पाकिस्तान, दोनों ही देशों के साथ भारत के रिश्ते तनावपूर्ण चल रहे हैं और चीन के साथ हालिया द्विपक्षीय बैठकों के बावजूद दोनों देशों के बीच कई मुद्दों पर गतिरोध बना हुआ है। इसके अलावा भारत की ओर से जी-20 बैठकों का आयोजन अरुणाचल प्रदेश और कश्मीर में किये जाने पर चीन और पाकिस्तान की ओर से जतायी गयी आपत्तियों को जिस तरह भारत ने खारिज करते हुए कड़ी प्रतिक्रिया जताई थी उससे भी संबंधों में तनाव बढ़ा है। यही नहीं, एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान पाकिस्तान के विदेश मंत्री को जिस तरह भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने खरी-खरी सुनाई थी उसको लेकर भी पाकिस्तान बुरी तरह चिढ़ा हुआ है। इसके अलावा यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में जिस तरह नये मोड़ सामने आ रहे हैं उसको देखते हुए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी शायद तत्काल भारत यात्रा से बचना चाहते थे। इसी बात को देखते हुए एससीओ शिखर सम्मेलन में कई बड़े नेताओं की भागीदारी को लेकर संशय के बादल दिखने लगे थे और आखिरकार आशंकाएं सच साबित हो गयी हैं क्योंकि भारत अब चार जुलाई को डिजिटल तरीके से शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा।
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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि दूसरी ओर, दोनों देशों के संबंधों संबंधी ताजा खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि भारत और चीन ने प्रत्यक्ष राजनयिक वार्ता की है और इस दौरान पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गतिरोध के अन्य बिंदुओं से सैनिकों के पीछे हटने के प्रस्ताव पर ‘स्पष्ट और खुले’ तरीके से चर्चा हुई। इस बारे में भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि शांति और सद्भाव की बहाली द्विपक्षीय संबंधों के लिए अनुकूल स्थिति तैयार करने में मदद करेगी और इस उद्देश्य के लिए दोनों पक्ष जल्द से जल्द अगले दौर की सैन्य वार्ता आयोजित करने पर सहमत हुए हैं। यह बैठक भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के कार्य तंत्र ढांचे (डब्ल्यूएमसीसी) के तहत हुई। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि दोनों पक्षों ने भारत-चीन सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी पर हालात की समीक्षा की और बाकी क्षेत्रों से पीछे हटने के प्रस्ताव पर स्पष्ट और खुले रूप से चर्चा की।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक अंतरिक्ष में चीन की कामयाबी की बात है तो उसमें कोई दो राय नहीं कि वह लगातार आगे बढ़ रहा है। चीन ने मानवयुक्त अंतरिक्ष यान शेनझोउ-16 का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया और अपने अंतरिक्ष स्टेशन में मिशन के लिए पहली बार एक आम नागरिक सहित तीन अंतरिक्ष यात्रियों को रवाना किया। इसे चीन के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक और बड़ा कदम माना जा रहा है। अंतरिक्ष केंद्र में मौजूद चालक दल को बदलने के लिए इस मिशन को संचालित किया जा रहा है। चीन ने पहली बार अंतरिक्ष केंद्र के लिए एक आम नागरिक को भेजा है, अन्यथा सैन्य कर्मी ही इस तरह के अभियान पर जाते रहे हैं। ऐसा दूसरी बार हुआ है कि अंतरिक्ष की कक्षा में छह चीनी अंतरिक्ष यात्री एक साथ जमा हुए। बीजिंग में बेइहांग विश्वविद्यालय के प्रोफेसर गुई हाइचाओ इन तीन अंतरिक्ष यात्रियों में शामिल हैं जिन्हें ‘पेलोड’ विशेषज्ञ माना जाता है। अन्य अंतरिक्ष यात्रियों में मिशन के कमांडर जिंग हैपेंग हैं, जिन्होंने रिकॉर्ड चौथी बार अंतरिक्ष में जाने वाले पहले चीनी अंतरिक्ष यात्री बनकर इतिहास रचा है। वहीं अंतरिक्ष यात्री उड़ान इंजीनियर झू यांगझू अंतरिक्ष की अपनी पहली यात्रा पर हैं। इसके साथ ही चीन ने पश्चिमी देशों के साथ अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा के बीच वैज्ञानिक अन्वेषण के लिए 2030 तक चंद्रमा पर मानव मिशन भेजने की योजना की घोषणा की है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि ‘चाइना मैन्ड स्पेस एजेंसी’ (सीएमएसए) के उपनिदेशक लिन शिकियांग के हवाले से चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने कहा कि कुल मिलाकर लक्ष्य 2030 तक चंद्रमा पर चीन के पहले मानव मिशन को भेजना और चंद्र वैज्ञानिक अन्वेषण तथा संबंधित तकनीकी प्रयोग करना है। यह भी ध्यान रखने की बात है कि चीन ने चंद्रमा पर अपना मानव मिशन भेजने की घोषणा ऐसे समय की है जब अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का लक्ष्य जमे हुए पानी के संबंध में दक्षिणी ध्रुव पर अन्वेषण के लिए 2025 तक चंद्रमा पर दूसरा मानवयुक्त मिशन भेजने का है। चीन की चालों को देखते हुए भारत को भी अपना अंतरिक्ष कार्यक्रम तेजी से आगे बढ़ाने की जरूरत है क्योंकि भविष्य की लड़ाइयां आमने सामने नहीं बल्कि साइबर और अंतरिक्ष क्षेत्र में ही लड़ी जाएंगी।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक चीन के साथ संबंधों को लेकर सीडीएस जनरल अनिल चौहान के बयान की बात है तो उन्होंने सही कहा है कि भारत की उत्तरी सीमा पर चीन की ‘पीपुल्स लिबरेशन आर्मी’ (पीएलए) की लगातार तैनाती एक ‘चुनौती’ है। हालांकि सशस्त्र बल नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर देश के दावों की वैधता को कायम रखने को प्रतिबद्ध हैं। पुणे स्थित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) की 144वीं पाठ्यक्रम के पासिंग आउट परेड को संबोधित करते हुए जनरल चौहान ने कहा है कि सशस्त्र बल न केवल निकट पड़ोस में, बल्कि विस्तारित पड़ोस में भी शांति और स्थिरता कायम रखने में रचनात्मक भूमिका निभाने को लेकर प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने बताया कि बाद में संवाददाताओं से बातचीत में सीडीएस ने कहा था कि उत्तरी सीमा पर पीएलए की तैनाती दिन-ब-दिन नहीं बढ़ रही है और उसके सैनिकों की संख्या उतनी ही है, जितनी 2020 में थी। इसलिए वहां चुनौती है और सशस्त्र बल वे सभी कदम उठा रहे हैं, ताकि कोई प्रतिकूल स्थिति उत्पन्न नहीं हो।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि सीडीएस ने बताया है कि हम डेमचोक और डेपसांग को छोड़कर सभी स्थानों को वापस पाने में सफल रहे हैं। वार्ता जारी है। उम्मीद है कि वार्ता के नतीजे आएंगे, हम आशान्वित हैं। जनरल चौहान ने कहा है कि इन सब के पीछे का विचार यह है कि हमें दावा रेखा की वैधता को बनाए रखने में सक्षम होना चाहिए। हमें उन इलाकों में गश्त करने में सक्षम होना चाहिए, जहां पर वर्ष 2020 में संकट शुरू होने से पहले वास्तव में (गश्त) करते थे। सीडीएस चौहान ने कहा कि सीमा विवाद का समाधान अलग चीज है, लेकिन अभी समय अपने दावे वाली रेखा के पास जाना, किसी तरह का यथास्थिति कायम करने का है। उन्होंने कहा कि जब तक वह स्थिति नहीं बनती, सीमा पर लगातार निगरानी रखने की जरूरत है, साथ ही यह भी सुनिश्चित करना है कि ऐसा करते समय हम सीमा पर कोई गैर जरूरी संकट पैदा नहीं करें।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसके अलावा, इस समय सेनाओं के समक्ष कितनी चुनौतियां हैं इसके लिए सीडीएस चौहान के उस बयान पर भी गौर करना चाहिए जिसमें उन्होंने कहा है कि हम ऐसे समय में रह रहे हैं जब वैश्विक सुरक्षा अपनी बेहतरीन अवस्था में नहीं है और अंतरराष्ट्रीय भू राजनीति व्यवस्था में अनिश्चितता है। यूरोप में युद्ध चल रहा है, हमारी उत्तरी सीमा पर पीएलए की लगातार तैनाती है, हमारे पड़ोसी देशों में राजनीतिक और आर्थिक उथल-पुथल है। ये सभी भारतीय सेना के लिये अलग तरह की चुनौतियां पेश करते हैं।
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