Prabhasakshi Exclusive: Sri Lanka में संविधान के 13वें संशोधन (13ए) को क्यों लागू करवाना चाहते हैं Modi? क्या सभी दलों को इसके लिए मना पाएंगे विक्रमसिंघे?

Modi Wickremesinghe
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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि श्रीलंका की प्रांतीय परिषदों में सामंजस्य, सुलह एवं उन्हें पूर्ण अधिकार देने के उद्देश्य से इस सप्ताह हुई सर्वदलीय बैठक के बेनतीजा भले रहे लेकिन अब यह बैठक एक महीने बाद फिर होगी।

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि श्रीलंका के राष्ट्रपति की भारत यात्रा किन मायनों में अहम रही? क्या भारत के कहने पर ही उन्होंने अल्पसंख्यक तमिलों के मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाई? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि श्रीलंका में बढ़ते चीनी हस्तक्षेप को देखते हुए भारत सतर्क निगाह बनाये हुए है। साथ ही श्रीलंका को भी संकट के समय यह महसूस हुआ है कि भारत ने ही निस्वार्थ भाव से उनकी हर मायने में मदद की। उन्होंने कहा कि श्रीलंका में हालात में थोड़ा सुधार आने के बाद राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने भारत की यात्रा की और इस दौरान आगे भी हर तरह से श्रीलंका को भरपूर मदद दिये जाने का आश्वासन दिया गया है। भारत सरकार ने श्रीलंका से तमिलों के मुद्दे का समाधान करने को कहा है जिसके चलते राष्ट्रपति ने बैठक कर संकेत दिया है कि उनकी सरकार इस दिशा में अब गंभीर और सार्थक प्रयास करेगी।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि श्रीलंका की प्रांतीय परिषदों में सामंजस्य, सुलह एवं उन्हें पूर्ण अधिकार देने के उद्देश्य से इस सप्ताह हुई सर्वदलीय बैठक के बेनतीजा भले रहे लेकिन अब यह बैठक एक महीने बाद फिर होगी। नयी दिल्ली की यात्रा से पहले विक्रमसिंघे ने उत्तर और पूर्वी प्रांतों में प्रतिनिधित्व करने वाले तमिल दलों के साथ एक बैठक में प्रांतों को पुलिस शक्तियां दिए बगैर सर्वदलीय सहमति के साथ श्रीलंका के संविधान में 13वें संशोधन (13ए) के पूर्ण कार्यान्वयन पर सहमति जताई थी। देखा जाये तो 13ए को लागू करना 1987 में श्रीलंका में तमिलों को राजनीतिक स्वायत्तता के मुद्दे का समाधान निकालने के प्रयास में भारत का एक अग्रणी कदम था। इसके तहत उत्तरी एवं पूर्वी प्रांतों के अस्थायी विलय के साथ विकसित इकाई के तौर पर नौ प्रांतों का निर्माण किया गया था। उन्होंने कहा कि इस बारे में तमिल नेशनल एलायंस (टीएनए) के सदस्य एमए सुमंतीरन ने ट्वीट किया है कि श्रीलंका के राष्ट्रपति का रुख भारत-समर्थित 13ए को पूर्ण रूप से लागू करने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इच्छा के विरुद्ध था। सुमतीरन ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने विक्रमसिंघे को प्रांतीय परिषद के रुके हुए चुनावों को आयोजित करने को कहा था लेकिन राष्ट्रपति का विचार कुछ और था। सुमतीरन ने बताया है कि हमें किसी एक को चुनने को कहा गया। उन्होंने बताया कि सुमतीरन विक्रमसिंघे के रुख का जिक्र कर रहे थे जिसमें उन्होंने कहा था कि राजनीतिक दलों को निश्चित रूप से आम सहमति से यह फैसला करना चाहिए कि भारत-समर्थित 13ए को पूर्ण रूप से लागू किया जाए या पूरी तरह रद्द कर दिया जाए।

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने नयी दिल्ली में विक्रमसिंघे से बातचीत में उम्मीद जताई थी कि श्रीलंका के नेता 13ए को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे और प्रांतीय परिषद के चुनाव आयोजित करेंगे। उन्होंने तमिलों के लिए एक सम्मानजनक एवं प्रतिष्ठित जीवन सुनिश्चित करने का अनुरोध किया था। उन्होंने बताया कि चुनाव सुधारों के कदम के बाद 2018 से नौ प्रांतों के चुनाव रुके हुए हैं। कुछ सिंहली बहुल पार्टियों ने भी परिषदों को पूर्ण शक्ति प्रदान करने के लिए 13ए को पूर्ण रूप से लागू करने से पहले चुनाव कराने पर जोर दिया था।

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