US Court Summons India: इसे हल्के में नहीं ले सकते, खालिस्तानी पन्नू मामले में अमेरिकी अदालत के समन पर भारत की दो टूक

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अभिनय आकाश । Sep 19 2024 3:33PM

मिसरी ने कहा कि इस संगठन को1967 के गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत ऐसा घोषित किया गया है और ऐसा भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बाधित करने के उद्देश्य से राष्ट्र-विरोधी और विध्वंसक गतिविधियों में शामिल होने के कारण किया गया है।

आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू द्वारा अमेरिका में भारतीय सरकार के खिलाफ 'हत्या' के प्रयास का मुकदमा दायर करने पर विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि जैसा कि हमने पहले कहा है, ये पूरी तरह से अनुचित और निराधार आरोप हैं। अब जब यह विशेष मामला दर्ज किया गया है। इससे अंतर्निहित स्थिति के बारे में हमारे विचार नहीं बदलते हैं। मैं केवल आपका ध्यान इस विशेष मामले के पीछे के व्यक्ति की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ, जिसका इतिहास सर्वविदित है। मैं इस तथ्य को भी रेखांकित करना चाहता हूँ कि जिस संगठन का यह व्यक्ति प्रतिनिधित्व करता है, वह एक गैरकानूनी संगठन है। 

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विदेश मंत्रालय ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि इस मुद्दे पर उच्च-स्तरीय समिति पहले से काम कर रही है। मिसरी ने कहा कि इस संगठन को1967 के गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत ऐसा घोषित किया गया है और ऐसा भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बाधित करने के उद्देश्य से राष्ट्र-विरोधी और विध्वंसक गतिविधियों में शामिल होने के कारण किया गया है। कनाडा के खालिस्तान समर्थक अलगाववादी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू ने भारत सरकार के खिलाफ मुकदमा दायर किया है।  इस मामले में अमेरिकी अदालत ने भारतीय सरकार को सम्मन भेजा है। सीबीसी न्यूज़ के अनुसार, भारत सरकार, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और अन्य के खिलाफ़ एक अमेरिकी संघीय जिला अदालत में दीवानी मुकदमा दायर किया गया है। 

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खालिस्तानी अलगावादी की तरफ से भारतीय अधिकारियों के खिलाफ़ कथित हत्या के प्रयास के लिए हर्जाने का दावा किया गया है। इसके साथ ही कहा गया है कि इस कथित हत्या के प्रयास को अमेरिका ने 2023 में विफल कर दिया था। मुकदमे में खालिस्तान समर्थक आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की मौत में भारत की संलिप्तता का भी आरोप लगाया गया है। गौरतलब है कि खालिस्तान समर्थक समूह सिख फॉर जस्टिस के महाधिवक्ता द्वारा लगाए गए आरोप अदालत में साबित नहीं हुए हैं।

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