अफगानिस्तान: भूकंप में मारे गये लोगों को दफनाया गया, जीवित बचे लोगों की मलबे में तलाश जारी

Afghanistan Earthquake
ANI Photo.

देश से अहम संसाधन वापस ले जा चुके अंतरराष्ट्रीय मानवीय सहायता समुदाय किस तरह से मदद कर सकेंगे और किस हद तक तालिबान सरकार उन्हें वहां रहने देगी, यह एक सवाल बना हुआ है। अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के कब्जा कर लेने के बाद अहम अंतराष्ट्रीय वित्तीय सहायता रूक गई है।

काबुल|  पूर्वी अफगानिस्तान में विनाशकारी भूकंप आने के एक दिन बाद बृहस्पतिवार को लोगों ने अपने प्रियजनों के शवों को दफन किया और जीवित बचे लोगों की तलाश करने के लिए अपने मकानों के मलबे हाथों से हटाने की कोशिश करते दिखे। भूकंप में कम से कम 1,000 लोगों की मौत हो गई है।

तालिबान और अंतरराष्ट्रीय समुदाय आपदा पीड़ितों की मदद करने में मशक्कत कर रहे हैं। अफगानिस्तान का पक्तिका प्रांत बुधवार को आये 6 तीव्रता की भूकंप का केंद्र था।

शवों को दफनाने के लिए वहां लोगों ने एक गांव में कतार से कब्र खोदी। अफगानिस्तान में बुधवार को आया भूकंप दशकों में सर्वाधिक विनाशकारी था। पर्वतीय क्षेत्र में हुई तबाही के बारे में जानकारी धीरे-धीरे सामने आ रही है। अधिकारियों ने बताया कि मृतकों की संख्या बढ़ सकती है। सरकारी बख्तर समाचार एजेंसी ने अपनी खबर में 1,500 लोगों के घायल होने का दावा किया है।

वहीं मृतकों की पहली स्वतंत्र गणना करने के बाद संयुक्त राष्ट्र मानवीय सहायता समन्वय कार्यालय ने कहा कि पक्तिका और पड़ोसी खोस्त प्रांत में करीब 770 लोगों की मौत हो गई।

समाचार एजेंसी बख्तर के एक संवाददाता ने भूकंप प्रभावित क्षेत्र से भेजे एक फुटेज में कहा, ‘‘(भूकंप पीड़ितों के) उनके पास खाने के लिए कुछ नहीं हैं और बारिश भी हो रही है। उनके मकान नष्ट हो गये हैं। कृपया उनकी मदद करें, उन्हें अकेला नहीं छोड़िये।’’ इस आपदा ने एक ऐसे देश के लिए और आफत बढ़ा दी है जहां लाखों लोग बढ़ती भुखमरी और गरीबी का सामना कर रहे हैं तथा अमेरिकी और नाटो सैनिकों की वापसी के बीच करीब 10 महीने पहले तालिबान के सत्ता पर कब्जा करने के बाद से स्वास्थ्य प्रणाली चरमरा गई है।

देश से अहम संसाधन वापस ले जा चुके अंतरराष्ट्रीय मानवीय सहायता समुदाय किस तरह से मदद कर सकेंगे और किस हद तक तालिबान सरकार उन्हें वहां रहने देगी, यह एक सवाल बना हुआ है। अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के कब्जा कर लेने के बाद अहम अंतराष्ट्रीय वित्तीय सहायता रूक गई है।

अफगानिस्तान में अब भी संचालित हो रहीं संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियां और अन्य संगठनों ने कहा कि उन्होंने इलाके में मेडिकल किट, तंबू सहित अन्य आपूर्ति भेजी है। लेकिन जरूरत इससे कहीं अधिक है क्योंकि इलाके के सभी गांवों को भारी नुकसान पहुंचा है।

संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी के प्रवक्ता पीटर केसलर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियां इस साल अफगानिस्तान के लिए तीन अरब डॉलर के धन की कमी का सामना कर रही हैं।

अफगानिस्तान के सरकारी टेलीविजन ने बृहस्पतिवार को एक समाचार बुलेटिन में कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भूकंप में लोगों की मौत होने पर शोक जताया है और राहत सहायता देने का वादा किया है।

इंटरनेशनल रेस्क्यू कमेटी के एशिया मामलों के उपाध्यक्ष अदनान जुनैद ने कहा, ‘‘सर्वाधिक प्रभावित इलाके गरीब क्षेत्र हैं और अफगानिस्तान के दूरदराज के इलाके हैं जहां इस तरह की आपदा का मुकाबला करने वाले बुनियादी ढांचे का अभाव है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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