पेरिस जलवायु समझौते से अलग हो सकता है अमेरिका, उठाएंगे सख्त कदम
बराक ओबामा के कार्यकाल में विदेश विभाग में जलवायु वार्ताकार रहे और फिलहाल गैर-लाभकारी वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट चलाने वाले एंड्रयू लाइट ने कहा कि अगर 2020 के चुनाव में ट्रंप के बजाय कोई और जीतता है तो जो भी अगला राष्ट्रपति बनेगा वह केवल 30 दिन के अंदर समझौते में वापस आ सकता है।
वाशिंगटन। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दो साल से अधिक समय से अमेरिका के ऐतिहासिक पेरिस जलवायु समझौते से हटने की बात करते रहे हैं, हालांकि वह सोमवार से अंतत: इस बारे में कोई कदम उठा सकते हैं। अमेरिका के समझौते से हटने की प्रक्रिया में एक साल लग सकता है और यह कम से कम 2020 के राष्ट्रपति चुनाव के बाद ही आधिकारिक रूप से संपन्न हो पाएगी। पेरिस समझौते में करीब 200 देशों ने तापमान बढ़ाने वाली गैसों से प्रदूषण को नियंत्रित करने या कम करने के अपने राष्ट्रीय लक्ष्य निर्धारित किये हैं।
इसे भी पढ़ें: डोनाल्ड ट्रंप ने नए कार्यवाहक गृह सुरक्षा प्रमुख की घोषणा की
पेरिस जलवायु करार पर 2015 में गहन चर्चा हुई थी और यह 4 नवंबर, 2016 को प्रभाव में आया। समझौते की शर्त है कि कोई भी देश पहले तीन साल में कदम वापस नहीं खींच सकता। इसलिए अमेरिका पहली बार सोमवार को वापसी की प्रक्रिया सही मायने में शुरू कर सकता है और संयुक्त राष्ट्र को पत्र लिखने के साथ यह शुरू होगी।
इसे भी पढ़ें: ट्रंप की व्यापार चेतावनी के बाद ब्रिटेन ने ब्रेक्जिट करार का बचाव किया
बराक ओबामा के कार्यकाल में विदेश विभाग में जलवायु वार्ताकार रहे और फिलहाल गैर-लाभकारी वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट चलाने वाले एंड्रयू लाइट ने कहा कि अगर 2020 के चुनाव में ट्रंप के बजाय कोई और जीतता है तो जो भी अगला राष्ट्रपति बनेगा वह केवल 30 दिन के अंदर समझौते में वापस आ सकता है। लाइट और दूसरे विशेषज्ञों ने कहा कि दुनिया के दूसरे सबसे बड़े जलवायु प्रदूषणकर्ता अमेरिका द्वारा समझौते से पीछे हटने से वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन की लड़ाई प्रभावित होगी।
अन्य न्यूज़