दुनिया को संकटों और चुनौतियों से निपटने के लिए व्यावहारिकता की जरूरत: पुरी
उन्होंने कहा, भारत की खपत वैश्विक औसत से तीन गुना बढ़ रही है। भारत वर्तमान में हर साल एक शिकागो के बराबर आवास स्थान बनाने की प्रक्रिया में है। मंत्री ने कहा, दुनिया के सामने जितनी भी चुनौतियां हैं, हमें उनका व्यावहारिक रूप से सामना करना होगा। अगर भारत ने यूक्रेन संकट के बाद खुद को उन्हीं संसाधनों से काम लेने की स्थिति में छोड़ दिया होता, तो हमारी ईंधन कीमतें काफी बढ़ जातीं। उन्होंने कहा, हमने एक व्यावहारिक निर्णय लिया और परिणाम सबके सामने हैं।
यूक्रेन-रूस युद्ध के प्रभावों से निपटने में भारत का उदाहरण देते हुए केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने मंगलवार को कहा कि दुनिया को अपने सामने आने वाली चुनौतियों और संकटों से व्यावहारिक रूप से निपटने की जरूरत है। पुरी यहां विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक में ऊर्जा और प्रतिद्वंद्विता विषय पर एक सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यूक्रेन युद्ध के बाद ऊर्जा संकट का संकेत मिलने के पश्चात भारत ने शुरुआत में ही व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाया और परिणाम सभी के सामने हैं। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मामलों के साथ-साथ आवास और शहरी मामलों के मंत्री पुरी ने कहा कि देखभाल के लिए भारत में एक बड़ी आबादी है और लाखों लोगों को दिन में तीन बार खाना खिलाना सरकार की जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा, लेकिन साथ ही हमने अपनी घरेलू मजबूरियों को टिकाऊ भविष्य के प्रति अपनी वैश्विक प्रतिबद्धताओं के आड़े नहीं आने दिया। वहीं, यूरोपीय आयोग के ऊर्जा आयुक्त कादरी सिमसन ने कहा कि वह इस बात से सहमत हैं कि व्यावहारिकता आवश्यक है और यूरोप भी इसे मानता है। उद्योग और शिक्षा जगत के प्रतिनिधियों सहित पैनल में शामिल वक्ताओं ने ऊर्जा और भू-राजनीति के तेजी से आपस में जुड़ने तथा देशों द्वारा तेल, गैस और स्वच्छ ऊर्जा समाधानों सहित अपनी वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति में विविधता लाने के लिए खुले तौर पर प्रतिस्पर्धा करने के बारे में बात की। पुरी ने कहा कि दुनिया भर में जो बदलाव हो रहे हैं और जब कई तरह के संकट हैं, भारत जैसे देश को अपनी बढ़ती आबादी की जरूरतों को पूरा करते हुए सतत विकास सुनिश्चित करना है।
उन्होंने कहा, भारत की खपत वैश्विक औसत से तीन गुना बढ़ रही है। भारत वर्तमान में हर साल एक शिकागो के बराबर आवास स्थान बनाने की प्रक्रिया में है। मंत्री ने कहा, दुनिया के सामने जितनी भी चुनौतियां हैं, हमें उनका व्यावहारिक रूप से सामना करना होगा। अगर भारत ने यूक्रेन संकट के बाद खुद को उन्हीं संसाधनों से काम लेने की स्थिति में छोड़ दिया होता, तो हमारी ईंधन कीमतें काफी बढ़ जातीं। उन्होंने कहा, हमने एक व्यावहारिक निर्णय लिया और परिणाम सबके सामने हैं।
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