IMA देहरादून से पढ़ा है तालिबान का टॉप कमांडर Sheru, जानिए इसके बारे में

Taliban top commander
अंकित सिंह । Aug 20 2021 3:44PM

1996 में स्‍टानिकजई ने सेना छोड़ दी और तालिबान में शामिल हो गया। वह अमेरिकी राष्ट्रपति ब्लिंकन के सरकार ने तालिबान को राजनयिक मान्यता दिए जाने के संबंध में भी वार्ता में शामिल था।

अफगानिस्तान में तख्तापलट के साथ करीब दो दशक के बाद तालिबान का कब्जा हो गया है। माना जा रहा है कि तालिबान के सात सबसे बड़े नेताओं ने मिलकर यह प्लान बनाया था जिसके बाद एक बार फिर से अफगानिस्तान में तालिबान का राज हो गया। इन सात बड़े कमांडरों में से एक है शेर मोहम्‍मद अब्‍बास स्‍टानिकजई भी है। क्या आपको पता है स्‍टानिकजई कभी देहरादून की भारतीय मिलिट्री एकेडमी में जेंटलमैन कैडेट था। वह भारतीय मिलिट्री एकेडमी से पास आउट है। उसके साथी उसे शेरू के नाम से बुलाया करते थे। जब शेरू 20 साल का था तो वह आइएमए में पहुंचा था। उस वक्त शेरू तालिबानी आतंकियों की तरह कट्टर नहीं था। 

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पॉलिटिकल साइंस की पढ़ाई करने के बाद वह आईएमए में आया था। देहरादून के आईएमए में उसने डेढ़ साल की ट्रेनिंग ली। उसके बाद बतौर लेफ्टिनेंट अफगान आर्मी में शामिल हुआ था। यह बात 1982 की है। स्‍टानिकजई मजबूत शरीर वाला था हालांकि उसकी लंबाई बहुत ज्यादा नहीं थी। एक समाचार पोर्टल के मुताबिक उसके साथ आईएमए में ट्रेनिंग लेने वाले उसके बैचमेट ने बताया कि उसे लोग पसंद करते थे। वह एकेडमी में दूसरे कैडेट से कुछ ज्यादा उम्र का लगता था। उसकी रौबदार मूंछें थीं। वह आईएमए में आकर खुश था। आपको बता दें कि आजादी के बाद से ही विदेशी कैडेटों को आईएमए में प्रवेश मिलता है। अफगान कैडेटों को यह सुविधा 1971 के बाद मिल रही है। 

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1996 में स्‍टानिकजई ने सेना छोड़ दी और तालिबान में शामिल हो गया। वह अमेरिकी राष्ट्रपति ब्लिंकन के सरकार ने तालिबान को राजनयिक मान्यता दिए जाने के संबंध में भी वार्ता में शामिल था। वह सालों से तालिबान का प्रमुख वार्ताकार है। वह अंग्रेजी अच्छा बोलता है और उसने भारत में मिलिट्री ट्रेनिंग ली है। इसलिए उसे तालिबान में अच्छा ओहदा मिला हुआ है। वह दोहा के तालिबान ऑफिस में भी लगातार आता जाता रहता है। साल 2012 से स्‍टानिकजई तालिबान का प्रतिनिधित्व करता रहा है। 

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