20 सालों में ड्रग्स बेचकर तालिबान बना ताकतवर
नवंबर 2001 में जब तालिबान को काबुल से खदेड़ दिया गया था, तब तालिबान पांच साल से कुछ अधिक समय तक सत्ता में था।
सवाल है कि एक युद्ध लड़ने कि लिए उनके पास धन कहां से आया, मई 2020 की एक रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अनुमान लगाया था कि तालिबान का वार्षिक संयुक्त राजस्व $ 300 मिलियन से लेकर $1.5 बिलियन प्रति वर्ष तक है, जबकि 2019 के आंकड़े कम थे। तालिबान ने संसाधनों का कुशलता से उपयोग किया और नकदी संकट का सामना नहीं किया।
तालिबान के धन का प्राथमिक स्रोत नशीली दवाओं का व्यापार रहा है। यूएनएससी की रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल के वर्षों में अफीम की खेती और राजस्व में कमी और अन्य माध्यमों से होने वाले आय में कटौती के कारण उनके आय में कमी आई। हालांकि हेरोइन की खेती और उत्पादन ने कई वर्षों से तालिबान को राजस्व का बड़ा हिस्सा दिया, वहीं अफगानिस्तान में नया दवा उद्योग मेथामफेटामाइन महत्वपूर्ण लाभ दे रहा है ।
मेथमफेटामाइन रिपोर्ट में कहा गया है कि यह हेरोइन की तुलना में अधिक लाभदायक है, क्योंकि इसकी सामग्री कम लागत वाली है और इसके लिए बड़ी प्रयोगशालाओं की आवश्यकता नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान के हेरोइन तस्करी और कराधान की व्यवस्था, नंगरहार के आठ दक्षिणी जिलों में हिसारक से लेकर पाकिस्तान की सीमा पार भी फैली हुई है।
पिछले साल प्रकाशित एक रिपोर्ट में यूएनओडीसी ने कहा था कि अफगानिस्तान वह देश है, जहां सबसे अधिक अफीम का उत्पादन होता है, पिछले पांच वर्षों में वैश्विक अफीम उत्पादन का लगभग 84 प्रतिशत यहां होता है। यह पड़ोसी देशों यूरोप और मध्य के बाजारों में इसकी आपूर्ति करता है। पूर्व, दक्षिण एशिया और अफ्रीका और कुछ हद तक उत्तरी अमेरिका और कनाडा में भी इसकी आपूर्ति करता है।
अवैध नशीली दवाओं के व्यापार के अलावा तालिबान के संस्थापक मुल्ला मुहम्मद उमर के बेटे मुल्ला मुहम्मद याकूब की देखरेख में तालिबान ने हाल के वर्षों में अवैध खनन और निर्यात से अपनी वित्तीय शक्ति बढ़ाई। एक रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2020 में इसने $1.6 बिलियन धन कमाया, जिसमें $ 416 मिलियन ड्रग व्यापार से, लौह अयस्क, संगमरमर, तांबा, सोना, जस्ता और दुर्लभ पृथ्वी धातुओं के अवैध खनन से $ 450 मिलियन से अधिक और राजमार्गों पर जबरन वसूली और करों से 160 मिलियन डॉलर कमाए।
खाड़ी के देशों से भी $240 मिलियन का दान मिला। 240 मिलियन डॉलर मूल्य की वस्तुओं का आयात और निर्यात किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान के पास अफगानिस्तान और पाकिस्तान में भी 80 मिलियन डॉलर की संपत्ति है।
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