सर्वे में दावा, भारतीय-अमेरिकी करते हैं दोहरी नागरिकता का समर्थन
इस सर्वेक्षण में आव्रजन मुद्दा, निवेश, दोहरी नागरिकता, दोहरा कर और सामाजिक सुरक्षा कोष का हस्तांतरण समेत कई विषयों को शामिल किया गया। इस सर्वेक्षण में पूछे गए सवालों में से लोगों ने दोहरी नागरिकता की मांग का सबसे ज्यादा समर्थन किया और उसे 4.4 स्टार दिए
वाशिंगटन। बड़ी संख्या में भारतीय अमेरिकी चाहते हैं कि भारत सरकार दोहरी नागरिकता को मंजूरी दे और प्रवासी भारतीय सीधे डाक मतपत्रों से मतदान के बजाए ‘प्रॉक्सी’ मतदान को तरजीह देते हैं। एक सर्वेक्षण में यह दावा किया गया है। ‘प्रॉक्सी’ मतदान का अर्थ है कि मतदाता अपना मत देने के लिए किसी प्रतिनिधि को नियुक्त करता है, जो उसकी अनुपस्थिति में मतदान करता है। ‘फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज’ (एफआईआईडीएस) अमेरिका ने यह सर्वेक्षण ऐसे समय में किया है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सप्ताहांत करीब 50,000 भारतीय-अमेरिकियों को ह्यूस्टन में एक कार्यक्रम में संबोधित करेंगे।
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इस सर्वेक्षण में आव्रजन मुद्दा, निवेश, दोहरी नागरिकता, दोहरा कर और सामाजिक सुरक्षा कोष का हस्तांतरण समेत कई विषयों को शामिल किया गया। इस सर्वेक्षण में पूछे गए सवालों में से लोगों ने दोहरी नागरिकता की मांग का सबसे ज्यादा समर्थन किया और उसे 4.4 स्टार दिए। एफआईआईडीएस ने कहा कि जहां अन्य देशों के लोगों के पास अपने गृह देश की नागरिकता छोड़े बगैर अमेरिकी नागरिकता के लिए आवेदन करने की क्षमता है, वहीं प्रवासी भारतीय लंबे समय से भारत सरकार से यह मौका देने की मांग कर रहे हैं लेकिन अभी तक ऐसा हुआ नहीं।
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एल एम सिंघवी ने आठ जनवरी, 2002 में दोहरी नागरिकता की सिफारिशों को जमा किया था। वह भारतीय समुदाय की एक उच्च स्तरीय समिति के तत्कालीन अध्यक्ष थे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जनवरी, 2003 में सिफारिशों को स्वीकार किया था। हालांकि नागरिकता अधिनियम, 1955 में 2005 में संशोधन किया गया और प्रवासी भारतीय नागरिकता (ओसीआई) का अधिकार दिया गया लेकिन यह दोहरी नागरिकता नहीं है।
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