श्रीलंकाई तमिल नेताओं ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री को लिखा पत्र, भारत सरकार से मांगी मदद
सप्ताहांत में स्टालिन को भेजे एक पत्र में टीएनए ने प्रवासी समूह ग्लोबल तमिल फोरम में कहा, ‘‘तमिलनाडु ने, श्रीलंका की ओर भारतीय नीतियों को तय करने में हमेशा अहम भूमिका निभाई है। इस संदर्भ में मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन द्वारा अपनाए जाने वाले पथ प्रदर्शक और व्यावहारिक दृष्टिकोण से काफी राहत मिलेगी।’’
कोलंबो| श्रीलंका के तमिल नेशनल एलायंस (टीएनए) ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन को पत्र लिखकर लंबित तमिल मुद्दे के स्थायी राजनीतिक समाधान और विवादित 13वां संशोधन लागू करने के लिए भारत से हस्तक्षेप करने की मांग की है।
सप्ताहांत में स्टालिन को भेजे एक पत्र में टीएनए ने प्रवासी समूह ग्लोबल तमिल फोरम में कहा, ‘‘तमिलनाडु ने, श्रीलंका की ओर भारतीय नीतियों को तय करने में हमेशा अहम भूमिका निभाई है। इस संदर्भ में मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन द्वारा अपनाए जाने वाले पथ प्रदर्शक और व्यावहारिक दृष्टिकोण से काफी राहत मिलेगी।’’
श्रीलंका की मुख्य तमिल पार्टी टीएनए ने कहा कि 13वें संशोधन के द्वारा संबंधित प्रस्तावित संवैधानिक प्रक्रिया से तमिल समूह राजनीतिक रूप से और कमजोर हो सकते हैं। 13वां संशोधन भारत-श्रीलंका के बीच हुए 1987 के समझौते का परिणाम है।
इस समझौते पर तत्कालीन श्रीलंकाई राष्ट्रपति जेआर जयवर्द्धने और भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने हस्ताक्षर किए थे।
इसमें श्रीलंका में अल्पसंख्यक तमिल समुदाय को शक्तियों के हस्तांतरण का प्रावधान है। बहरहाल, श्रीलंका की सत्तारूढ़ पीपुल्स पार्टी के सिंहला बहुसंख्यक नेता द्वीपीय देश की प्रांतीय परिषद व्यवस्था को पूरी तरह खत्म करने की वकालत कर रहे हैं।
श्रीलंकाई सरकार ने कहा है कि उसने नए संविधान का मसौदा कानूनी जानकारों के पास भेजा है जबकि टीएनए राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे से मुलाकात करने का इंतजार कर रही है। श्रीलंका में तीन दशकों तक चला गृह युद्ध लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) प्रमुख वी. प्रभाकरण की मौत के साथ 2009 में खत्म हुआ था। संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि इस संघर्ष में 80,000-1,00,000 लोग मारे गए। इस संघर्ष में विद्रोहियों ने तमिल अल्पसंख्यकों के लिए अलग राज्य बनाने की मांग की थी।
संयुक्त राष्ट्र ने दोनों पक्षों पर युद्ध अपराध के आरोप लगाए। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद का सत्र 28 फरवरी को शुरू होना है और यह एक अप्रैल को संपन्न होगा।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि श्रीलंकाई सरकार को गत सप्ताह यूएनएचआरसी की रिपोर्ट का मसौदा मिल गया है और इसका जवाब भी दे दिया गया है। विदेश मंत्री जीएल पीरीस जिनेवा में सरकार के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे। श्रीलंका पर चर्चा तीन मार्च को होगी।
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