Ariha Case: जर्मन कोर्ट से भारतीय दंपति को झटका, लोकल एजेंसी को सौंपी बच्ची
अदालत ने घोषणा की कि बर्लिन का केंद्रीय युवा कल्याण कार्यालय उसके अस्थायी अभिभावक के रूप में कार्य करते हुए उसके रहने के संबंध में निर्णय लेने के लिए जिम्मेदार होगा। माता-पिता ने पहले कस्टडी का अनुरोध किया था, लेकिन बाद में उन्होंने प्रस्ताव वापस ले लिया।
जर्मनी के पैंको में एक जिला अदालत ने 28 महीने की भारतीय लड़की अरिहा शाह को उसके जैविक माता-पिता को सौंपने से इनकार कर दिया और 13 जून को दो अलग-अलग फैसलों में उसे जर्मन किशोर सेवा जुगेंडमट को सौंप दिया। अदालत ने धारा और भावेश शाह के अनुरोध को खारिज कर दिया कि बच्चे को सीधे उनके पास लौटा दिया जाए या कम से कम, किसी तीसरे पक्ष, भारतीय कल्याण सेवाओं को दिया जाए।
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अदालत ने घोषणा की कि बर्लिन का केंद्रीय युवा कल्याण कार्यालय उसके अस्थायी अभिभावक के रूप में कार्य करते हुए उसके रहने के संबंध में निर्णय लेने के लिए जिम्मेदार होगा। माता-पिता ने पहले कस्टडी का अनुरोध किया था, लेकिन बाद में उन्होंने प्रस्ताव वापस ले लिया।
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बता दें कि दरअसल, जर्मनी की चाइल्ड सर्विसेज ने 2 साल की बच्ची को इस संदेह में दूर ले गई कि माता-पिता द्वारा उसका शारीरिक शोषण किया जा रहा है। लेकिन फरवरी 2022 तक आपराधिक आरोप हटा दिए जाने के बावजूद, वह अपने माता-पिता के साथ फिर से नहीं रह पा रही है। परिजन का आरोप है कि बच्ची को बर्लिन में 20 महीने से जिस सेंटर में रखा गया था। अब उसे वहां से उठाकर मंदबुद्धि सेंटर में भेज दिया गया है। बच्ची की मानसिक हालत खराब बताकर व्यवहार किया जा रहा है।
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