आठ से दस जून के बीच वियतनाम दौरे पर होंगे राजनाथ
वियतनाम आसियान (दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों का संगठन) का एक महत्वपूर्ण देश है, जिसका दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में चीन के साथ सीमा विवाद है। भारत की दक्षिण चीन सागर में वियतनामी जल क्षेत्र में कई तेल अन्वेषण परियोजनाएं हैं। भारत और वियतनाम साझा हितों की रक्षा केलिए पिछले कुछ वर्षों से अपने समुद्री सुरक्षा सहयोग को लगातार बढ़ा रहे हैं।
नयी दिल्ली| रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्विपक्षीय रक्षा संबंधों व व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत बनाने के लिए बुधवार को वियतनाम के तीन दिवसीय दौरे पर रवाना होंगे। रक्षा मंत्रालय ने रविवार को यह जानकारी दी।
मंत्रालय ने बताया कि यात्रा के दौरान राजनाथ वियतनाम को 12 हाई-स्पीड गार्ड नौकाएं भी सौंपेंगे, जिसे क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता के बीच समुद्री सुरक्षा सहयोग में दोनों देशों के बीच बढ़ती नजदीकियों के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है।
इन नौकाओं का निर्माण भारत द्वारा वियतनाम को दिए गए दस करोड़ डॉलर के रक्षा ऋण के तहत किया गया है। मंत्रालय के मुताबिक, यात्रा के दौरान राजनाथ अपने वियतनामी समकक्ष जनरल फान वान गियांग के साथ व्यापक बातचीत करेंगे।
बातचीत में दोनों नेता साझा हित के क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करने के अलावा रक्षा संबंधों को और मजबूत बनाने के नए उपायों को तलाशने पर ध्यान देंगे।
राजनाथ का वियतनाम के राष्ट्रपति गुयेन जुआन फुक और प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चिन के साथ मुलाकात करने का भी कार्यक्रम है। वियतनाम आसियान (दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों का संगठन) का एक महत्वपूर्ण देश है, जिसका दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में चीन के साथ सीमा विवाद है। भारत की दक्षिण चीन सागर में वियतनामी जल क्षेत्र में कई तेल अन्वेषण परियोजनाएं हैं। भारत और वियतनाम साझा हितों की रक्षा के लिए पिछले कुछ वर्षों से अपने समुद्री सुरक्षा सहयोग को लगातार बढ़ा रहे हैं।
रक्षा मंत्रालय ने कहा, “हाई फोंग के होंग हा बंदरगाह पर राजनाथ वियतनाम को 12 हाई स्पीड गार्ड नौकाएं सौंपने से जुड़े कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे, जिनका निर्माण भारत सरकार द्वारा दिए गए दस करोड़ डॉलर के रक्षा ऋण के तहत किया गया है।”
मंत्रालय ने कहा, “यह परियोजना वियतनाम के साथ बढ़ते रक्षा सहयोग के संदर्भ में महत्वपूर्ण है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’, ‘मेक फॉर द वर्ल्ड’ दृष्टिकोण को दर्शाती है।” राजनाथ न्हा ट्रांग में दूरसंचार विश्वविद्यालय सहित वियतनाम के विभिन्न प्रशिक्षण संस्थानों का भी दौरा करेंगे, जहां भारत से मिले 50 लाख डॉलर के अनुदान के जरिये एक आर्मी सॉफ्टवेयर पार्क की स्थापना की जा रही है।
मंत्रालय के अनुसार, “भारत-वियतनाम के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना के 50 साल और भारत की आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के ऐतिहासिक अवसर पर रक्षा मंत्री की वियतनाम यात्रा द्विपक्षीय रक्षा सहयोग तथा व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत बनाने में मदद करेगी।”
जुलाई 2007 में वियतनाम के तत्कालीन प्रधानमंत्री गुयेन तान डंग की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच के संबंध बढ़कर ‘रणनीतिक साझेदारी’ के स्तर पर पहुंच गए थे। वहीं, 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वियतनाम यात्रा के दौरान द्विपक्षीय संबंध ‘व्यापक रणनीतिक साझेदारी’ के स्तर पर पहुंच गए थे। वियतनाम भारत की ‘ऐक्ट ईस्ट’ नीति और हिंद-प्रशांत दृष्टिकोण में एक महत्वपूर्ण भागीदार बन गया है।
पिछले हफ्ते विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) सौरभ कुमार ने हनोई में 12वें दौर के राजनीतिक विमर्श और नौवें दौर की रणनीतिक वार्ता के लिए वियतनाम का दौरा किया था।
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