चीन पर निर्भरता के कारण अमेरिका में बढ़ सकती है जेनेरिक दवाओं की कीमत

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‘कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस’ या सीआरएस ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा, ‘‘भारत समेत विश्व के अन्य देशों को जेनेरिक दवाओं की आपूर्ति करने में चीन की मुख्य भूमिका के कारण अमेरिका में उपभोक्ताओं के लिए इन दवाओं की कुल लागत लघु से मध्यम अवधि के लिए बढ़ सकती है।’’

वाशिंगटन। अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए जेनेरिक दवाओं की लागत लघु से मध्यम अवधि के लिए बढ़ सकती है क्योंकि चीन इन दवाओं के वैश्विक निर्माताओं, खासतौर से भारत को इससे संबंधित सामग्री का निर्यात करने वाला प्रमुख आपूर्तिकर्ता है। ‘कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस’ या सीआरएस ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा, ‘‘भारत समेत विश्व के अन्य देशों को जेनेरिक दवाओं की आपूर्ति करने में चीन की मुख्य भूमिका के कारण अमेरिका में उपभोक्ताओं के लिए इन दवाओं की कुल लागत लघु से मध्यम अवधि के लिए बढ़ सकती है।’’

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सीआरएस ने कहा, ‘‘भारत में कोविड-19 फैलने के कारण अमेरिका में जेनेरिक दवाओं की उपलब्धता पर असर पड़ सकता है। अमेरिका में इस्तेमाल होने वाली करीब 40 प्रतिशत जेनेरिक दवाओं की आपूर्ति करने वाला भारत इसके एक्टिव फार्मास्युटिकल्स इंग्रीडिएंट्स (एपीआई) का करीब 70 फीसदी हिस्सा चीन से आयात करता है।’’ सीआरएस के अनुसार, 2019 में 8.3 अरब डॉलर के कुल निर्यात के साथ भारत दवाओं, चिकित्सा उपकरणों, उत्पादों और आपूर्तियों का आठवां सबसे बड़ा निर्यातक है। आयरलैंड इस सूची में सबसे ऊपर है। छह अप्रैल की अपनी रिपोर्ट में सीआरएस ने कहा कि पीपीई, चिकित्सा उपकरण, एंटीबायोटिक्स और एपीआई के वैश्विक आपूर्तिकर्ता के तौर पर चीन की बड़ी भूमिका के कारण वहां से निर्यात में कमी आने से अमेरिका में महत्वपूर्ण चिकित्सा आपूर्तियों की कमी हो गई है।

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डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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