राष्ट्रपति बाइडन ने भारत के साथ रक्षा संबंधों को मजबूत बनाने की प्रतिबद्धता पर जोर दिया
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपनी पहली बैठक में रक्षा संबंधों को मजबूती देने और एक प्रमुख रक्षा भागीदार के रूप में भारत के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपनी पहली बैठक में रक्षा संबंधों को मजबूती देने और एक प्रमुख रक्षा भागीदार के रूप में भारत के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि की। विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने यह जानकारी दी। राष्ट्रपति बाइडन ने शुक्रवार को व्हाइट हाउस में प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत किया। ओवल कार्यालय में दोनों नेताओं की मुलाकात 60 मिनट के बजाय 90 मिनट से ज्यादा देर तक चली। विदेश सचिव श्रृंगला ने शुक्रवार को संयुक्त प्रेस वार्ता में संवाददाताओं से कहा, “राष्ट्रपति बाइडन ने रक्षा संबंधों को मजबूती देने और एक प्रमुख रक्षा भागीदार के रूप में भारत के प्रति अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
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नेताओं ने रक्षा क्षेत्र में उन्नत औद्योगिक सहयोग को गहरा करने का स्वागत किया।” उन्होंने कहा कि व्हाइट हाउस के ओवल कार्यालय में बैठक के दौरान रक्षा क्षेत्र में सह-विकास, सह-उत्पादन और औद्योगिक सहयोग के क्षेत्र के विस्तार पर जोर दिया गया। व्हाइट हाउस ने तथ्य पत्र (फैक्टशीट) में कहा कि 2016 के बाद से रक्षा सक्षम करने वाले चार प्रमुख समझौतों को संपन्न करने के बाद, अमेरिका और भारत ने प्रमुख रक्षा भागीदारों के रूप में महत्वपूर्ण प्रगति की है और अमेरिका सूचना साझाकरण, द्विपक्षीय और बहुपक्षीय अभ्यास, समुद्री सुरक्षा सहयोग, संपर्क अधिकारी आदान-प्रदान और साजो-सामान सहयोग को और बढ़ाने के लिए तत्पर है। इसने कहा कि अमेरिका-भारत रक्षा प्रौद्योगिकी एवं व्यापार पहल (डीटीटीआई) को आगे बढ़ाते हुए, अमेरिका और भारत जुलाई में हवा में लॉन्च किए गए मानव रहित हवाई वाहनों के सह-विकास के लिए 2.2 करोड़ डॉलर की परियोजना पर सहमत हुए।
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डीटीटीआई में वर्तमान में चार कार्य समूह शामिल हैं, और इस वर्ष के अंत में वरिष्ठ अधिकारियों की अगली बैठक रक्षा औद्योगिक सहयोग का और विस्तार करेगी। इसने कहा कि अमेरिका भारतीय सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है, जिसने अत्याधुनिक क्षमताओं की पेशकश की है, मसलन एफ/ए-18, एफ-15 ईएक्स, और एफ-21 लड़ाकू विमान; एमक्यू-9बी मानवरहित हवाई प्रणाली; आईएडडीडब्ल्यूएस मिसाइल प्रणाली; और अतिरिक्त पी-8आई समुद्री गश्ती विमान आदि।
भारत की प्रमुख रणनीतिक हवाई परिवहन क्षमताएं इसकी सेना को हिंद महासागर क्षेत्र और उससे आगे के लिए महत्वपूर्ण मानवीय राहत और निकासी अभियान प्रदान करने में सक्षम बनाती हैं। तथ्य पत्र के अनुसार, अमेरिकी वायु सेना और अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने हाल में भारत के C-130जे परिवहन विमान बेड़े के लिए रखरखाव प्रदान करने के लिए 32.9 करोड़ डॉलर का अनुबंध किया है।
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