बाइडेन की ‘समिट फॉर डेमोक्रेसी’ में शामिल होंगे पीएम मोदी! चीन और रूस सूची से बाहर, ताइवान आमंत्रित
भारत उन 100 से अधिक देशों में शामिल है, जिन्हें 9-10 दिसंबर को होने वाले वर्चुअल समिट के लिए आमंत्रित किया गया है। लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि अमेरिका ने ताइवान को 'समिट फॉर डेमोक्रेसी' के लिए आमंत्रित किया है। हालांकि, चीन आमंत्रितों की सूची में नहीं हैं।
यूरोप और एशिया के दो बड़े देश आमने-सामने हैं। दोनों के बीच की तल्खी किसी से छिपी नहीं है। दोनों देश एक-दूसरे पर मौका मिलते ही जुबानी हमले करने से गुरेज नहीं करते हैं। ये देश हैं अमेरिका और चीन जिनके बीच पहली बार वर्चुअल मीटिंग हुई। लेकिन इसके बावजूद भी दोनों के बीच की कड़वाहट कम नहीं हुई। अब अमेरिका चीन को अलग-थलग करने पर तुल गया है। जिसके लिए नया प्लान बनाया गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'समिट फॉर डेमोक्रेसी' में शामिल होने की संभावना है। भारत उन 100 से अधिक देशों में शामिल है, जिन्हें 9-10 दिसंबर को होने वाले वर्चुअल समिट के लिए आमंत्रित किया गया है। लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि अमेरिका ने ताइवान को 'समिट फॉर डेमोक्रेसी' के लिए आमंत्रित किया है। हालांकि, चीन आमंत्रितों की सूची में नहीं हैं।
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शिखर सम्मेलन को लेकर व्हाइट हाउस की घोषणा के अनुसार आमंत्रित 100 से अधिक देशों के नेताओं के साथ ही भारत के पीएम मोदी की भागीदारी होगी। सम्मेलन में देश और विदेश में लोकतंत्र और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक प्रतिबद्धताओं" को शामिल करने की उम्मीद है। शिखर सम्मेलन मुख्य रूप से लोकतंत्र के क्षरण के मुद्दों पर केंद्रित होगा। नेताओं से यह भी अपेक्षा की जाएगी कि वे चर्चा करें कि स्वतंत्रता और अधिकारों की रक्षा कैसे की जाए।
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देशों ने कैसे प्रतिक्रिया दी
चीन में रूसी राजदूत एंड्री डेनिसोव ने ग्लोबल टाइम्स को बताया कि "लोकतंत्र शिखर सम्मेलन" दुनिया को "श्रेष्ठ और निम्न" की श्रेणियों में विभाजित करने का एक और गुमराह करने वाला प्रयास है। एंड्री डेनिसोव ने कहा कि पश्चिमी देशों के कुछ राजनयिक भी अमेरिका के लोकतंत्र को वर्गीकृत करने के तरीके से असहमत थे, जब उन्होंने मेरे साथ निजी तौर पर बात की थी। इस बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक के लिए दिसंबर के पहले हफ्ते में दिल्ली आने वाले हैं। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने अगस्त में अमेरिका के लोकतंत्र शिखर सम्मेलन के एक सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि लोकतंत्र को खोखले नारों के बजाय मूर्त होना चाहिए। यह आध्यात्मिक अफीम नहीं बननी चाहिए जो लोगों को मूर्ख बनाती है या सुन्न करती है, फिर भी दूसरे देशों पर हमला करने और उन पर धब्बा लगाने और अपने स्वयं के आधिपत्य को बनाए रखने का बहाना बनाया जाता है।
ताइवान आमंत्रित, चीन-रूस बाहर
अमेरिका ने ताइवान को 'समिट फॉर डेमोक्रेसी' के लिए आमंत्रित किया है। हालांकि, रूस और चीन आमंत्रितों की सूची में नहीं हैं। अफगानिस्तान और म्यांमार, जो हाल ही में लोकतांत्रिक शासन के पतन के साक्षी रहे हैं, भी सूची में नहीं हैं। इन देशों की स्थिति पर नेताओं द्वारा चर्चा किए जाने की संभावना है। पोलिटिको की एक रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण एशियाई देशों में भारत, पाकिस्तान, नेपाल और मालदीव को आमंत्रित किया गया है।
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